आज के समय में शिक्षा को ज्ञान का माध्यम कम और व्यवसाय का जरिया अधिक समझा जाने लगा है। निजी स्कूल, जो कभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रतीक माने जाते थे, अब अभिभावकों की जेब पर बोझ बनते जा रहे हैं। कापी-किताबों की आड़ में इन स्कूलों द्वारा की जा रही लूट किसी डकैती से कम नहीं है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो न केवल शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल उठाता है, बल्कि समाज के मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए गम्भीर संकट पैदा कर रहा है।
हर साल नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही निजी स्कूलों की ओर से किताबों, कॉपियों और स्टेशनरी की लम्बी फेहरिस्त अभिभावकों के सामने पेश कर दी जाती है। ये सामग्रियां न केवल महंगी होती हैं, बल्कि इन्हें खरीदने के लिए अभिभावकों को स्कूल द्वारा निर्धारित दुकानों या प्रकाशकों तक सीमित कर दिया जाता है। बाजार में उपलब्ध सस्ते और समान गुणवत्ता वाले विकल्पों को दरकिनार कर स्कूल प्रबंधन अपनी मर्जी थोपता है। यह स्पष्ट है कि इसके पीछे कमीशन और मुनाफाखोरी का खेल चल रहा है। क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है कि बच्चों के भविष्य के नाम पर उनके माता-पिता को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए?
यह शोषण यहीं तक सीमित नहीं है। हर साल पाठ्यक्रम में मामूली बदलाव कर नई किताबें खरीदने की बाध्यता थोपी जाती है, भले ही पुरानी किताबें उपयोगी हों। इसके अलावा, स्कूलों द्वारा आयोजित गतिविधियों, वर्कशॉप और अन्य शुल्कों के नाम पर भी अभिभावकों से अतिरिक्त वसूली की जाती है। एक तरफ सरकार शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने की बात करती है, वहीं निजी स्कूलों की यह मनमानी उस सपने (सरकार की मंशा) को चकनाचूर कर रही है।
शिक्षा
परीक्षा (अर्थशास्त्र) सफलता हेतु कैसे करें तैयारी ?
प्यारे बच्चों, परीक्षा का उद्देश्य आपको बुद्धिहीन समझना या असफल करना नहीं होता अपितु यह जानना होता है कि आपके पाठ्यक्रम में जो कुछ है उसकी आपको कितनी समझ है। इसलिये प्रश्नपत्र सदैव पाठ्यक्रम पर आधारित होते हैं। सीबीएसई कक्षा 12 के अर्थशास्त्र के पेपर में अच्छे अंक लाने हैं तो आपको अपनी पढ़ाई से पहले एक खास रणनीति बनानी/अपनानी होगी-
कुल 100 अंक के पेपर में 80 फीसदी अंक की लिखित परीक्षा होती है। जिसमें 20 नं0 के एम0सी0क्यू0 प्रश्न व 60 नं0 के लघु व दीर्घउत्तरीय प्रश्न होते हैं। 20 प्रतिशत अंक प्रोजेक्ट व मौखिक परीक्षा के होते हैं जो विद्यालय के स्तर पर होते हैं। अच्छी तैयारी के लिये इन बातों पर ध्यान दें।
परीक्षा से पूर्व की पुनरावृत्ति प्रबंधन के अन्तर्गत सर्वप्रथम उन पाठों का चयन कीजिये जिनसे किसी भी चित्र या गणना की जरूरत नहीं होती। यह प्रश्न आसान होते हैं और सीधे पूछे जाते हैं। अनुत्तीर्ण होने की संभावना समाप्त हो जाती है। जैसे मुद्रा, बैंकिंग, बजट, भुगतान, संतुलन आदि। (मैक्रो अर्थशास्त्र)
यदि कम अंक और अधिक अंक वाले प्रश्नों पर अलग-अलग ध्यान दें तो अच्छे अंक आ सकते हैं।
परीक्षा (अर्थशास्त्र) सफलता हेतु कैसे करें तैयारी ?
