Tuesday, March 19, 2024
Breaking News
Home » महिला जगत

महिला जगत

‘लैंगिक भेदभाव’ विषयक व्याख्यान कार्यक्रम का किया आयोजन

कानपुर नगरः जन सामना ब्यूरो। क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में विमेन डेवलपमेंट एंड जेंडर सैसटाइजेशन सेल द्वारा लैंगिक भेदभाव अर्थात जेंडर सेंसटाइजेशन विषयक एक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के प्राचार्य प्रो0 जोसेफ डेनियल के दिशानिर्देशन में किया गया। सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की प्रोफेसर एंड डीन कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ0 अंशु यादव रहीं। वहीं कार्यक्रम का संचालन डॉ अंकिता लाल ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत उप प्रचार्या प्रो0 सबीना बोदरा ने ईश्वर आराधना के साथ की। इस मौके पर महिला सेल की संयोजिका प्रो0 शिप्रा श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण देकर सभी का स्वागत किया।
मुख्यवक्ता डॉ0 अंशु यादव ने छात्र छात्राओं को समाज में व्याप्त जेंडर सेंसटाइजेशन यानीकि लैंगिक भेदभाव के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया और हमारे समाज में प्रचलित विभिन्न रूढ़ियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुये बालक एवं बालिका अर्थात दोनों के लिए शिक्षा के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।
इस दौरान प्रो0 अंशु यादव को स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन प्रो सूफिया शहाब ने किया।

Read More »

आज समाज में महिलाएं स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तत्पर हैं: परियोजना प्रमुख

पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एनटीपीसी ऊंचाहार में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। एनटीपीसी ऊंचाहार की महिला कर्मियों व प्रियदर्शिनी लेडीज़ क्लब की वरिष्ठ सदस्याओं के लिए एक वेबिनार का भी आयोजन किया गया। इस वेबिनार का विषय श्इन्सपायर इन्क्लूजनश् रहा। महिला कर्मियों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया। इस अवसर पर महिला सशक्तिकरण पर केन्द्रित एक प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर केक काटकर सभी का मुंह मीठा करवाया गया।
महिला दिवस के इस खास अवसर पर मूंज क्राफ्ट प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत नैगम सामाजिक दायित्व के तहत चलने वाले मूंज प्रशिक्षण के प्रशिक्षुओं को स्वयं बनाए गए मूंज के उत्पादों को बेचने का अवसर प्राप्त हुआ। उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर एनटीपीसी ऊंचाहार के कर्मचारियों ने भारत सरकार के संकल्प वोकल फॉर लोकल को बल देते हुए बढ़ी संख्या में मूंज उत्पादों को खरीदकर ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बढ़ाने में सहायक भूमिका निभाई।
इसके साथ ही महिला संविदाकर्मियों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। जिसमें जीवन ज्योति चिकित्सालय की मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मधु सिंह, डॉ. रंजना केरकेट्टा व डॉ. बबीता ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर व अशुद्ध पानी के सेवन से होने वाली बीमारियों के क्या लक्षण और उपचार हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व परियोजना प्रमुख मनदीप सिंह छाबड़ा ने कहा कि मुझे इस बात की बहुत अधिक प्रसन्नता है कि समाज में महिलाएं स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तत्पर हैं। एनटीपीसी में करियर की दृष्टि से महिलाओं के लिए समान अवसर और आगे बढ़ने की सुस्पष्ट नीति है, जिसका लाभ लेते हुए महिला कर्मचारी अपने करियर के शिखर पर पहुंच रही हैं तथा राष्ट्र को विद्युत के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महिलाएं अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रही हैं।

Read More »

क्यों महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष कर रही हैं?

