2 सितम्बर को भारतीय सेना ने लद्दाख में लाइव फायर एक्सरसाइज को अंजाम दिया। फायर एण्ड फ्यूरी कॉर्प्स की अगुवाई में यह युद्धाभ्यास किया गया। इस तरह सेना ने समुद्र तल से तकरीबन 15000 फुट की उंचाई पर अपनी तैयारी को परखा। कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी इस अभ्यास में मौजूद थे। उन्होंने सेना की आर्मड रेजीमेंट के जवानों से बातचीत करके उनका हौसला बढ़ाया। इस अभ्यास में सेना की स्नो लेपर्ड ब्रिगेड के टी-90 भीश्म और टी-72 अजय टैंको ने अपनी मारक क्षमता दिखाई। ये तैयारियां बताती हैं कि भारतीय सेना नें विशम परिस्थितियों में लड़ने की तैयारी की है। उल्लेखनीय है कि मई 2020 से भारतीय सेना और चीन की सेना लद्दाख की सीमा पर आमने-सामने है। यहां पर दोनों देशों ने 50.-50 हजार से अधिक सैनिकों को तैयार कर रखा है।
अभी तक दोनों सेनाओं के मध्य 12 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन विवाद पूरी तरह से खत्म नही हुआ हैं और हॉट स्प्रिंग इलाके में अभी तनाव बना हुआ है। इसीलिए भारतीय सेना यहां पर पूरी तरह से मुस्तैद है और किसी भी चुनौती का पूरी तरह से मुकाबला करने की तैयारी में जुटी हुई है। भारतीय सेना पहले भी लद्दाख में कठिन सैन्य अभ्यास करती आई है। पिछले साल जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम सीमा पर था तब यहां पर वायु सेना ने भी मोर्चा सम्हाला था और राफेल विमानों ने अपनी ताकत का प्रदर्षन किया था। पिछले दो सालों में कई बार दोनों सेनाओं ने माहौल को षान्त करने की कोशिश की लेकिन बार-बार स्थिति नाजुक मोड़ पर पहुंचती दिखाई दी।
चीन के चालाकी भरे रवैये के कारण भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए कोई कसर बाकी रखने को तैयार नहीं है। इसीलिए भारत लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर तक फैली 3500 से अधिक लम्बी एलएसी पर अपनी सैन्य क्षमता को हर समय चौकस बनाए रखना चाहता है। इसी योजना के तहत षीघ्र ही सेना द्वारा 155 मिलीमीटर और 52 कैलिबर की 40 के-9 वज्र टी तोपों की खरीद का समझौता किया जा सकता है। वर्तमान में भारतीय सेना के पास के-9 वज्र तोपों की पांच रेजीमेंट अर्थात 100 तोपें मौजूद हैं। इनमें से तीन तोपों का लद्दाख के दुर्गम पहाड़ी इलाके में परीक्षण चल रहा था जो सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया है। इन परीक्षणों से उत्साहित सेना ने इनकी दो और रेजीमेंट अर्थात 40 तोपों की खरीद करने का मन बना लिया है। इन तोपों को एलएसी से लगे सुदूर इलाकों में तैनात किया जाएगा।
भारतीय सेना के तोपखाना बेड़े में 18 फरवरी को उसकी 100वीं तोप के-9 बज्र टी षामिल की गई थी। थल सेना प्रमुख जनरल एम.एम.नरवने ने सूरत में हरी झण्डी दिखाकर इसे भारतीय सेना में षामिल किया था। इन तोपों का निर्माण भारत में ही एल.एंड.टी कंपनी द्वारा किया गया है। स्वदेषी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस तोप को गुजरात के हजीरा प्लांट में तैयार किया गया है। के-9 बज्र टी तोप एक स्वचालित तोप है। इस श्रेणी की तीन तोपों को लेह पहुंचाया गया था जिससे अधिक उंचाई वाले इलाकों में परीक्षण करके यह देखा जाए कि आवष्यकता पड़ने पर इनका उपयोग शत्रु सेना के खिलाफ उंचाई वाले क्षेत्रों में किया जा सकेगा या नहीं?
