Tuesday, March 19, 2024
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लता जी के जीवन से सीख : भावी पीढ़ी के लिए

माँ शारदे की वृहद पुत्री स्वर कोकिला लता जी के जीवन का विश्लेषण हमें जीवन के बहुत सारे पक्षों पर सोचने और सीखने को प्रेरित करता है। वह लता जी जो सबके दिलों में चीर-स्थायी विराजमान रहेंगी। आइये हम उनके जीवन के कुछ पक्षों को उजागर कर उनसे सीखने का प्रयास करते है।
ज़िम्मेदारी उठाना सीखे:- लता जी के पिताजी ने अपने अंतिम समय में उन्हें घर की बागडोर दी थी। उस तेरह वर्ष की किशोरी ने छोटे-छोटे चार भाई-बहनों के पालन की ज़िम्मेदारी को सहज स्वीकार किया। जीवन पर्यंत अविवाहित रही और अपना पूरा जीवन उन चारों को समर्पित किया। आज उनके परिवार की जगह समाज के प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है। यह भी उनकी सफलता का एक महत्वपूर्ण आयाम है।

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प्रदेश सरकार की खेल नीति से, खिलाड़ियों में खेलों के प्रति बढ़ा रूझान

मानव इस भूमण्डल का सबसे महत्वपूर्ण प्राणी है। मानव में अन्य प्राणियों की अपेक्षा सोचने-समझने, चिन्तन करने की शक्ति अधिक होती है किन्तु मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ शारीरिक शक्ति होना भी जरूरी है। जीवन की पहली आवश्यकता स्वस्थ शरीर है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम, व्यायाम, योग एवं खेलकूद आवश्यक है। खेल चाहे किसी भी तरह का हो उससे शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के साथ गहराई से जुड़ा है। खेल एक शारीरिक क्रिया है, जिसके तरीके और नाम अलग हैं। खेल मनुष्य के अन्दर प्रेरणा, साहस, उत्साह, अनुशासन, स्वस्थ स्पर्धा और एकाग्रता लाता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के वृद्धि तथा विकास के साथ ही खेल देश के लिए भी उपयोगी है। खेल मनुष्य में अच्छी भावना, समानता और सामूहिकता का भाव लाता है।

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पैरालम्पिक में दो पदक जीतना सभी बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है अवनि का गोल्डन सफर

टोक्यो पैरालम्पिक में भारतीय खिलाडि़यों ने कमाल का प्रदर्शन किया और सबसे बड़ा कारनामा कर दिखाया भारत की पैरा शूटर अवनि लखेरा ने, जो 5 सितम्बर को पैरालम्पिक के समापन समारोह में भारतीय ध्वजवाहक बनी। दरअसल अवनि ने इस पैरालम्पिक में दो-दो पदक जीतकर ऐसा इतिहास रच डाला, जो अब तक ओलम्पिक या पैरालम्पिक के इतिहास में भारत की कोई भी महिला खिलाड़ी नहीं कर सकी है। भारतीय निशानेबाज अवनि लखेरा ने टोक्यो पैरालम्पिक में 30 अगस्त को हुई निशानेबाजी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था, जो पैरालम्पिक्स के इतिहास में भारत का शूटिंग में पहला स्वर्ण पदक था।

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अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र/छात्राओं हेतु नेशनल स्कालरशिप पोर्टल (NCP) पर

कानपुर नगर। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पी0एन0 सिंह ने बताया है कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक एवं मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत अल्पसंख्यक वर्ग (मुस्लिम, सिक्ख, बौद्ध, जैन, पारसी एव क्रिस्चन) के छात्र/छात्राओं हेतु नेशनल स्कालरशिप पोर्टल (एन0एस0पी0) पर आनलाईन आवेदन करने की समय सारिणी जारी कर दी गयी है जो निम्न प्रकार है।

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अभिनेता सुशांत सिंह फिर सिद्धार्थ शुक्ला..! कहीं यह साज़िश तो नहीं ?

फिल्म अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला अब हमारे बीच नही हैं ।ऐसा लिखने और कह सकने के लिए दिल अब भी गवाही नही दे रहा, पर लिखना तो पड़ेगा ही मानना तो पड़ेगा ही..!
व्यस्तता के बीच जैसे ही मैने मोबाइल ऑन किया एक प्रतिभाशाली सुंदर, सुडौल, उम्मीदों से भरे एक दमकते- चमकते सितारे के असमय चले जाने की खबरों से मन दहल गया। आंखे सजल हो उठीं। मन मे न जाने कितनी तरह की बातें उमड़-घुमड़ कर चल रही हैं। गत वर्ष सुशांत सिंह राजपूत के असमय काल के गाल में समाहित हो जाने की खबरों ने हम सबको झकझोर के रख दिया और अब सिद्धार्थ के इस तरह से काल कंलवित हो जाना बेहद निराशा जनक है।

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पैरालम्पिक टेबल टेनिस में पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं भाविना नारी शक्ति के लिए प्रेरणा