प्यारे बच्चों, परीक्षा का उद्देश्य आपको बुद्धिहीन समझना या असफल करना नहीं होता अपितु यह जानना होता है कि आपके पाठ्यक्रम में जो कुछ है उसकी आपको कितनी समझ है। इसलिये प्रश्नपत्र सदैव पाठ्यक्रम पर आधारित होते हैं। सीबीएसई कक्षा 12 के अर्थशास्त्र के पेपर में अच्छे अंक लाने हैं तो आपको अपनी पढ़ाई से पहले एक खास रणनीति बनानी/अपनानी होगी-
कुल 100 अंक के पेपर में 80 फीसदी अंक की लिखित परीक्षा होती है। जिसमें 20 नं0 के एम0सी0क्यू0 प्रश्न व 60 नं0 के लघु व दीर्घउत्तरीय प्रश्न होते हैं। 20 प्रतिशत अंक प्रोजेक्ट व मौखिक परीक्षा के होते हैं जो विद्यालय के स्तर पर होते हैं। अच्छी तैयारी के लिये इन बातों पर ध्यान दें।
परीक्षा से पूर्व की पुनरावृत्ति प्रबंधन के अन्तर्गत सर्वप्रथम उन पाठों का चयन कीजिये जिनसे किसी भी चित्र या गणना की जरूरत नहीं होती। यह प्रश्न आसान होते हैं और सीधे पूछे जाते हैं। अनुत्तीर्ण होने की संभावना समाप्त हो जाती है। जैसे मुद्रा, बैंकिंग, बजट, भुगतान, संतुलन आदि।
नीट परीक्षा विवाद… आखिर क्यों ?
UGC-NET परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया है कि UGC-NET की परीक्षा 21 अगस्त से 4 सितंबर के बीच में होने वाली है, इसके साथ-साथ ज्वाइंट CSIR-UCG NET की परीक्षा जुलाई 25 से 27 जुलाई के बीच में होने वाली है। इसी कड़ी में NCET परीक्षा 10 जुलाई को करवाई जाएगी। बड़ी बात यह है कि इन परीक्षाओं को इस बार ऑनलाइन करवाया जा रहा है क्योंकि पिछली बार UGC-NET की परीक्षा ऑफलाइन करवाई गई थी।
हर साल लाखों छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए NEET की परीक्षा देते हैं। NEET परीक्षा विवाद के बाद लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 5 मई को देशभर से करीब 23 लाख स्टूडेंट्स ने यह परीक्षा दी थी, लेकिन पेपरों की बिक्री से लेकर अंकों के अवैध वितरण की ग्रेस पद्धति और परिणामों की घोषणा तक हर स्तर पर घोटाला हुआ।
नीट परीक्षा मानसिक योग्यता का परिक्षण होता है।
एक परीक्षा 23 लाख छात्र और बहुत से सवाल। 50 हजार रूपए की पुस्तकें, लाखों रुपए कोचिंग फीस के बाद 12-12 घंटे तक बच्चों की पढ़ाई और उसके बाद हजारों प्रश्नों में से 180 प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके उत्तर छात्रों को देने होते हैं। फिर मेरिट लिस्ट बनने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है।
इन घोटालों के चलते इस साल नीट परीक्षा में टॉपर्स की संख्या 67 तक पहुंच गई जबकि पिछले साल टॉपर्स की यही संख्या सिर्फ दो थी।
दीक्षांत समारोह में आकांक्षा को मिली डॉक्टरेट की उपाधि
शिकोहाबादः जन सामना संवाददाता। शिक्षण संस्थान दयालबाग आगरा में आयोजित 42 वें दीक्षांत समारोह में नगर की बेटी आकांक्षा यादव ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर नगर का नाम रोशन किया। छात्रा की इस उपलब्धि पर उसको बधाई देने वाला का तांता लगा रहा।
आकांक्षा नगर के वंशीपुरम कॉलोनी निवासी दिनेश यादव एवं निर्मला यादव की पुत्रवधू हैं। उसने पीएचडी के दौरान अपना शोध कार्य प्रोफेसर वीके गंगल(डीन फैकल्टी ऑफ कॉमर्स) के निर्देशन में पूरा किया। छात्रा ने विश्वविद्यालय में शोध के दौरान तीन शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए। उन्होंने लगभग 10 राष्ट्रीय एवं अंतरर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आदि में भी प्रतिभाग किया। पीएचडी के दौरान छात्रा ने इंडियन काउंसिल ऑफ साइंस एड रिसर्च (आईसीएसएसआर) द्वारा फैलोशिप भी प्राप्त की। वहपूर्व में तीन बार नैट की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुकी है और दो वर्ष तक राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय अलवर में बतौर सहायक आचार्य शिक्षण प्रदान कर चुकी हैं।
मोनिका ने जेआरएफ नेट पास कर नगर का मान बढ़ाया
