Monday, November 18, 2024
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परिवहन विभाग की मेहरबानी से बिना जांच के ही केंद्रों पर जारी हो रहा पॉल्यूशन सर्टिफिकेट

व्हाट्सएप पर आई नंबर प्लेट की फोटो से बन रहा प्रमाण पत्र
रायबरेली, पवन कुमार गुप्ता। पर्यावरण के प्रति प्यार जताने के नाम पर आरटीओ ने एक साल पुराने सभी वाहनों के लिए पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल(PUC) बनवाना अनिवार्य भले ही कर दिया हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है कारण साफ है, आरटीओ और पुलिस की चालानी कार्यवाही वाहनों को मिलने वाले पीयूसी सर्टिफिकेट पर निर्भर करती है। उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही वाहन चेकिंग और भारी जुर्माने को लेकर लोगों में दहशत पैदा हो गई है। कामर्शियल गाड़ी, कार और बाइक चलाने वालों को प्रदूषण जांच केंद्रों पर बड़ी आसानी से और सहूलियत के मुताबिक पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है। जिससे वाहन चालकों को घर बैठे ही केवल संचालक के व्हाट्सएप पर नंबर प्लेट की फोटो भेजना होता है और बड़ी आसानी से कुछ मिनटों में जारी कर दिया जाता है प्रदूषण मुक्त वाहन का सर्टिफिकेट। परिवहन विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी से शहर में बढ़ रहे अधिक प्रदूषण वाले वाहन और परिवहन विभाग की ही शय पाकर जनपद के हर क्षेत्र में खुलते जा रहे हैं प्रदूषण जांच केंद्र जिन पर बिना प्रदूषण यंत्रों के जारी किया जा रहा है प्रमाण पत्र। परिवहन विभाग की इस बड़ी लापरवाही से जनपद के कोतवाली क्षेत्र ऊंचाहार के सवैया तिराहे पर संचालित प्रदूषण जांच केंद्र से उजागर हुई। जहां पर व्हाट्सएप पर भेजी गई नंबर प्लेट की फोटो पर बिना प्रदूषण जांच किए ही जारी किया जा रहा है प्रदूषण मुक्त वाहन प्रमाण पत्र और जांच केंद्रों पर इससे बड़ी धनउगाही भी की जा रही है जारी किए गए सर्टिफिकेट पर मूल्य लिखा होता है लेकिन फिर भी उसके बाद 40 से 50 रुपए अतिरिक्त शुल्क ले लिया जाता है। जारी किए जा रहे ऐसे प्रदूषण प्रमाण पत्र से केवल पुलिस के चालान से बचा जा सकता है बाकि शहर को प्रदूषण से मुक्त तो परिवहन विभाग के अधिकारी ही करा सकते हैं। यही हाल जनपद के संभागीय परिवहन विभाग के बिल्कुल सामने खुले प्रदूषण जांच केंद्र का भी है वहां पर तो प्रमाण पत्र पर लिखे शुल्क से लगभग दो गुना तक वाहन चालकों से वसूल लिया जाता हैं। जब इस बाबत आरटीओ के वरिष्ठ अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो मोबाइल नेटवर्क की खराबी से फोन नहीं लग सका जबकि विभाग के अन्य अधिकारी से बात करने पर बताया गया कि इस मामले में शिकायत आप आरटीओ साहब से ही करें। आरटीओ की मुहिम और पीयूसी कार्ड की सच्चाई की पोल खोल रही है जन सामना की यह रिपोर्ट।