Sunday, November 24, 2024
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शिक्षा का गिरता स्तर

शिक्षा का स्तर सुधारने में सरकारें असफल होती रहीं नतीजन लगभग सभी प्राथमिक विद्यालय सिर्फ नाम के विद्यालय रह गए। यह कहने में जरा भी संकोच नहीं रहा कि सरकारी शिक्षालय हमारे बच्चों को मजदूर जरूर बना रहे हैं और जिनसे आशा है कुछ वो हैं निजी शिक्षण संस्थान, जो शिक्षा को खुलेआम बेंच रहे हैं और सरकारें शिक्षा की बिक्री को रोकने में असहाय दिख रहीं हैं। शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने की बात तो मोदी सरकार कर रही है लेकिन कोई ठोस कदम उठाने में लाचार दिख रही है और स्पष्ट नहीं दिख रहा नजरिया इस ओर।
एक तरफ बच्चों को भविष्य का निर्माता कहा जाता है। लेकिन उनके साथ दुराभाव भी सरकार द्वारा ही किया जाता है। एक तरफ सभी सरकारें अच्छी शिक्षा दिलाने की वकालत करती है लेकिन शिक्षा के प्रति किसी भी सरकार का नजरिया स्पष्ट नहीं है।
प्राथमिक स्कूल में ऐसी शिक्षा दी जाती है कि उनमें पढ़ने वाले बच्चे मामूली सा हिसाबकिताब सीख जायें जिससे कि भविष्य में उन्हें मजदूरी, रेहड़ी आदि का काम करने में कुछ जोड़ घटाव कर लें। वहीं यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि यूपी राज्य के ज्यादातर प्राथमिक सरकारी स्कूलों में 30 से 40 हजार रूपये कमाने का जरिया भी कुछ लोगों को मिला हुआ है। वर्तमान में सरकारी स्कूलों पर अगर चर्चा करें तो वे सिर्फ मजदूर बनाने का कारखाना भर हैं।
वहीं प्राइवेट यानीकि निजी स्कूलों में शिक्षा का व्यापार किया जा रहा है। प्रबन्धतंत्र द्वारा ड्रेस, टाई-वेल्ट से लेकर कापी किताबों में मोटा कमीशन खाया जा रहा है। जनप्रतिनिधि से लेकर जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी मूकदर्शक हैं। वर्तमान में प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा बिक रही है जिसकी औकात हो खरीदे।
शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी विद्यालयों का स्तर आजादी के बाद से ही गिरना शुरू हो गया था और वर्तमान में क्या हालात हो गए हैं यह किसी से छुपा नहीं है। हां यह तो जरूर है कि शिक्षण सत्र के शुरूआत में स्कूल चलो अभियान चलाकर लकीर पीटने का काम जिले स्तर के अधिकारी कर रहे हैं लेकिन कोई रूचि नहीं लेता कि सरकारी स्कूलों में अपने बच्चे को दाखिला दिलाए। हां, जिन मां-बाप को अपने बच्चों के भविष्य की चिन्ता नहीं या निजी संस्थानों का खर्च उठाने में लाचार हैं वो ही सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला दिला देते हैं। ताकि उन पर लोग यह तंज न कस सकें कि उनका बच्चा स्कूल नहीं जाता।