Sunday, May 19, 2024
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पुरानी पेंशन पर भेजा प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को ज्ञापन

एनपीएस से निकलने के लिए विकल्प का दिया सुझाव, पहले से ही सीसीएस पेंशन रूल्स से अच्छादित है सरकारी कर्मचारी
नई पेंशन योजना में जबरदस्ती थोपा जाना प्राकृतिक न्याय के प्रतिकूल, प्रदेश के मुख्य सचिव को भी भेजी कॉपी
Lucknow: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएमओ के ईमेल आईडी पर एक विस्तृत पत्र लिखकर केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से निकलने के लिए विकल्प खोलने की मांग किया है।
उन्होंने अपने पत्र में केंद्र सरकार ने 10 अक्टूबर 2003 को एक पेंशन विनियामक बनाकर 01 जनवरी 2004 से नई पेंशन योजना की शुरुआत किया था। योजना देश के नागरिकों को सेवानिवृत्ति के बाद बचत के प्रति बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। 1 मई 2009 को इस योजना से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी स्वैच्छिक रूप से जुड़ने का विकल्प दिया गया था ताकि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों में भी बचत के प्रति बढ़ावा मिल सके।
जे एन तिवारी का कहना है कि इस योजना से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों एवं आम नागरिक को 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन मिलने में बहुत राहत मिली है और उन लोगों के बीच यह योजना लोकप्रिय भी हुई है, लेकिन केंद्र या राज्यों के सरकारी कर्मचारी पहले से ही सीसीएस पेंशन रूल्स 1972 से आच्छादित है, जिसके तहत केंद्र सरकार एवं सभी राज्यों के कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिल रहा है। एक जनवरी 2004 से अचानक ही सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया तथा यह आदेश जारी कर दिए कि 1.1 .2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को एनपीएस में रखा जाएगा। राज्य सरकारों को भी अधिसूचना जारी कर एक जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर भी एनपीएस लागू करने के निर्देश दिए गए जो कि सरकारी कर्मचारियों के लिए अपेक्षित नहीं था, क्योंकि सरकारी कर्मचारी पहले से ही सीसीएस पेंशन रूल्स 1972 के अंतर्गत पेंशन योजना से आच्छादित है। नई पेंशन योजना 1.1 .2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर जबरिया थोपी गई जिसका विरोध होना लाजमी था। कर्मचारी की सहमति के बिना कोई नई योजना उसके ऊपर थोपी नहीं जा सकती है ।
जे एन तिवारी ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर 10 अक्टूबर 2003 को बनाए गए पेंशन नियामक में संशोधन करते हुए कर्मचारियों के लिए नई पेंशन से पुरानी पेंशन में जाने का या पुरानी पेंशन प्राप्त कर रहे लोगों को नई पेंशन में जाने का विकल्प खोलने की मांग किया है, ताकि लोग अपनी सुविधा एवं लाभ के अनुसार नई पुरानी/पेंशन का चयन कर सके। जिस तरह से नई पेंशन योजना असंगठित क्षेत्र के कामगारों एवं आम नागरिकों के लिए विकल्प पर आधारित है, वही सुविधा केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारियों को भी दिया जाना चाहिए। पेंशन नियामक केंद्र सरकार द्वारा गठित किया गया है। इसमें संशोधन केंद्र सरकार को ही करना है। संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने अपने पत्र की प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को प्रेषित करते हुए इस प्रकरण पर विकल्प दिए जाने की संस्तुति केंद्र सरकार को भेजने की।मांग किया है।