यही कठिनाइयां तो हमें मजबूत बनाती हैं : अजय की मां
कठिन परिश्रम और मेहनत व लगन के दम पर सब कुछ किया हासिल
हमीरपुर। इरादे अगर मजबूत हो तो राहे अपने आप आसान हो जाती हैं। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुछेछा में क्लर्क के पद पर तैनात अजय प्रताप सिंह ने इस कहावत को चरितार्थ करते हुए कानपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी में चयन का मार्ग प्रशस्त कर लिया है। पिता की अचानक मौत के बाद उन्होंने न सिर्फ अपने आप को संभाला बल्कि परिवार को भी बिखरने से बचाया। कठिन परिश्रम व निरंतर अध्ययन जारी रखते हुए युवक ने असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का अपना सपना भी पूरा किया। फिलहाल इस युवक का कानपुर विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए चयन हो गया है। यह कहानी हमीरपुर जिले के एक छोटे से परिवार की है, जिसमें पुत्र ने पिता के न होने पर भी अपनी व अपने परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन व हर अच्छी-बुरी परिस्थितियों का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंचा है। यह परिवार धनबल से बहुत ज्यादा अच्छा तो नहीं है, परंतु फिर भी आर्थिक व पारिवारिक परिस्थितियों का बहुत अच्छे से निर्वहन किया। आपको बताते चलें कि हमीरपुर मुख्यालय के पुराना गैस गोदाम रमेड़ी तरौस निवासी अजय प्रताप सिंह माता-पिता की देखरेख में 12वीं कक्षा तक पढ़े। परंतु जैसे ही 12वीं पास हुए मानो अचानक अजय के सर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। इनके 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करते ही अचानक पिता का देहांत हो गया। अजय अपनी तीन बहनों व दो भाइयों में से सबसे बड़े हैं। घर का बड़ा बेटा होने के नाते पिताजी की मृत्यु के बाद से परिवार की सारी जिम्मेदारी अजय के सर आन पड़ी। परंतु इस कठिन परिस्थिति में भी अजय ने घबराने व हार जाने की बजाए धैर्य व संयम रख अपने परिवार जिसमें इनकी माता, तीन बहनों व एक छोटे भाई की समस्त जिम्मेदारियों को उठाने का बीड़ा उठाया और उनका बखूबी निर्वहन भी किया। छोटी सी उम्र में परिवार की सारी जिम्मेदारियों का बोझ सर पर आ जाने से माताजी ने सदैव प्रेरित किया और बोली कि यही कठिनाइयां तो हमें मजबूत बनाती हैं। बताते चलें कि पिताजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुछेछा में कार्यरत थे। जिनका देहांत होने के उपरांत उनके स्थान पर अजय को क्लर्क की नौकरी मिल गई। इन्होंने नौकरी करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई निरंतर जारी रखी और साथ ही अपने परिवार तथा परिवार की जिम्मेदारियों को भी संभाला। उन्होंने बताया कि कॉलेज में क्लर्क के पद पर बैठकर महाविद्यालय का सारा काम करना तत्पश्चात खुद की क्लासेज जॉइन करना और खाली समय में खाली कक्षाओं में बैठकर खुद से पढ़ाई भी करना, जिसकी वजह से आज यह सब संभव हो पाया है। बताते चलें कि राजनीति विज्ञान से परास्नातक उत्तीर्ण करने के साथ ही नेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की, जोकि असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। उसके बाद अभी हाल ही में कानपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी हेतु इनका चयन हुआ है। जिससे इनके परिवार व विद्यालय परिवार के साथ-साथ दोस्त यारों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है। अजय ने कहा कि इन सब में हमेशा मेरी माता व मामा का आशीर्वाद बना रहा है, जिन्होंने मुझे हमेशा मार्गदर्शन प्रदान किया और मेरे भाई-बहनों का भी मुझ पर विश्वास शामिल है। इन्होंने कभी मेरे हौसले व आत्मविश्वास को कमजोर नहीं होने दिया। अजय ने कहा कि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुछेछा की प्राचार्य डॉ वंदना कुमारी का मैं विशेष आभारी हूँ, जिनके सहयोग से यह संभव हो पाया है। प्राचार्य महोदया ने सदैव ही एक बड़ी बहन की तरह मेरा मार्गदर्शन किया। उन्होंने आगे यह भी बताया कि मेरे कॉलेज के सभी शिक्षकगण जिन्होंने मुझे हर संभव जानकारी तथा सहयोग प्रदान किया, उनका भी मैं सुक्रगुज़ार हूँ व दिल की गहराइयों से इन सभी का आभार व्यक्त करता हूं।