शिकोहाबादः जन सामना संवाददाता। नगर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जिसे सही प्लेटफार्म मिल जाता है, वही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर अपना, परिवार का और नगर का मान बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ता।
नगर के मोहल्ला आवास विकास कालोनी निवासी रवि यादव राजकीय ठेकेदार विधुत विभाग की बेटी मोनिका यादव ने जेआरएफ नेट राजनीति शास्त्र सामान्य कैटागिरी में उत्तीर्ण कर नगर का नाम रोशन किया है। मोनिका यादव ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ ही गुरुजनों और अपनी मेहनत को दिया है। मोनिका की इस सफलता पर उसको बधाई देने वाले बधाई दे रहे हैं। परिजनों ने बेटी की इस उपलब्धि पर उसको मिष्ठान खिला कर उसका मुंह मीठा कराया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में डीपफेक एक बड़ी चुनौती
डीप फेक का गलत इस्तेमाल हर क्षेत्र में होने लगा है, डीप फेक लोकतंत्र के लिये खतरा है। डीप फेक मतदाता के मन को बदल सकता है।
डीपफेक द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ सबसे पहले विश्वास और प्रतिष्ठा का क्षरण करती है। डीपफेक का इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और सामाजिक अशांति भड़काने के लिए किया जा सकता है। एक बार जब कोई डीपफेक वीडियो वायरल हो जाता है, तो नुकसान को रोकना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि लोग वास्तविक और हेरफेर की गई सामग्री के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। व्यक्तियों और समाज के लिए खतरा अब सिर पर आकर खड़ा हो गया है। डीपफेक का इस्तेमाल साइबर बुलिंग, ब्लैकमेल और यहां तक कि चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए भी किया जा सकता है। इसके दुरुपयोग से व्यक्तियों और समाज को नुकसान पहुंचने की संभावना बहुत अधिक है। पता लगाने और जिम्मेदार ठहराने में कठिनाई पहले से ज्यादा बढ़ गयी है। डीपफेक का परिष्कार लगातार विकसित हो रहा है, जिससे उनका पता लगाना और उनका पता लगाना कठिन होता जा रहा है। यह कानून प्रवर्तन और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के लिए एक चुनौती है। कानूनी और नैतिक विचार कमजोर पड़ते दिखाई दे रहें है। डीपफेक के उद्भव ने गोपनीयता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की सीमाओं के संबंध में जटिल कानूनी और नैतिक प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
डीपफेक ऐसे वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग हैं, जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करके हेरफेर किया जाता है, ताकि यह प्रतीत हो सके कि कोई कुछ ऐसा कह रहा है या कर रहा है जो उन्होंने कभी नहीं किया।
ब्रेनोब्रेन वंडरकिड प्रतियोगिता में मान्य सोनी ने जीता गोल्ड मेडल
मथुरा । एलीट न्यू जनरेशन स्कूल मथुरा की कक्षा-4 की मेधावी छात्रा मान्या सोनी ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ‘ब्रेनोब्रेन वन्डरकिड-2023’ प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल अर्जित कर विद्यालय,परिवार एवं शहर का नाम गौरवान्वित किया है।
मान्या सोनी कृष्णा नगर निवासी समाज सेवी नवीन सोनी अध्यक्ष सलाहकार बोर्ड दहेज प्रतिषेध अधिनियम व अध्यापिका डा गुंजन सोनी की पुत्री है यह प्रतियोगिता शैक्षिक संस्था ब्रेनोब्रेन किड्स एकेडमी प्राईवेट लिमिटेड के तत्वावधान में आयोजित हुई। इस प्रतियोगिता में देश भर के 1500 से अधिक विद्यालयों के लगभग 50000 छात्रों ने प्रतिभाग किया जिसमें उनकी पुत्री मान्या सोनी ने मेन्टल मैथ्स, लॉजिकल एबिलिटी, जनरल नॉलेज एवं स्पीड टाइपिंग में अपनी दक्षता का प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल अर्जित किया। प्रतियोगिता के आयोजकों ने इस प्रतिभाशाली छात्रा की बहुमुखी प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए गोल्ड मेडल व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। एलीट न्यू जनरेशन स्कूल के प्रधानाचार्य व सभी शिक्षक शिक्षिकाओ ने इस मेधावी छात्रा को आशीर्वाद देते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की है।यह प्रतियागिता छात्रों को बौद्धिक क्षमता पर ध्यान केन्द्रित करने तथा त्वरित गति से समाधान ढूढ़ने एवं सीखने की क्षमता का विकास करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।
