दिव्यांगों को नहीं मिले शौचालय और आवास
प्रयागराज, वी. डी. पाण्डेय। केंद्र सरकार ने स्वच्छता को लेकर स्वच्छ भारत अभियान चलाया लेकिन जमीनी हकीकत इस अभियान से बिल्कुल अलग है। इसका एक उदाहरण विकासखंड भगवतपुर के ग्राम अहमदपुर पावन में देखने को मिलता है जहां सफाई कर्मचारी कभी कभार आते हैं वह भी खानापूर्ति करने के लिए। बारिश के दिनों में यहां समस्या और भी भयावह हो जाती है। बारिश के बाद गलियों में सड़कों पर पानी जमा हो जाता है और इसमें सीवर का भी गंदा पानी मिल जाता है। जिससे पूरे मोहल्ले में गंदगी फैली रहती है। सड़के टूटी फूटी है और नालियों का अभाव है। क्या बूढ़े क्या बच्चे सभी को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आपको बता दे कि केंद्र सरकार खुले में शौच को बंद कराने के लिए जहां एक ओर देश का पैसा पानी की तरह बहा रही है वहीं दूसरी ओर ब्लॉक के अधिकारियों और कर्मचारियों व प्रधानों की मिलीभगत से इसमें भी बड़ा खेल किया जा रहा है।
अहमदपुर पावन ग्राम की एक दिव्यांग महिला अनीता पुत्री गणेश ने शौचालय न होने का दर्द बयां करते हुए बताया कि उसे दूर दराज शौच के लिए जाना पड़ता है। जिससे उसे बहुत ज्यादा समस्या होती है। उसने कई बार अपनी समस्या से ग्राम प्रधान को अवगत कराया लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी उसे शौचालय नहीं मिला। कुछ ऐसा ही एक दलित दिव्यांग दंपत्ति कमल पुत्र राम सिंह व उसकी पत्नी रीता के साथ भी हुआ है उसे भी शौचालय और आवास नहीं मिले यहां तक कि उसे कोटे का अनाज भी नहीं दिया जाता है। लेकिन उसके इस दर्द को सुनने वाला कोई नहीं। इसी ग्राम सभा की एक वृद्ध महिला बसंती ने अपने असहाय पति संतु के लिए अपनी साड़ी से घेरा बनाकर शौचालय का जुगाड़ किया है। उसने भी बताया कि उसे भी किसी तरह की सरकारी योजना का कोई भी लाभ नहीं मिला हैं।
इस ग्राम सभा कि आधे से अधिक आबादी दलितों की है फिर भी इनको शौचालय, आवास, रास्ता, नाली, स्वच्छता, सरकारी गल्ले आदि मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है।