नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। बाघ संरक्षण पर तीसरे समीक्षा सम्मेलन का उद्घाटन आज नई दिल्ली में हुआ। यह समीक्षा सम्मेलन की रेंज में तीसरा सम्मेलन है और यह 2012 के बाद भारत में आयोजित होने वाला दूसरा समीक्षा सम्मेलन है। सम्मेलन में बाघ रेंज के 13 देशों द्वारा वैश्विक बाघ पुनःप्राप्ति कार्यक्रम (जीटीआरपी) की स्थिति और वन्य जीव तस्करी से निपटने जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
केंद्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ, हर्षवर्धन ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि बाघ संरक्षण एक कर्तव्य है जिसे अच्छे ढंग से निभाना चाहिए और अधिक से अधिक नवाचारी उपाय किये जाने चाहिए ताकि हम रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 2010 में बाघ रेंज के देशों द्वारा अपनाए गए लक्ष्यों को बेहतर तरीके से प्राप्त कर सकें। डॉ. वर्धन ने कहा कि हमारी सोच का नया भारत न केवल मानव के लिए है बल्कि इसमें वन्यजीव सहित सभी पहलू शामिल हैं।
बाघ रेंज के देशों ने 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में घोषणा के दौरान 2022 तक अपनी-अपनी रेंज में बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प व्यक्त किया था। सेंट पीटर्सबर्ग चर्चा के समय भारत में 1411 बाघ होने का अनुमान था जो कि अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2014 के तीसरे चक्र के बाद दोगुना होकर 2226 हो गया है। ऐसा महत्वपूर्ण प्रदर्शन सूचकांकों (केपीआई) के अनुरूप काम करने से हुआ। इन सूचकांकों में बाघ के रिहायशी क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए कानून बनाना और जुर्मानों में वृद्धि करना है। अभी अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018 का चौथा चक्र जारी है।
2012 के बाद भारत में होने वाला यह दूसरा समीक्षा सम्मेलन है। तीसरे समीक्षा सम्मेलन में बाघ रेंज के 13 देशों द्वारा वैश्विक बाघ पुनः प्राप्ति कार्यक्रम (जीटीआरपी) की स्थिति और वन्य जीव तस्करी से निपटने जैसे विषयों पर चर्चा होगी। बाघ रेंज के देशों विशेषकर भारत के श्रेष्ठ व्यवहारों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस समीक्षा सम्मेलन से अलग भारत ने पडोसी बाघ रेंज देशों – बाग्लादेश, भूटान तथा नेपाल के साथ उपमहाद्वीप स्तर के बाघ अनुमान रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई है।
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