प्रतियोगिता में एक सामान्य पेपर शामिल था जिसमें मानसिक गणित, तार्किक क्षमता, सामान्य ज्ञान और स्पीड टाइपिंग/हैंडराइटिंग के क्षेत्रों के तहत बहुविकल्पीय प्रश्न हैं।
अभियान चलाकर लड़कियों को शिक्षा के लिए किया प्रेरित
लखनऊ। एजुकेट गर्ल्स एक गैर-लाभकारी संस्था है जो भारत के ग्रामीण और शैक्षिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों की शिक्षा के लिए समुदायों को जुटाने पर अपना ध्यान केंद्रित करती है। संस्था लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच और गुणवत्ता में सुधार करने के लक्ष्य के साथ उत्तर प्रदेश में कार्य कर रही है। पिछले कुछ महीनों से संस्था ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर नामांकन अभियान के जरिए 37320 लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया है ।
जानकारी दी गई कि नामांकन अभियान के लिए संस्था ने 275238 घरों मे सर्वे किया था। नामांकन अभियान में स्कूल प्रबंधन समिति की कुल 1640 बैठकों के साथ 2420 ग्राम शिक्षा सभा और मोहल्ला मीटिंग्स का आयोजन किया गया। संस्था ने यह अभियान चित्रकूट, कौशांबी, बांदा, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, सोनभद्र, प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर, महाराजगंज, कुशीनगर, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर जिलों में प्रशासन की अमूल्य मदद से सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है।
एजुकेट गर्ल्स संस्था के ऑपरेशन्स हेड विक्रम सिंह सोलंकी ने कहा, “संस्था शिक्षा से वंचित बालिकाओं को स्कूल से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार और प्रशासन के साथ एक सहज साझेदारी के माध्यम से, शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने और नामांकन बढ़ाने के लिए यह अभियान शुरू किया गया था।
छिन्दवाड़ा : एक विद्यालय की सफलता की कहानी
“जो कभी सुविधाहीन था अब बुनियादी सुविधाएँ व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आसपास के क्षेत्र में चर्चित है ।”
छिन्दवाड़ा। विद्यार्थी अपने जीवन के अमूल्य ज्ञान, शिक्षा एवं जीवन में उन्नत शिखर तक पहुचने के लिए विद्यालय से ही अंकुरित होता है जो आगे एक सुसज्जित रूप में अपने आप को ढ़ालता है यानि संक्षेप में कहें तो विद्यार्थिओं को जिस प्रकार का स्कूली माहौल एवं शिक्षा दी जाए उनके जीवन को सुद्रण करने में वह वैसा की सफलता के आयाम हासिल करेगा।
आइये आज हम आपको एक ऐसी वास्तवित एक विद्यालय की सफलता है की कहानी से परिचित कराते है जो जिसे पढ़कर या सुनकर अन्य विद्यालयों एवं विद्यार्थिओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी।
मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिला जो कि सतपुड़ा अंचल में बसा जिला है जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए जाना जाता है । जिला मुख्यालय से महज 13 किमी की दूरी पर एक विद्यालय है जिसकी स्थापना करीब 1965 के दशक में हुई होगी । गाँव के बड़े बुजुर्गों के अनुसार सबसे पहले यहाँ स्कूल गाँव में किसी घर में शुरू हुआ, गाँव वाले एक बहुत पुराने स्कूल शिक्षक का नाम लेते थे जिन्होंने स्कूल की स्थापना करी उनका नाम था श्री अवस्थी गुरूजी, उन्होंने यहा बच्चों के लिए शिक्षा का पदार्पण किया । इसके बाद अनेक शिक्षकों ने इस गाँव में अनेक सेवा दी गाँव की शिक्षा को सफल बनाने का कार्य किया ।