Sunday, November 17, 2024
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क्षेत्र के नामचीन रेस्टोरेंट की भारी भीड़,कोरोना की तीसरी लहर को दे रही दावत

कोरोना प्रोटोकॉल की उड़ रहीं धज्जियां,प्रशासन भी सक्रिय नहीं

ऊंचाहार/रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता।
अभी कुछ महीने पूर्व ही कोरोना वायरस को लेकर जारी दहशत का असर गांव,शहर यहां तक कि देश विदेश में भी बना हुआ था।इस महामारी से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन दोनों के जम के पसीने छूट रहे थे।यहां तक कि वह दौर भी गुजर गया जब पूरा देश मानो पत्थर का हो गया हो, आम इंसान की तो बात छोड़िए,पेड़ों के पत्ते तक अपनी जगह पर ठहर गए थे।खैर, किसी तरह से सरकार, वैज्ञानिकों और डॉक्टरों सहित कोरोना वॉरियर्स ने देश को फिर से चलायमान बनाया।लेकिन इस बार स्थानीय पुलिस प्रशासन की लापरवाही गांव और शहर को ही नहीं एक बार फिर से देश को कोरोना की तीसरी लहर की ओर धकेलने की दावत दे रहा है।
बताते चलें कि बीते त्योहारों से बाजारों के अंदर लगभग दो साल के बाद जो भारी भीड़ बढ़ी है।वह इतनी बेखौफ और लापरवाह दिख रही थी कि जैसे देश के अंदर कुछ हुआ ही नहीं सब कुछ सामान्य चल रहा है यहां तक कि लोग यह मानने को तैयार नहीं कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग आज भी उतनी ही जरूरी है जितनी कि कुछ महीने पूर्व कोरोना काल के दरम्यान जरूरी थी।
मानते हैं कि कोरोना कॉल के दरम्यान छोटे व्यवसायियों के साथ साथ रेस्टोरेंट इत्यादि सभी का बिजनेस ठप था।प्राइवेट के साथ-साथ सरकारी संस्थाएं तक बंद थी।लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि रोजमर्रा के व्यवसाय को ढील दे दिया जाए।कम से कम जहां से कोरोना बम का विस्फोट दोबारा हो सकता है,उन जगहों पर तो लापरवाही न बरती जाए।त्योहार के बाद भी देखा गया है कि क्षेत्र के नामचीन रेस्टोरेंट के अंदर कार्य कर रहे लोगों और आने-जाने वाले लोगों दोनों में लापरवाही देखी जा रही है।रेस्टोरेंट के अंदर खाने की टेबल पर कोई सोशल डिस्टेंसिंग नहीं,स्टॉफ के साथ-साथ वेटर भी बिना मास्क लगाए कार्य कर रहे हैं।यहां तक कि सेनेटाइजर जैसी कोरोना से लड़ने वाली चीजों का भी उपयोग बंद हो गया है।पैसा कमाने के चक्कर में इतनी अब अव्यवस्थाएं,क्या यह कमी प्रशासन को नजर नहीं आती ??
पिछले कोरोना काल के दरम्यान तो पुलिस प्रशासन ने बाजारों के अंदर कोरोना की लापरवाही बरतने वाले लोगों पर लाठियां भी चलाई थी।साथ ही कई दुकानदारों और ग्राहकों का चालान भी किया गया था। क्या आगामी चुनाव को देखते हुए यह सभी कड़े नियम अब बंद कर दिए गए हैं या फिर इन नामचीन रेस्टोरेंट से ही अधिकारियों का सुबह का नाश्ता होता है इसलिए इन्हे कोरोना को दावत देने की पूरी छूट है।
हालांकि कुछ निरंकार की आस्था रखने वालों की माने तो ठीक भी है कब तक लोग खौफ की जिंदगी जिएंगे,मौत तो एक न एक दिन सभी को आनी है।लेकिन सवाल यह उठता है कि अपनी इस कहावत के लिए समाज को क्यों महामारी की ओर धकेला जा रहा है।वहीं प्रशासन की बात करें तो स्थानीय पुलिस किसी भी प्रकार के जवाब के लिए पत्रकारों को थाने में हाजिरी देने के लिए बोलता है और सवालों का स्पष्टीकरण थाने में हाजिरी देने के बाद ही आमने-सामने हो पाएगा।