इन तोपों की उंचे पहाड़ी इलाकों में सफल परीक्षण के बाद भारतीय सेना पर्वतीय अभियानों के लिए इन स्वचालित तोपों की दो या तीन अतिरिक्त रेजीमेंट बनाने के लिए नई खरीद का आर्डर देना चाहती है। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने सेना को 100 के-9 वज्र टी स्वचालित तोपों की आपूर्ति की है। इन तापों को पिछले दो वर्शों में विभिन्न रेजीमेंटों में तैनात किया गया है। उल्लेखनीय है कि के-9 वज्र टी तोप दक्षिण अफ्रीका की के-9 थंडर तोप का स्वदेषी संस्करण है। इस स्वचालित तोप की मारक क्षमता 38 किलोमीटर की दूरी तक की है। यह तोप जीरो रेडियस पर घूमकर चारो तरफ हमला करती है। 155 एमएम/52 कैलिबर की यह तोप 50 टन वजन वाली है। यह 47 किलोग्राम का गोला फेंकने की क्षमता रखती है। मात्र 15 सेकेंड में षत्रु पर यह तीन गोले गिराने में सक्षम है। इसके द्वारा फेंका गया गोला 928 मीटर प्रति सेकेण्ड यानि कि एक मिनट में 55680 मीटर की दूरी तय करता है। ऐसी तोपें चीन की सीमा या पाकिस्तान की सीमा पर जब तैनात रहेंगी तो दुष्मन का चिन्तित रहना स्वाभाविक है क्योंकि इनकी तैनाती से पर्वतीय युद्ध क्षेत्र में भारत का पलड़ा भारी हो जाएगा।
इससे पहले 20 दिसम्बर 2020 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित स्वदेषी होवित्जर तोप एटीएजीएस का परीक्षण ओडिषा के बालासोर फायरिंग रेंज में किया गया था जो कि सफल रहा था। यह दुनिया की सबसे बेहतर किस्म की तोप है। अभी तक किसी दूसरे देष ने ऐसी तोप विकसित नहीं की है। यह एडवांस्ड टावर आर्टिलरी गन 48 किलोमीटर की दूरी से ही अत्यन्त सटीक तरीके से अपने लक्ष्य को भेद सकती है। अगर इस तोप के ऑपरेषनल पैरामीटर की बात की जाए तो यह 25 किलोमीटर प्रति घण्टा मूव कर सकती है। आने वाले दिनों में भारत इनकी तैनाती चीन से लगती सीमा पर अरुणाचल प्रदेष और लद्दाख के उंचाई वाले क्षेत्रों में कर सकता है।
गत वर्श 20 जनवरी 2020 को मध्य प्रदेष स्थित वाहन निर्माणी जबलपुर ने 130 मिलीमीटर पुरानी सारंग तोपों को अपग्रेड करके सेना को सौंप दिया था। अब उन्नत सारंग तोप में 28 के बजाय 38 किलोमीटर की अचूक मारक क्षमता है। इसकी विध्वंसक क्षमता में भी काफी वृद्धि हो गई है। यह अत्याधुनिक तोप वजन में भी बेहद हल्की है। इसका लाजवाब प्रदर्षन देखकर सैन्य अधिकारी 200 और पुरानी सारंग तोपों के अपग्रेड करने का आदेष दे दिया है। विदित हो कि भारतीय सेना को इस समय 1580 टोड तोपों के अलावा 150 एटैग्स एवं 114 धनुश तोपों की विषेश रुप से जरूरत है। इस तरह सेना को कुल 1800 तोपों की आवष्यकता है। भारतीय सेना लगभग 1600 तोपें खरीदना चाहती है। इसके लिए इजरायल से 400 एथोस तोपें तुरन्त मांगने का विकल्प भी रखा गया है। इसके अलावा फ्रांस से नेक्सटर तोपें भी खरीदी जा सकती हैं। उपर्युक्त सामरिक तैयारियों से भारत लद्दाख सीमा पर चीन से निपटने के लिए पूर्ण रुप से तैयार हो जाएगा और युद्ध की स्थिति में मुहंतोड़ जवाब देने में सक्षम हो जाएगा।
-लेखक डॉ0 लक्ष्मी शंकर यादव सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक रहें हैं