जिस दिन किसी भी क्षेत्र में आवेदक अथवा कर्मचारी को उसकी योग्यता के दम पर आंका जाएगा ना कि उसके महिला या पुरुष होने के आधार पर, तभी सही मायनों में हम महिला दिवस जैसे आयोजनों के प्रयोजन को सिद्ध कर पाएंगे।
ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में मानव के रूप में जन्म लेना एक दुर्लभ सौभाग्य की बात होती है। और जब वो जन्म एक स्त्री के रूप में मिलता है तो वो परमसौभाग्य का विषय होता है। क्योंकि स्त्री ईश्वर की सबसे खूबसूरत वो कलाकृति है जिसे उसने सृजन करने की पात्रता दी है।
सनातन संस्कृति के अनुसार संसार के हर जीव की भांति स्त्री और पुरुष दोनों में ही ईश्वर का अंश होता है लेकिन स्त्री को उसने कुछ विशेष गुणों से नवाजा है। यह गुण उसमें नैसर्गिक रूप से पाए जाते हैं जैसे सहनशीलता, कोमलता, प्रेम,त्याग, बलिदान ममता। यह स्त्री में पाए जाने वाले गुणों की ही महिमा होती है कि अगर किसी पुरुष में स्त्री के गुण प्रवेश करते हैं तो वो देवत्व को प्राप्त होता है लेकिन अगर किसी स्त्री में पुरुषों के गुण प्रवेश करते हैं तो वो दुर्गा का अवतार चंडी का रूप धर लेती है जो विध्वंसकारी होता है। किंतु वही स्त्री अपने स्त्रियोचित नैसर्गिक गुणों के साथ एक गृहलक्ष्मी के रूप में आनपूर्णा और एक माँ के रूप में ईश्वर स्वरूपा बन जाती है।
देखा जाए तो इस सृष्टि के क्रम को आगे बढाने की प्रक्रिया में जो जिम्मेदारियां ईश्वर ने एक स्त्री को सौंपी हैं उनके लिए एक नारी में इन गुणों का होना आवश्यक भी है। लेकिन इसके साथ ही हमारी सनातन संस्कृति में शिव का अर्धनारीश्वर रूप हमें यह भी बताता है कि स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं प्रतिद्वंद्वी नहीं और स्त्री के ये गुण उसकी शक्ति हैं कमजोरी नहीं।

Read More »

भारतीय नारी के उत्पीड़न का समाधान

हर साल वूमेन डे पर स्त्री विमर्श लिखते हुए सोचती हूॅं अगले साल स्त्री स्वतंत्रता पर लिखूॅंगी। लेकिन विमर्श का समाधान होता ही नहीं और अगले साल भी वही प्रताड़ना का मंज़र पन्नों पर उकेरना पड़ता है। जानें कब करवट लेगी ज़िंदगी कमज़ोर शब्द से उलझते थकी महिलाओं की, सदियों से चले आ रहे स्त्री विमर्श पर अब तो पटापेक्ष हो।
‘उत्पीड़न की आदी मत बन पहचान अपनी शख़्सियत को, ए नारी तू संपूर्ण अधिकारी है खुलवा सारी वसीयत को’
भले ही आज हम खुद को खुले विचारों वाले आधुनिक समाज का हिस्सा समझे पर साहित्य के पन्नों को ‘स्त्री विमर्श’ विषय शायद बहुत पसंद है, तभी तो सदियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक मानसिकता के चलते आज भी कहीं न कहीं महिलाएँ उत्पीड़न का शिकार होती रहती है। क्यूँ कोई इस विषय वस्तु के समापन और समाधान की दिशा में कदम नहीं बढ़ाता।
आने वाली आधुनिक पीढ़ी की लड़कियाँ याद रखो। महिलाओं के त्याग, हुनर, सहनशीलता और समझदारी को याद रखना परिवार, समाज और इतिहास ने कभी न जरूरी समझा है, न कभी समझेगा। ‘निगरानी, दमन, बंदिशें या असमानता की चक्की में पीसते सदियों से स्त्री कमज़ोर ही कहलाई है।’
लड़कियाँ अपना कर्तव्य निभाते परिवार के लिए ज़िंदगी खर्च करते लड़की से औरत बन जाती है।

Read More »

विकास की बदलती तस्वीर में महिलाओं की भागीदारी

भारत एक सम्पन्न परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध देश है, जहां महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है। ग्रामीण परिदृश्य में महिलाओं की बड़ी आबादी है। आजादी के बाद महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ा, लेकिन उनके सशक्तिकरण की गति दशकों तक धीमी रही। गरीबी व निरक्षरता महिलाओं की प्रगति में गंभीर बाधा रही हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल के माध्यम से महिलाओं को व्यवसाय की ओर प्रोत्साहित कर इन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ किया जा सकता है। विशेषकर कृषि प्रसंस्करण उद्योगों, बैंकिंग सेवाओं और डिजिटलीकरण की सहायता से महिलाओं के सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण की शुरुआत की जा सकती है।
भारतीय महिलाएं ऊर्जा से लबरेज, दूरदर्शिता, जीवन्त उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में “हमारे लिए महिलाएं न केवल घर की रोशनी हैं, बल्कि इस रौशनी की लौ भी हैं”। अनादि काल से ही महिलाएं मानवता की प्रेरणा का स्रोत रही हैं। मदर टेरेसा से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने बड़े पैमाने पर समाज में बदलाव के बडे़ उदाहरण स्थापित किए है।
एक समय था जब महिलाएँ चार दिवारी तक सिमित थी, घर परिवारों के दायित्वों के इर्दगिर्द सारा जीवन निर्वाह हो जाता था। समय एवं परिस्थिति के अनुसार आज यह परिवेश में काफी बदलाव आया है। आजादी के बाद महिलाओं की शिक्षा के साथ-साथ रोजगार, राजनीति, आदि में सहभागिता ने देश विकास को एक धुरी प्रदान की है।
महिलाओं में जन्मजात नेतृत्व गुण समाज के लिए संपत्ति हैं। “जब एक आदमी को शिक्षित होता हैं, तो वह एक आदमी शिक्षित होता है हैं परन्तु जब एक महिला को शिक्षित होती है तो मान लीजिये एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं”। भारतीय इतिहास महिलाओं की उपलब्धि से भरा पड़ा है।

