विटामिन डी की कमी भारतीयों में तेजी से फैल रही है। आजकल ज्यादातर भारतीयों में विटामिन डी की रक्त में मात्र 5 से नैनोग्राम के बीच पाई जाती है हालांकि इसकी मात्रा 50 से 75 नैनोग्राम के बीच रक्त में होनी चाहिए। यह एक बहुत ही चिंता का विषय है क्योंकि भारत एक ऐसी भौगोलिक स्थिति में है जहां साल भर धूप रहती है। विटामिन डी को सनशाइन विटामिन के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसका सीधा संबंध धूप से है। विटामिन डी एक वसा में घुलनशील पोषक तत्व है जो कि सूर्य के प्रकाश में संपर्क में आने पर शरीर की चमड़ी में पैदा होता है। विटामिन डी दो प्रकार के होते हैं- D2 और D3. D2 (एग्रोकैसीफेरोल ) यह पौधों से प्राप्त किया जाता है। जिससे पौधे सूर्य की पराबैंगनी किरणों में संपर्क आने के बाद उत्पादन करते हैं। D3 (कालीफेराल ) यह जीव में सूर्य की किरणों के संपर्क में अपनी चमड़ी द्वारा निर्मित करते हैं।
विटामिन डी की कमी एक बेहद गंभीर समस्या है क्योंकि विटामिन डी सिर्फ हड्डियों, दांत और मांसपेशियों के लिए ही आवश्यक नहीं बल्कि शरीर की प्रतिरोधी तंत्र को भी मजबूत करता है। विटामिन डी कमी की वजह से कई अन्य रोग हो सकती हैं जैसे मधुमेह डायबिटीज, हृदय रोग, न्यूरोलॉजिकल बीमारियां, अवसाद, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, गर्भावस्था में जटिलताएं। विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिस कारण कभी भी फ्रैक्चर हो सकता है और रक्त में कैल्शियम की कमी होने लगती है क्योंकि विटामिन डी की कमी से कैल्शियम सोखने की क्षमता कम हो जाती है।
महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले विटामिन डी की कमी ज्यादा पाई जाती है क्योंकि महिलाओं के पास घर की इतने काम होते हैं कि धूप में बैठने का समय नहीं मिलता और उनकी वेशभूषा जो शरीर को पूरी तरह से ढकी रहती है जिससे धूप में बैठकर भी वह उसकी किरणों का लाभ नहीं उठा पाती तीसरा कारण है सनस्क्रीन का अत्यधिक इस्तेमाल और काले हो जाने का भय जिससे धूप से बचती हैं। मुंह में जलन और अप्रिय स्वाद बना लेना, जीभ सूखना, होठों पर जलन झनझनाहट या सुन्नपन। यह एक बहुत बड़ा संकेत है विटामिन डी की कमी का इसको नजरअंदाज ना करें और तुरंत जांच कराएं खून की।
विटामिन डी की कमी के लक्षण–
(i) थकान
(ii) कमजोरी
(iii) जोड़ों में जकड़न एवं दर्द
(iv) मांसपेशियों में कमजोरी
(v) पैरों में सूजन
(vi) बाल झड़ना
(vii) अनियंत्रित मोटापा
(ix) मूड स्विंग
(x) हड्डियों एवं मांसपेशियों में दर्द
(xi) कमर एवं पीठ दर्द
(xii) अक्सर सर्दी जुकाम हो जाना
विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग.
(1) रिकेट्स– बच्चों में हड्डियां कमजोर और नरम हो जाती हैं।
(2) ऑस्टियोपोरोसिस– वृद्धों में हड्डियां कमजोर और नरम हो जाती हैं।
(3) हाइपोकैलीमिया –रक्त में कैल्शियम की निम्न मात्रा से भी कम हो जाना
(4) हाइपोफासफटेमिया- — रक्त में फास्फेट का निम्न स्तर से भी कम हो जाना
आइए जानते हैं किन कारणों से विटामिन डी की तेजी से कमी पाई जा रही है– सबसे मुख्य कारण है बदलती जीवन शैली और खानपान धूप से परहेज आजकल किसी के पास 15 मिनट का भी समय नहीं कि वह धूप में थोड़ी देर बैठे।> मकान के ढांचे में बदलाव जैसे कि आप सब जानते ही हैं कि अब लंबी-लंबी इमारतों और अपार्टमेंट में रहने का चलन सा हो गया है जहां न तेज धूप पहुंचती है, ना रोशनी, ना हवा की ठंडे झोंके बस एक डिब्बी में बंद होकर रह गए हैं सब गतिशीलता की कमी बच्चे हो या बड़े सभी अपने फोन, लैपटॉप, टीवी आदि में व्यस्त हैं किसी को खेलना है उस पर पिक्चर देखनी है, काम करना है, पढ़ना है, मनोरंजन करना या फिर रोजी-रोटी से कुछ काम जुड़ा है इसलिए सब में गतिशीलता की कमी आ गई है।
> पाचन शक्ति का सक्रिय रूप से सामना करना
> सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल
> ठंडा और बासी खाने का चलन
>रेडी टो कुक और ईट फूड का इस्तेमाल ।
> शुद्ध शाकाहारी जहां पूरी तरह से जानवरों से प्राप्त भोजन का प्रयोग वर्जित है। यह लो लोग दूध दही और मक्खन भी नहीं
खाते।
>अल्पाहार और पैकेट वाले फूड का ज्यादा प्रयोग करने वाले
> खट्टी चटनी और अचार का ज्यादा इस्तेमाल।
आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स और जंक फूड का ज्यादा इस्तेमाल
> रिफाइंड तेल जो विटामिन डी दुश्मन है उसका अत्यधिक प्रयोग खाने में। रिफाइंड तेल की वजह से शरीर में कोलेस्ट्रॉल मॉलिक्यूल के कारण कम बनते हैं जिससे शरीर में विटामिन डी कम हो जाता है क्योंकि कोलेस्ट्रॉल के कारण विटामिन डी बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। रिफाइंड तेल में ट्रांस फैट ज्यादा होता है जो गुड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और ट्राइग्लिसराइड्स या बैड लिपिड को बढ़ाता है और शरीर में बीमारियों निमंत्रण देता है।
> अगर आप कोलेस्ट्रॉल कम करने की या वजन घटाने की दवा ले रहे हैं तो भी विटामिन डी कम हो जाता है।
> यदि स्टेरॉयड वाली दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो भी विटामिन डी कम हो जाता है।
> बढ़ती उम्र विटामिन डी को कम करती है । वृद्धों में अक्सर बहुत कम हो जाता है।
> सांवली त्वचा इस प्रकार की त्वचा में मेलेनिन ज्यादा होता है जिससे सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया की क्षमता कम कर देता है और विटामिन डी ठीक मात्रा में उत्पन्न नहीं हो पाता है।
आइए देखते हैं कि विटामिन डी की कमी को पूरा कैसे करते हैं –
> सूर्य की रोशनी वास्तव में सबसे सस्ता, सरल और अच्छा स्रोत है विटामिन का। 15 से 20 मिनट प्रतिदिन धूप में रहें और शरीर के विभिन्न अंगों में सूर्य की किरणों का आगमन होने दे।
> शरीर को गतिशील बनाए रखें जैसे कि व्यायाम, टहलना, दौड़ना, जॉगिंग, डांस, योगा, जुंबा, तैराकी, खेलना, कूदना आदि
>दिनचर्या या रूटीन बनाएं।
> पाचन शक्ति सक्रिय रखें
> सुबह एक गिलास संतरे का रस पिए
> ठंडा बासी भोजन ना प्रयोग करें ।
> चटनी अचार कम
> बादी अथवा गैस बनाने वाले भोजन जैसे छोला, चना, राजमा आदि का प्रयोग कम करें।
> जरूरत से ज्यादा सनस्क्रीन का इस्तेमाल ना करें। सनस्क्रीन सिर्फ़ चेहरे और गर्दन पर लगाएं।
> मांसाहारी भोजन में प्रचुर मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है जैसे मछली, झींगा, सलामी, कॉड लिवर ऑयल, ओएस्टर, घोंघा, बीफ लिवर, रिकोटा चीज़ यह भेड़ के दूध से बनता है
> अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही, पनीर आदि का सेवन करें।विटामिन डी अच्छी मात्रा में निम्न सभी खाद्य पदार्थों में मिलता है- → साबुत अनाज, ब्रोकली, मूंगफली, सोया प्रोडक्ट्स, गाजर, मूली, मशरूम, गोभी, संतरा, केला, पपीता, टोफू, अखरोट, बादाम और सेब आदि का सेवन करें।
> जंक फूड और फास्ट फूड से दूरी बनाएं।
> भरपूर नींद लें।
> विटामिन डी के सप्लीमेंट्स मार्केट में मौजूद हैं ज्यादा विटामिन डी से विटामिन डी टाक्सीसिटी हो सकती जिससे आपकी सेहत दुष्परिणाम भी देख सकते हैं इसलिए विटामिन डी की जांच कराएं और आप डॉक्टर की परामर्श के बाद ही कोई विटामिन डी की गोली या सप्लीमेंट लें।
डॉ. अमरीन फातिमा