सिकंदराराऊ। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सम्पूर्ण भारतवर्ष में देवाधिदेव महादेव भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था। इस दिन व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस वर्ष यह पर्व 1 मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने महाशिवरात्रि के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि महाशिवरात्रि पर इस बार दुर्लभ संयोग रहेगा, शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी 28 फरवरी को सोमवार और इसी दिन सोम प्रदोष व्रत रहेगा। एक मार्च को महाशिवरात्रि और दो मार्च को अमावस्या तक विशेष पूजन अनुष्ठान होंगे। स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने बताया कि सभी मनोरथों को पूर्ण करने हेतु इस बार महाशिवरात्रि पर पंच ग्रहों के योग का महासंयोग और दो महाशुभ योग बन रहे हैं, मंगलवार को मकर राशि में शुक्र, मंगल, बुध, चंद्र, शनि के संयोग के साथ ही केदार योग भी बनेगा, जो पूजा उपासना के लिए विशेष कल्याणकारी है। शिव पूजन का संयोग 28 फरवरी यानी सोमवार को प्रदोष से शुरू होगा।
पूजा मुहूर्त को लेकर स्वामी जी ने बताया कि शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि 1 मार्च प्रातः 3:16 मिनट से 2 मार्च रात्रि 1 बजे तक रहेगी। शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिधि नामक योग बन रहा है और इस योग के बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। वहीं परिध योग के बाद से शिव योग शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही शिव पूजन के समय केदार योग रहेगा।