Sunday, September 22, 2024
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वित्तविहीन शिक्षक महासभा की बैठक में समस्याओं को लेकर हुआ विचार विमर्श

सरकार की उपेक्षा के चलते आक्रोशित हैं वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षक एवं कर्मचारी: पवन शर्मा

सिकंदराराऊ। वित्तविहीन शिक्षक महासभा की एक बैठक पुरानी तहसील रोड स्थित शिशु शिक्षा मंदिर पेड़ वाले स्कूल में संपन्न हुई, जिसमें मुख्य अतिथि आगरा शिक्षक खंड प्रभारी पवन शर्मा एवं विशिष्ट अंतिम कुमार अध्यक्ष वित्तविहीन विद्यालय प्रबंधक महासभा अलीगढ़ व जितेन्द्र प्रताप संगठन मंत्री वित्तविहीन विद्यालय प्रबंधक महासभा अलीगढ़ थे। इस अवसर पर प्रांतीय संगठन मंत्री नरेश चतुर्वेदी ने फूल माला पहनाकर तथा स्मृति चिन्ह भेंट करके स्वागत किया।
आगरा शिक्षा खंड प्रभारी पवन शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों के विद्यालय प्रबंधन, शिक्षक एवं कर्मचारी बड़ी ही दयनीय दशा से गुजरे हैं। इस कोरोना काल में सरकार ने हर वर्ग को किसी न किसी तरीके से मदद की है ।लेकिन प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों को अछूता छोड़ दिया है। जिससे उक्त विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक एवं कर्मचारी आक्रोशित हैं। उक्त विद्यालय बहुत ही कम शुल्क में बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सरकार का अरबों रुपए राजस्व बचाने का कार्य करते हैं। दयनीय दशा से गुजर रहे विद्यालय प्रबंधन, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बूस्टर डोज दिलाई जाए। वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को मानदेय अथवा आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। फर्जी नामांकन रोककर सरकार का अरबों रुपए राजस्व बचाने हेतु कक्षा नर्सरी से ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की जाए तथा विद्यालय में प्रवेश हेतु पूर्व कक्षा की टीसी अनिवार्य की जाए ।उक्त विद्यालयों को सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान कर सौर ऊर्जा के प्लांटों से संतृप्त किया जाए । विद्यालयों में आरटीई के अंतर्गत अध्ययनरत बच्चों की रुकी शुल्क प्रतिपूर्ति को अति शीघ्र बहाल किया जाए । वित्त विहीन विद्यालय बहुत ही कम शुल्क में गरीब बच्चों को शिक्षा देने का कार्य करते हैं। अतः इन विद्यालयों में बिजली दरों को कमर्शियल दरों के स्थान पर घरेलू दरों में परिवर्तित किया जाए तथा इन विद्यालयों में परिषदीय विद्यालयों की तरह बच्चों को मिड डे मील की व्यवस्था की जाए।प्रांतीय संगठन मंत्री नरेश चतुर्वेदी ने कहा कि विभिन्न विद्यालयों की ओर सरकार की अनदेखी के चलते वित्तविहीन विद्यालयों के प्रबंधक एवं शिक्षक व कर्मचारी बीते 2 वर्ष में बहुत परेशानी के दौर से गुजरे हैं। शासन को वित्तविहीन शिक्षकों की समस्याओं पर गौर करना चाहिए। वहीं वित्तविहीन शिक्षकों को संगठित होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी। एकजुटता के साथ अपने अधिकारों की लड़ाई जब तक नहीं लड़ेंगे, तब तक कोई सुनवाई नहीं होगी। विषम परिस्थितियों में शिक्षण संस्थानों का संचालन करके वे निश्चित रूप से सरकार के कार्य में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।इस अवसर पर शरद शर्मा, लकी शर्मा, मुकेश कुमार गौतम, संजीव गौतम, राहुल गोला , नीरज धनगर, रवि शर्मा, सतीश यादव ,आदित्य बघेल, जुनैद अख्तर, भूपेंद्र सिंह, विशाल पचौरी, किशन उपाध्याय आज मौजूद थे।