मौदहा ,हमीरपुर। सावन के तीसरे सोमवार को पड़ रही अमावस में कामता नाथ के दर्शन के लिए अभी से श्रद्धालुओं का चित्रकूट जाने का सिलसिला शुरू हो गया है और इसबार प्रशासनिक रोक के बाद भी लगभग दस लाख लोंगों के चित्रकूट पहुंचने की सम्भावना है।जहां देश इस समय कोरोना से उबर भी नहीं पाया है और बाढ़ का दंश झेल रहा है और लोंगों को भीड़ इकटठा नही करने के लिए जागरूक किया जा रहा है इतना ही नहीं चित्रकूट में बाढ़ की भयावहता के कारण अधिकांश मंदिरों के प्रांगणों तक पानी पहुंच गया है और लोंगों को मंदिरों में नहीं आने की अपील लगातार प्रशासन द्वारा की जा रही है।लेकिन ऐसे में भी भगवान पर आस्था रखने वाले भक्त अपनी जान जोखिम में डालकर पैदल ही चित्रकूट की यात्रा कर रहे हैं।भक्तों को अपने आराध्य तक पहुंचने के लिए मौसम कोई बाधा नहीं डाल पा रहा है।
सनातन संस्कृति में सावन के महीने का विशेष महत्व है और इस महीने में पूरे देश में कांवड़ों में जल लेकर भक्त भोलेनाथ को चढाते हैं लेकिन कोरोना के कारण लगातार दूसरे साल कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है फिर भी मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के भक्तों के पहुंचने का सिलसिला जारी है।और भक्त चित्रकूट के लिए पैदल ही यात्रा कर चले हैं जो लगभग तीन दिन में चित्रकूट पहुंचेंगे।
लगभग डेढ़ सैकड़ा भक्तों का जत्था जो शनिवार को गरौठा से चला था बुधवार को कस्बे पहुंचा और शनिवार को सुबह तख चित्रकूट पहुंचेंगा।जत्थे की अगुवाई कर रहे पुनीत यादव ने बताया कि वह शनिवार को गरौठा से निकले थे।और जत्थे में शामिल महिलाओ और बच्चों को बचाने के लिए और भोजन आदि की व्यस्था के लिए दो ट्रैक्टर साथ में चल रहे हैं बाकी सभी लोग पैदल यात्रा कर भगवान के दर्शन के लिए जा रहे हैं।यह आवश्यक नहीं है कि कौन कैसे जाता है कोई पैदल जाता है और कोई दण्डवत लेटकर जाता है यह अपनी अपनी आस्था की बात है।
वहीं ओमप्रकाश ने बताया कि पहले के सालों में रास्ते में भक्तों द्वारा भोजन आदि और रुकने की व्यस्था की जाती थी लेकिन कोरोना के चलते इसबार ऐसा नहीं है इसलिए ट्रैक्टर में राशन आदि रखकर चल रहे हैं और पहले से योजना बना लेते हैं कि रात्रि विश्राम कहां करना है और ट्रैक्टरों को आगे भेज देते हैं जिसके चलते महिलाएं भोजन बनाकर तैयार कर लेती है और वहीं पर भोजन आदि के बाद रात्रि विश्राम होता है।इसबार सोमवारी अमावस्या होने के कारण सावन की सोमवारी अमावस का विशेष महत्व है।