मथुरा। कान्हा की नगरी श्री धाम वृंदावन में होली का उत्सव एक अलग ही महत्व रखता है। ब्रज मंडल में होली का महोत्सव लगातार 40 दिनों तक मनाया जाता है। यहां पर होली बसंत पंचमी के दिन से ही प्रारंभ हो जाती है और होली तक निरंतर चलती ही रहती है। इस उत्सव को दिव्य और भव्य बनाने के लिए कई दिनों पहले से ही तैयारियां प्रारंभ कर जाती है। वही वृंदावन के सुप्रसिद्ध ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में रंगभरी एकादशी के दिन से ठाकुर जी अपने भक्तों के साथ टेसू फूल से बने रंगों से होली खेलते हैं। वही इस विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए मंदिर के सेवायत नितिन सावरिया ने बताया कि ठाकुर बांके बिहारी लाल मंदिर में वैसे तो होली का आगाज बसंत पंचमी से ही हो जाता है, लेकिन रंगभरनी एकादशी से गीले रंगों का प्रयोग किया जाता है। इस दिन ठाकुर जी अपने कमर में फेटा बांध के गोपियों के साथ होली खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं और पिचकारी भर भर के अपने भक्तों पर प्रसाद रूपी टेसू फूल से बने रंग को उड़ाते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि हर वर्ष रंगभरनी एकादशी से पहले ही बाहर से टेसू के फूलों को मंगाया जाता है और उनको पानी में डुबोकर रखा जाता है। वही जब टेसू के फूल के अपना रंग छोड़ देते हैं, तो उस जल को रंग के रूप में प्रयोग किया जाता है। वहीं उन्होंने बताया कि टेसू के फूल से बने रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते हैं। जैसा देखा जाता है, कि आज के समय में प्रयोग किए जाने वाले रंगों से लोगों को काफी हानि हो जाती है, लेकिन टेसू के फूल से बने रंग से किसी भी भक्त को किसी प्रकार की हानि नहीं होती है।