Thursday, November 28, 2024
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महामारी ने जीवन जीने का ढंग बदला, शिक्षा के परम्परागत सीखने तरीकों में समयानुसार बदलाब करने की आवश्यकता

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में कोविड 19 या कोरोना के संकट के इंसानी जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है। मानवीय जीवन के कुछ हिस्से ज्यादा और कुछ कम प्रभावित हो सकते हैं लेकिन हर किसी पक्ष पर इसका कुछ न कुछ असर तो हो ही रहा है। शिक्षा जगत भी एक ऐसा क्षेत्र है जहां इसका व्यापक असर देखा जा सकता है। ग़ौरतलब है कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान लगभग सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया और आदेश दिया गया कि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बाकी बचे कोर्स को पूरा कराया जाये। जिसकों लेकर सरकारों ने सभी के लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था करने की कमान संभाली l महामारी से पहले परम्परागत स्कूली शिक्षा पर पूर्ण रूप से ध्यान केन्द्रित था, अब महामारी के कारण स्कूली शिक्षा बाधित हुई है, 2022 में शिक्षा का रुख ऑनलाइन शिक्षा एवं ई-लेर्निंग्स की ओर रुझान बढ़ रहा हैl बहुत से पढ़ाई जो क्लास रूम में बैठकर पूरी की जाती थी अब घर बैठे बहुत से कोर्स पूरे किये जा रहे है l दुरस्त शिक्षा के माध्यम से अब ऐसे बच्चों तक भी पहुँच बनाई जा रही है जी कभी शिक्षा की मुख्य धारा से पीछे हो गए थे l पूर्व- प्राथमिक व प्राथमिक शिक्षा के लिए कुछ अलग से सोचने की आवश्यकता है जिससे शुरुआती शिक्षा को बच्चों में प्रेषित की जाएl बच्चों की शुरूआती दक्षताओं को पूर्ण करने के लिए समय के साथ लक्ष्य तय करने एवं मासिक प्राथमिक कौशल की उपलब्धि पाने पर ध्यान केन्द्रित करना होगाl प्रत्येक कक्षा में बच्चों को कक्षा अनुसार दक्षता की प्राथमिकता अनुसार जाँच कर उनकी सीखने में आई रूकावट एवं कमियों को दूर किया जाना चाहिएl सर्वप्रथम उनके लर्निंग लोस को पूरा किया जाकर नया पाठ्यक्रम आगे बढ़ाया जाये l शुरूआती कक्षाओं के लिए इसे कड़ाई से पूरा किया जाना आवश्यक हैl बच्चों की पढ़ाई के लिए माता-पिता, शिक्षकों एवं समुदाय की सहभागिता अति आवश्यक है, बच्चों के शिक्षण की गंभीरता को देखते हुए उनके कौशल बढ़ाने हेतु जिम्मेदारीपूर्ण कार्य करेlआज के समय में परम्परागत पढ़ाई का दौर बहुत बाधित हुआ हैl बच्चों की सीखने तरीकों में समयानुसार बदलाब करने की आवश्यकता हैl बच्चों को आधुनिकता से जुडी पठन-पाठन सामग्री से जोड़कर प्रायोगिक ज्ञान देने की आवश्यकता है, परंपरागत स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम पूरा कर पढ़ाई में बच्चों की दक्षता की ओर संकेत करती है परन्तु पाठ्यक्रम पूरा कर देने मात्र से बच्चों को पूर्ण दक्षता मिल जाएगी ये शायद हमारी भूल होगी, परम्परागत स्कूली पढ़ाई से थोड़ा हटकर बच्चों की पढ़ाई समझ के साथ पढ़ाई की प्राथमिकतायें तय किया जाये, एवं इसका जिम्मेदारी से पूरा करने का दायित्व सरकारें, शिक्षक एवं अभिभावक निभाए lलॉकडाउन के समय में बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से पूर्ण करने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर थी जिन्हें यथासंभव पूर्ण करने की कोशिश कीl ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चों और शिक्षको की परस्पर पढ़ाई का गेप को कम करने के लिए कार्य किया गया l परन्तु हम ये दाबे से नहीं कह सकते की यह साधन बच्चों के लिए पूर्ण कारगर रहा होगाl शिक्षा की वार्षिक रिपोर्ट असर 2021 के अनुसार नामांकित सभी बच्चों में से दो तिहाई से अधिक बच्चों के पास घर पर स्मार्टफ़ोन 67l6% हैं, इनमें से लगभग एक चौथाई 26.1% ऐसे बच्चे हैं जिनके लिए यह स्मार्टफ़ोन उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है। इसमें कक्षावार देखने पर यह स्पष्ट होता है कि छोटी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों की अपेक्षा उच्च कक्षा में पढ़ने वाले ज़्यादा|

श्याम कोलारा (लेखक)