कानपुर। समूचे विश्व के सामने आज सबसे बड़ी समस्या प्रकृति का विनाश और उससे उपजने वाली भयावह आपदायें है। महामारी सैलाव रिकार्ड तापक्रम, सूखा, बेलगाम मौसम, जैवविविधता का विनाश, पानी, हवा, खनिज, जंगल, भूमि-मिट्टी भी और जीवन के करोड़ो रूपों पर खतरा चरम पर है। प्रकृति अशांत क्रुद्ध और असंतुलन में है। यह असंतुलन ही तबाही का कारण है। इससे निपटना आज सबसे बड़ी चुनौती है मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ0 कृपाशंकर तिवारी ने देश के नेटवर्क से जुड़े 200 जिलों एवं 10 राज्यों को यही संदेश दिया है कि प्रकृति के प्रत्येक घटक की सुरक्षा एवं संरक्षण हो।सुरक्षित पर्यावरण प्रकृति और पारिस्थितिकी प्रत्येक मनुष्य का मूल अधिकार है। उन्होने कहा विकास की गलत दिशा, लालच और प्रकृति के संसाधनों के हिंसक दोहन से प्रकृति के विनाश के साथ आपदायें गहरी होगी । सुरक्षित प्रकृति और जीवनदायी घटक ही सुरक्षित जीवन की बुनियाद है यह दशक भी 2020.2030 प्रकृति की मरम्मत के लिये यू.एन. ने घोषित किया है। इस अवसर पर मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण के राष्ट्रीय महामंत्री तपन अग्निहोत्री ने भी सभी 200 जिलों के पदाधिकारियों से वन संरक्षण, भूमि संरक्षण, वृक्षारोपण, जल प्रबंधन काम पूरे करने की बात कहीं। राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत अवस्थी ने इस अवसर पर एक दर्जन स्थानों पर वृक्षारोपण कर प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया। इस आनलाइन समारोह की चर्चा में म.प्र. के अध्यक्ष अरूण कुमार द्विवेदी, म.प्र. संरक्ष्ण राकेश चतुर्वदी, जिला महामंत्री भोपाल , प्रबंध सचिव कृष्णकांत अग्निहोत्री आदि पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे।