Thursday, November 28, 2024
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पिता – पुत्र के अनोखे मिलन का पर्व है मकर संक्रांति:आचार्य आशीष बाजपेयी

कानपुर। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक प्रमुख पर्व है।भारत के विभिन्न इलाकों में इस त्यौहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। प्रत्येक वर्ष सामान्यत: मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं क्योंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता – पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। शताब्दी पंचाग के अनुसार 14 जनवरी को सूर्य दिन में 2:43 उत्तरायण होंगे और मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पुण्यकाल 14 जनवरी को दिन में 2:43 से सांयकाल 5:34 तक रहेगा। वहीं महावीर पंचांग के अनुसार 14 जनवरी की रात्रि 8 :49 पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। अत: यह पर्व 14 जनवरी और 15 जनवरी दोनों दिन मनाया जाएगा। संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है। इस मौके पर पतंग उड़ाने की परंपरा है।

आचार्य आशीष बाजपेयी
सरिगवां बिल्हौर कानपुर