Sunday, November 17, 2024
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लालगंज के बाल्हेश्वर मंदिर में भक्तों को आशीर्वाद के बदले मिली पुलिस की लाठियां

प्रशासन ने अपनी कमजोरी छिपाने के लिए भक्तों और पत्रकारों पर चलाई लाठी

रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता|उत्तर प्रदेश में भाजपा से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कि हिंदूवादी सरकार होते हुए भी जनपद में हिंदुओं की आस्था का प्रतीक लालगंज(बैसवारा)ऐहार बाल्हेश्वर मंदिर में श्रावण मास के आखिरी सोमवार को उमड़ी भीड़ के बीच खाकी ने बरसाई लाठियां।स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं पर आखिर क्यों चटकाई लाठियां यह तो वही जाने लेकिन यदि भीड़ काबू में नहीं थी तो पहले से पुख्ता इंतजाम करने चाहिए थे।बताते चलें कि जनपद के लालगंज बैसवारा में रेल कोच फैक्ट्री के बगल में स्थित प्रसिद्ध और प्राचीन बाबा बाल्हेश्वर मंदिर में हजारों भक्त सावन के आखिरी सोमवार को शिव मंदिर दर्शन करने पहुंचे जहां पर मौजूद स्थानीय कोतवाल और सिपाहियों ने भक्तों पर लाठीचार्ज कर दिया लाठीचार्ज के दौरान दुकानदार,श्रद्धालु और पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा गया।इस घटना को स्थानीय पत्रकारों ने कैमरे में कैद कर लिया। जिससे क्रोधित पुलिस ने कई पत्रकारों की मैक आई डी तोड़ते हुए गाली गलौज भी की।जिस पर स्थानीय पत्रकारों ने बैसवारा मीडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील शुक्ला की अगुवाई में उपजिलाधिकारी लालगंज व स्थानीय भाजपा विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबंधित ज्ञापन सौंपा।जिस पर एसडीएम व विधायक ने उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया। पत्रकारों से मिले चेयरमैन रामबाबू गुप्ता ने पुलिस की इस कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हम पत्रकारों के ऊपर हुए पुलिस द्वारा कृत्य की घोर निंदा करते हैं और उन्होंने कहा हम पत्रकारों के साथ हैं आगे जो भी प्रयास करना पड़े पत्रकारों के लिए हम हर संभव मदद करते रहेंगे वहीं व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने भी कहा कि लालगंज बैसवारा की पुलिस बेलगाम हो चुकी है भक्तों पर लाठीचार्ज और पत्रकारों से गलत व्यवहार की कड़ी निंदा की।पत्रकार संगठनों और न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर सहित कई लोगों ने पुलिस अधीक्षक को लालगंज पुलिस पर कार्यवाही के लिए ज्ञापन भी सौंपा है।साथ ही पत्रकारों से हुए अभद्र व्यवहार को लेकर और श्रद्धालुओं पर चलाई गई लाठियों से आहत हुए लोगों ने लालगंज तहसील गेट पर धरना प्रदर्शन भी किया।पुलिस की इस रवैया से क्षेत्र में खासा आक्रोश देखा जा रहा है जब जिला प्रशासन को पता था कि श्रावण मास के इस आखिरी सोमवार को प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर में भीड़ अधिक हो सकती है तो पहले से पुख्ता इंतजाम आखिर क्यों नहीं कराए गए।सवाल यह भी है कि क्या सरकार के ऐसे कोई निर्देश है कि दो सांप्रदायिक पर्व के बीच मंदिर में श्रद्धालुओं पर लाठियां बरसाई जाएं जिससे कि जनपद में चुनाव के लिए कोई ठोस मुद्दा तैयार हो।केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार होते हुए भी धार्मिक आस्था को पुलिस के द्वारा ही ठेस पहुंचाया जा रहा है।