भारत की नारी शक्ति विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने के अलावा अब खेलों में भी लगातार इतिहास रच रही है और देश की आधी आबादी को अपने-अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पूरी हिम्मत और हौंसला प्रदान कर रही है। पिछले दिनों टोक्यो ओलम्पिक में भारत की महिला हॉकी टीम भले ही पदक जीतने में सफल नहीं हो सकी थी किन्तु सभी महिला खिलाडि़यों ने जिस बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया था, उससे समूचा राष्ट्र उनका मुरीद हो गया। ओलम्पिक में मीराबाई चानू, पीवी सिंधु तथा लवलीना बोरगोहेन ने तो पदक जीतकर खेलों की दुनिया में नारी शक्ति की बढ़ती ताकत का स्पष्ट अहसास कराया ही था।

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राष्ट्रीय खेल दिवस पर भारत में लॉन्च हुआ फिट इंडिया मोबाइल ऐप

135 करोड़ भारतीयों के लिए लॉन्च किया गया फिट इंडिया मोबाइल ऐप भारत का सबसे व्यापक फिटनेस मोबाइल ऐप है: अनुराग ठाकुर
फिट इंडिया ऐप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध है और यह निःशुल्क है
नई दिल्ली। आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, फिट इंडिया मूवमेंट की दूसरी वर्षगांठ मनाने के क्रम में केन्द्रीय युवा कार्य एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली में फिट इंडिया मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में युवा कार्य एवं खेल राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक भी शामिल हुए। इस अवसर पर खेल सचिव रवि मित्तल और युवा कार्य सचिव उषा शर्मा भी उपस्थित थीं। फिट इंडिया ऐप शुभारंभ कार्यक्रम से पहले अनुराग ठाकुर ने स्टेडियम में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। श्री निसिथ प्रमाणिक ने भी सम्मान जताया।

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बुलंद हौंसलों के साथ आयरन लेडी बनकर उभरी चानू

टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू हुए ओलम्पिक खेलों में पहले ही दिन भारतीय महिला खिलाड़ी मीराबाई चानू द्वारा देश के लिए पहला पदक जीतना हर भारतीय के लिए बेहद गौरवान्वित करने वाला पल था और अब पीवी सिंधु ने इस खुशी को दोगुना कर दिया है। वैसे ओलम्पिक खेलों में भारत के लिए मीराबाई चानू की जीत से अच्छी शुरुआत नहीं हो सकती थी। हालांकि 2016 के रियो ओलम्पिक में हार के बाद चानू को गहरा सदमा लगा था और उस हार के बाद वह इस कदर टूट गई थी कि उन्हें लगने लगा था कि ओलम्पिक में उनका सफर वहीं खत्म हो गया है।

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सेहत के प्रति जागरूकता उम्र में बीस साल बढ़ोतरी

आजकल इंसान कई बीमारियों का शिकार होते मौत से पहले ही मर रहे है। कैंसर, किडनी खराब होना और हार्ट अटेक अब मलेरिया और शर्दी खांसी की तरह आम बीमारीयां हो गई है। अच्छी सेहत के लिए अच्छा, पौष्टिक और साफ़ सुथरे तरीके से बनाया गया खाना ही ताउम्र तनमन को स्वस्थ रखता है।
आजकल दूषित खाना खाने की वजह से बहुत ज्यादा लोग बीमारियों के शिकार हो रहे है। सबसे ज्यादा जो बीमारिया दूषित भोजन की वजह से होती है। नोरोवायरस संक्रमण, डायरिया, फूड प्वाइजनिंग सहित अन्य बीमारियों का खतरा दूषित खाने से बढ़ता जाता है।

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शिवम सुरेश नांदवाल के लिए दुनिया उसका कैनवास है

हिसार की रहने वाली लेखिका और रेडियो एंकर उनकी माँ बिदामो देवी ने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे अपने बच्चों में रचनात्मकता को सही माहौल प्रदान करके और उनके जुनून में शामिल होने की अनुमति दें। “हर छोटे से प्रोत्साहन से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है। हमें अपने बच्चों के लिए घर में सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए। शिवम के चित्रों से मुझे उम्मीद है कि समय बेहतर होगा, ”उन्होंने कहा।
कई छात्रों की तरह लार्ड शिवा हाई स्कूल, लुदास, हिसार के एक छात्र शिवम सुरेश नांदवाल (12) को भी अपने मित्रों और स्कूल से अलग होना पड़ा जब स्कूल लगातार दूसरी बार नहीं खुले। वह उन अनगिनत बच्चों में से एक है जिन्हें स्कूल जाने वाले छात्रों के साथ-साथ परस्पर मित्रता एवं विश्‍वास की भावना पर भी हारना पड़ा है। लेकिन उन्होंने एक अंतर बनाने के लिए चुना और लॉकडाउन की गिनती को चैलेंज कर दिया।

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