Friday, April 26, 2024
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कमीशन का खेल, ईमान की सौदेबाजी

प्रसव से कराहती महिला को नहीं मिली सरकारी एंबुलेंस
शिकोहाबाद, नवीन उपाध्याय। ये उस जिला संयुक्त चिकित्सालय का हाल है, जिस पर गरीब से गरीब मरीज इलाज को निर्भर है। यहां मरीजों की सांसों पर भी कमीशन का खेल होता है। अस्पताल में एंबुलेंस है लेकिन ज्यादातर मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस में रेफर किया जाता है। प्राइवेट एंबुलेंस चालक प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को शिफ्ट कर देते हैं। सारे खेल में न केवल एंबुलेंस चालकों का कमीशन निश्चित होता है, बल्कि अस्पताल के चिकित्सक और कर्मचारी भी इस गोरखधंधे में शामिल है। जिला संयुक्त चिकित्सालय की इमरजेंसी में रोज तकरीबन आधा सैकड़ा मरीज आते हैं। ज्यादातर की नाजुक स्थिति देख प्राथमिक उपचार देकर आगरा या फिरोजाबाद के लिए रेफर कर दिया जाता है। नियमतः मरीजों को अस्पताल की सरकारी एंबुलेंस से रेफर किया जाना चाहिए लेकिन पूरे अस्पताल में प्राइवेट एंबुलेंस चालकों का राज है। चिकित्सकों से सांठगांठ होने पर प्राइवेट एंबुलेंस चालकों को मरीज दे दिए जाते हैं। प्राइवेट एंबूलेंस के चालक मरीजों को बरगलाकर आगरा और फिरोजाबाद के प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करा देते हैं। बदले में चालकों से लेकर रेफर करने वाले चिकित्सक और संबंधित कर्मचारी को मोटा कमीशन मिल जाता है। जिला संयुक्त चिकित्सालय के आंकड़े इस गोरखधंधे की गवाही देते हैं। 21 जनवरी 2017 से 20 फरवरी 2017 तक अस्पताल से 285 मरीजों को रेफर किया जा चुका है। जिसमे से 14 मरीजों को सरकारी एंबुलेंस से ले जाया गया। बाकी मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस में कमीशन के काले कारोबार का शिकार हो गए। मरीज प्राइवेट एंबुलेंस से रेफर करने के अपने तर्क हैं। चिकित्सक कहते हैं कि सरकारी एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचती इसलिए मरीज प्राइवेट एंबुलेंस से मरीज को ले जाते हैं। नियम है कि मरीज रेफर करने पर 102 और 108 नंबर की एंबुलेंस को काॅल कर मरीज उससे रेफर किया जाता है। लेकिन कमीशन खोरी में यह व्यवस्था ध्वस्त है।
प्रसव पीड़िता को नहीं मिली सरकारी एंबुलेंस
सुदामापूरी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विनोद कुमार की पुत्री रूबी को शुक्रवार सुबह 6 बजे प्रसव पीड़ा हुई तो उन्होंने सरकारी इमदाद पाने के लिए 102 और 108 सरकारी एंबुलेंस को काॅल किया पर एक घंटे तक एंबुलेंस नहीं पहुंची तो उन्हें प्राइवेट वाहन का सहारा लेना पड़ा।
अफसर कहिन
यह बेहद गंभीर मामला है। व्यवस्था है कि मरीजों को सरकारी एंबुलेंस से भेजा जाएगा। इसके लिए 102 और 108 की सुविधा है। लेकिन प्राइवेट एंबूलेंस चालकों की मनमानी है। इसके लिए कई बार हमनें उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया है। लखनऊ कंट्रोल रूम से सही पहल हो तो मरीजों को सरकरी एंबुलेंस का लाभ मिले।