Monday, November 25, 2024
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10 मार्च से प्रारंभ होगा रंगनाथ मंदिर का ब्रह्मोत्सव

मथुरा: श्याम बिहारी भार्गव। वृंदावन स्थित रामानुज संप्रदाय के प्रसिद्ध दिव्यदेश रंगनाथ मंदिर का दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव 10 मार्च से विविध धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ वैदिक परंपरानुसार आयोजित किया जा रहा है। ब्रज के अनूठे उत्सव को लेकर मंदिर प्रबंधन द्वारा दिव्याकर्षक तैयारिया की जा रही है। इस संबंध में रविवार को मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि रामानुज संप्रदाय की श्री वैष्णवीय परंपरा के प्रमुख दिव्यदेश में से एक श्री रंगनाथ मंदिर का अपनी विशिष्ट पूजा पद्धति के कारण उत्तर भारत के प्रमुखतम देवालयों में अलग स्थान है। मंदिर के पुरोहित विजय मिश्र ने बताया प्रथम दिवस 10 मार्च को प्रातः काल ठाकुर रंगनाथ भगवान स्वर्ण निर्मित पूर्ण कोठी में विराजित होकर भक्तो को कृतार्थ करेंगे। इसी क्रम में ठाकुर गोदारंगमन्नार भगवान प्रतिदिन स्वर्ण रजत निर्मित वाहन सूर्यप्रभा, चंद्रप्रभा, गरुण जी, हनुमान जी, पालकी, सिंह, अश्व, सिंहशार्दुल पर विराजित होकर दर्शन देते हैं। लेकिन मुख्य आकर्षण विशालकाय चंदन निर्मित रथ यानि रथ का मेला है। जो अपनी अद्भुत कला शैली के कारण भक्तों में लोकप्रिय है। मंदिर के स्वामी रघुनाथ ने बताया कि लगभग 50 फीट ऊंचे रथ में ठाकुर जी चैत्र कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर अपने परिकर के साथ विराजमान होकर भक्तो को कृतार्थ करते हैं। रथ के मेले से पूर्व दिवस होली का आयोजन होगा।जिसमे ठाकुर जी कांच के विमान पर सवार होकर भक्तो पर कृपा रंग बरसाते है। वहीं रथ के मेले के अगले दिन भगवान स्वर्ण निर्मित अश्व पर सवार होते हैं। जिसमें बड़ा बगीचा पर भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया जाता है। सवारी के मंदिर वापसी पर भील लूटन लीला का आयोजन किया जाएगा। समापन 19 मार्च को अद्वितीय पुष्पक विमान से होगा। तदोपरांत स्वर्ण स्तंभ पर विराजित भगवान के प्रमुख वाहन गरुण जी को वेद मंत्रों से विदाई दी जाती है।
इस वर्ष होली और हाथी की सवारी के समय में किया परिवर्तन
इस वर्ष ब्रह्मोत्सव में 15 मार्च को होने वाली रंगनाथ मंदिर की होली की सवारी और हाथी की सवारी के समय में परिवर्तन किया गया है। इस बार 15 मार्च को होली की सवारी प्रातः 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक निकलेगी। वहीं हाथी की सवारी का समय शाम 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक रहेगा। यह जानकारी मंदिर की सीईओ अनघा श्रीनिवासन ने दी।