Read More »

लैंगिक समानता का मूल चिंतन

ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में मानव के रूप में जन्म लेना एक दुर्लभ सौभाग्य की बात होती है और जब वो जन्म एक स्त्री के रूप में मिलता है तोवो परमसौभाग्य का विषय होता है क्योंकि स्त्री ईश्वर की सबसे खूबसूरत वो कलाकृति है जिसे उसने सृजन करने की पात्रता दी है। सनातन संस्कृति के अनुसार संसार के हर जीव की भांति स्त्री और पुरुष दोनों में ही ईश्वर का अंश होता है लेकिन स्त्री को उसने कुछ विशेष गुणों से नवाजा है। यह गुण उसमें नैसर्गिक रूप से पाए जाते हैं जैसे सहनशीलता, कोमलता, प्रेम, त्याग, बलिदान, ममता। यह स्त्री में पाए जाने वाले गुणों की ही महिमा होती है कि अगर किसी पुरुष में स्त्री के गुण प्रवेश करते हैं तो वो देवत्व को प्राप्त होता है लेकिन अगर किसी स्त्री में पुरुषों के गुण प्रवेश करते हैं तो वो दुर्गा का अवतार चंडी का रूप धर लेती है जो विध्वंसकारी होता है। किंतु वही स्त्री अपने स्त्रियोचित नैसर्गिक गुणों के साथ एक गृह लक्ष्मी के रूप में आनपूर्णा और एक माँ के रूप में ईश्वर स्वरूपा बन जाती है।
देखा जाए तो इस सृष्टि के क्रम को आगे बढाने की प्रक्रिया में जो जिम्मेदारियां ईश्वर ने एक स्त्री को सौंपी हैं उनके लिए एक नारी में इन गुणों का होना आवश्यक भी है। लेकिन इसके साथ ही हमारी सनातन संस्कृति में शिव का अर्धनारीश्वर रूप हमें यह भी बताता है कि स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं प्रतिद्वंद्वी नहीं और स्त्री के ये गुण उसकी शक्ति हैं कमजोरी नहीं। भारत तो वो भूमि रही है जहां प्रभु श्री राम ने भी सीता माता की अनुपस्थिति में अश्वमेध यज्ञ उनकी सोने की मूर्ति के साथ किया था। भारत की संस्कृति तो वो है जहाँ कृष्ण भगवान को नन्दलाल कहा जाता था तो वो देवकी नंदन और यशोदा नन्दन भी थे। श्री राम दशरथ नन्दन थे तो कौशल्या नन्दन होने के साथ साथ सियावर भी थे। भारत तो वो राष्ट्र रहा है जहाँ मैत्रैयी गार्गी इंद्राणी लोपमुद्रा जैसी वेद मंत्र दृष्टा विदुषी महिलाएं थीं तो कैकई जैसी रानीयां भी थी जो युद्ध में राजा दशरथ की सारथी ही नहीं थीं बल्कि युद्ध में राजा दशरथ के घायल होने की अवस्था में उनकी प्राण रक्षक भी बनीं। लेकिन इसे क्या कहा जाए कि स्त्री शक्ति के ऐसे गौरवशाली सांस्कृतिक अतीत के बावजूद वर्तमान भारत में महिलाओं को सामाजिक रूप सशक्त करने की दिशा में सरकारों को महिला दिवस मनाने जैसे विभिन्न प्रयास करने पढ़ रहे हैं।

Read More »

मानसिक स्वास्थ्य जीवन का सबसे अनदेखा क्षेत्र

अभी कुछ दिन पहले सोनी नाम की पेशेंट मेरे पास क्लीनिक पर आई और फूट-फूट कर रोने लगी। मैं चुपचाप देखती रही और पूछा क्या बात है। कहने लगी आजकल मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता। मैं अपनी 3 साल के बच्चे को बहुत पीटने लगी हूं उसे अपशब्द इस्तेमाल करती हूं। मैंने उसकी सारी बातें सुनी उसने बताया गुस्सा बहुत आ रहा है, किसी चीज में मन नहीं लगता, पूरे बदन में दर्द, बहुत थकान, नींद ना आना और भूख न लगना। दरअसल सोनी मानसिक रूप से अस्वस्थ थी और अवसाद की शिकार हो रही थी। उसको काउंसलिंग और उचित उपचार की जरूरत थी। ऐसे न जाने कितने लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं और हीन भावना से ग्रसित हो रहे हैं। मानव जीवन में मानसिक स्वास्थ्य का बहुत महत्व है पर हम लोग सबसे ज्यादा इसको अनदेखा करते हैं जिस तरह शारीरिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण होता है उसी भांति मानसिक स्वास्थ्य भी। जनवरी माह भारत में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य माह के रूप में मनाया जाता है इसका मुख्य उद्देश्य है मानसिक स्वास्थ्य का जीवन में महत्वत्ता, जागरूकता बढ़ाना और समर्थन प्रदान करना है। इस माह में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को बेहतरीन दिशा में एक सामूहिक जागरूकता बढ़ाना है।

