हमीरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत मा भारती की एक बेजोड़ वीर बेटी, दुर्गा भाभी की पुण्यतिथि पर संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि दुर्गावती देवी जिन्हें भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारी साथी भाभी के नाम से पुकारते थे, सही मायने में एक महान क्रातिचेता थी, दुर्गावती देवी का जन्म 7 अक्टूबर 1907 को इलाहाबाद, अब कौशांबी जिले के शहजादपुर नामक गांव मे पंडित बांके बिहारी के घर हुआ था, पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे, बाबा महेशप्रसाद भट्ट जालौन मे दरोगा थे, दादा पं शिवशंकर शहजादपुर के जमींदार थे, जो दुर्गावती की मांगों को पूरा करते थे, 1918 में मात्र 11 वर्ष की उम्र मे इनका लाहौर के भगवती चरण वर्मा से विवाह हो गया था| जो एक प्रसिद्ध क्रातिकारी थे, पति स्नातक थे, दुर्गावती ने प्रभाकर किया था, इनके 1925 में एक पुत्र हुआ, जिसका नाम शचीन्द्रनाथ रखा, पति के क्रातिकारी होने के नाते ये भी क्रातिकारी मिशन में शामिल हो गयीं, क्रातिकारियों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया, जिसे नकारा नहीं जा सकता है, भगवती चरण बोहरा और भगतसिंह ने नौजवान भारत सभा का गठन किया था, जिसका आगे चलकर आजाद के क्रातिकारी संगठन में विलय हुआ, पति के बम परीक्षण में निधन के बाद भी दुर्गा भाभी क्रातिकारियों के साथ रही, ये राजस्थान से रिवाल्वरो की आपूर्ति क्रातिकारियों को करती थी, ये अस्त्र-शस्त्र मे निपुण थीं, इन्होंने गवर्नर हेली और बम्बई के थाने मे गोली चलायी थी, साथ ही असेंबली बमकांड के बाद भगतसिंह को उनकी पत्नी बनकर राजगुरु के साथ लाहौर से कलकत्ता पहुचाया था, जो एक बहुत जोखिम भरा कार्य था, इन्हें जेल में भी रहना पडा, कालान्तर में इनका लखनऊ गाजियाबाद और दिल्ली प्रवास रहा, ये शिक्षा जगत से जुड गयीं, लखनऊ में मांटेसरी की स्थापना की, अपना घर भी दान मे दे दिया, आगे चलकर अपने पुत्र के साथ गाजियाबाद रही, जहां पर 14 अक्टूबर 1999 को इनका निधन हुआ, इनके योगदान को याद रखना चाहिए। कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, राजकुमार सोनी, वृन्दावन गुप्ता, रमेश चंद्र गुप्ता, दिलीप अवस्थी, आयुष गुप्ता, गौरी शंकर गुप्ता, बब्बू दिवेदी आदि उपस्थित रहे।