दो साल बाद फिर से सुनाई पड़ी बैलों के घुंघरू की आवाज
रायबरेली, पवन कुमार गुप्ता। गंगा के तटों पर सालभर इस तरह की रौनक नहीं रहती लेकिन कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान यहां बस जाता है एक पूरा शहर।लगभग दो साल बाद क्षेत्र के गोकना गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा मेले में आस्था उमड़ने जा रही हैपूर्णिमा के एक दिन पहले गुरुवार को ही गंगा तट पर स्नानार्थियों का आगमन शुरू हो गया है।मोहक अंदाज में सजे बैलों की बैलगाड़ी इस मेले का प्रमुख आकर्षक है।शुक्रवार व शनिवार दो दिन तक ऊंचाहार के गोकना गंगा घाट पर मेला लगेगा।इस दौरान लाखों की संख्या में लोग स्नान दान की परम्परा का निर्वहन करेंगे।गुरुवार सुबह से ही दूर दराज के क्षेत्रों से मेला दर्शनार्थियों का आगमन शुरू हो गया है।ग्रामीण क्षेत्रों में विलुप्त हो रही बैलों की जोड़ी और बैलगाड़ी से मेले देखने की कई टोलियां गंगा घाट पर पहुंची तो बैलों व बैलगाड़ी देखने के लिए लोगों का कौतूहल उमड़ पड़ा और भीड़ लग गई।गुरुवार को पड़ोसी जनपद अमेठी और सुल्तान पुर से बड़ी संख्या में लोग गोकना गंगा घाट पर पहुंच चुके है।जिसमें छतोह,डीह,परशदेपुर,सलोन,नसीराबाद और डलमऊ गंगा घाट पर लालगंज,रायबरेली,मुंशीगंज आदि स्थानों से बड़ी संख्या में लोग आए है।गुरुवार की देर शाम मां गंगा गोकर्ण संस्थान द्वारा गंगा महा आरती के साथ मेला का शुभारंभ हुआ।इसमें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्रीय संभ्रांत लोगों ने भी भाग लिया।महा आरती का आयोजन पंडा जितेंद्र द्विवेदी ने किया था।