Read More »

राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का किया आयोजन

हाथरस: जन सामना संवाददाता। महिला कल्याण विभाग द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर हस्ताक्षर अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ शपथ, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्टीकर कैंपेनिंग का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में सांसद राजबीर सिंह दिलेर,  विधायक सदर श्रीमती अंजुला सिंह, माहौर, जिलाध्यक्ष शरद माहेश्वरी, जिलाधिकारी अर्चना वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी साहित्य प्रकाश मिश्र ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के हस्ताक्षर अभियान को आरंभ करते हुए अपने वाहन पर स्टीकर लगाते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की मुहिम को आगे बढाने हेतु प्रेरित किया गया। साथ ही स्पोर्ट्स स्टेडियम हाथरस में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की स्टॉल के माध्यम से महिलाओ एवं बालक/ बालिकाओं से संबंधित समस्त योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, कन्या सुमंगला योजना, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, रानी लक्ष्मीबाई एवं बाल सम्मान कोष, किशोर न्याय अधिनियम 2015, बालश्रम, स्पॉन्सरशिप, 181 महिला हेल्पलाइन, वन स्टॉप सेंटर, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 आदि की विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी।

Read More »

बालिका दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का किया आयोजन

चन्दौलीः जन सामना संवाददाता। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर ग्राम्या संस्थान द्वारा पुलिस विभाग, चन्दौली के सहयोग से किशोरियों के साथ एक कार्यक्रम का आयोजन नौगढ़ ब्लॉक अन्तर्गत प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चन्द्रप्रभा स्थित राजदरी पर किया गया। कार्यक्रम में पुलिस विभाग, चन्दौली के सौजन्य से बालिकाओं के लिए संचालित ब्यूटीपार्लर एवं सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली बालिकाओं एवं ग्राम्या संस्थान द्वारा संचालित डीएमए परियोजना के कुछ गांवो की किशोरियों की सहभागिता रही। इसके साथ ही पुलिस विभाग, संस्था कार्यकर्ताओं एवं संस्था प्रमुख की सहभागिता रही। कार्यक्रम में किशोरियों के द्वारा दर्शनीय स्थल पर भ्रमण, सामूहिक गीत, दिवस की महत्ता, इस वर्ष की थीम ‘समानता घर से’, लैंगिक समानता, समान अवसर, हिंसा जैसे मुद्दों पर बातचीत की गई। इस सन्दर्भ में किशोरियों/महिलाओं को प्रभावित करने वाले चिन्हित मुद्दों को किशोरी समूहों द्वारा एक अभियान के रूप में अपने-अपने पंचायत/गांव स्तर पर उठाए जाने पर जोर दिया गया।

Read More »

दीक्षांत समारोह में आकांक्षा को मिली डॉक्टरेट की उपाधि

शिकोहाबादः जन सामना संवाददाता। शिक्षण संस्थान दयालबाग आगरा में आयोजित 42 वें दीक्षांत समारोह में नगर की बेटी आकांक्षा यादव ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर नगर का नाम रोशन किया। छात्रा की इस उपलब्धि पर उसको बधाई देने वाला का तांता लगा रहा।
आकांक्षा नगर के वंशीपुरम कॉलोनी निवासी दिनेश यादव एवं निर्मला यादव की पुत्रवधू हैं। उसने पीएचडी के दौरान अपना शोध कार्य प्रोफेसर वीके गंगल(डीन फैकल्टी ऑफ कॉमर्स) के निर्देशन में पूरा किया। छात्रा ने विश्वविद्यालय में शोध के दौरान तीन शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए। उन्होंने लगभग 10 राष्ट्रीय एवं अंतरर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आदि में भी प्रतिभाग किया। पीएचडी के दौरान छात्रा ने इंडियन काउंसिल ऑफ साइंस एड रिसर्च (आईसीएसएसआर) द्वारा फैलोशिप भी प्राप्त की। वहपूर्व में तीन बार नैट की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुकी है और दो वर्ष तक राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय अलवर में बतौर सहायक आचार्य शिक्षण प्रदान कर चुकी हैं।

Read More »