Monday, May 6, 2024
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नरेश हीरो में कर्मचारियों की लापरवाही से परेशान हो रहे वाहन स्वामी

(एजेंसी का मैनेजर वाहन मालिकों को ही ठहरा रहा जिम्मेदार)

(HSRP नंबर प्लेट में फिटमेंट चार्ज जुड़ा होने के बावजूद वाहनों में नहीं की जा रही फिटिंग)

रायबरेली।  नई और पुरानी सभी प्रकार के वाहनों में हाई सिक्योरिटी प्लेट की अनिवार्यता ने वाहन मालिकों की परेशानी बढ़ा दी है। खास बात है कि ग्रामीण क्षेत्र के वाहन मालिकों को इस समस्या का सामना अधिक करना पड़ रहा है। मजदूरों के लिए यह खर्च काफी कष्टदायक है परंतु परिवहन विभाग और शहर की मोटरसाइकिल एजेंसियों के बनाए नियमों को तानाशाही के चलते वह मजबूर हैं।

ऑटो मोबाइल एजेंसी में विभाग का मनमाना रवैया – 

आज बुधवार की सुबह एक दैनिक मजदूर अपनी नौकरी छोड़कर ऊंचाहार के एक गांव से निकलकर चालीस किलोमीटर दूर रायबरेली शहर में रतापुर चौराहा के नजदीक खुले नरेश ऑटो मोबाइल एजेंसी में अपने दोपहिया वाहन की हाईसिक्योरिटी प्लेट लगवाने के लिए गया था। वाहन मालिक ने बताया कि नरेश ऑटो मोबाइल में जब वह अपने वाहन की नंबर प्लेट लेने पहुंचा तो पहले वहां के कर्मचारी ने उसकी मोटरसाइकिल और उसके कागज को देखा, फिर उसके हांथ में उसकी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट थमा दी। वाहन मालिक ने जब वहां के कर्मचारी से उसके वाहन में नंबर प्लेट लगाने की बात कही, तब वहां के कर्मचारी ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। वाहन मालिक का कहना है नंबर प्लेट अप्लाई के दौरान जो फीस कटी थी उसमें फिटमेंट का चार्ज भी ले लिया गया था, तो आखिर किस वजह से नरेश ऑटो मोबाइल एजेंसी के कर्मचारियों ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। एजेंसी के अंदर उसकी मोटरसाइकिल में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट क्यों नहीं फिट की गई जबकि अप्लाई करने के बाद मिलने वाली रसीद पर भी नियम और शर्तें लिखी हैं तो आखिर नरेश ऑटो मोबाइल एजेंसी इसका उल्लंघन क्यों कर रही है।

क्या कहते हैं एजेंसी के मैनेजर –

उपरोक्त के संबंध में जब रायबरेली शहर के रतापुर चौराहा स्थित नरेश ऑटो मोबाइल के मैनेजर विशाल शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने वाहन मालिक को ही गलत ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि हम वाहन मालिकों की गाड़ी देखकर ही नंबर प्लेट दे देते हैं और उन्हें एजेंसी के पीछे की तरफ जाकर सर्विस सेंटर में फिट कराने के लिए बोल देते हैं। अब वह लोग चोरी करते हैं तो हम क्या करें।

समस्या का हल निकालने की जरूरत –

अब उपरोक्त जैसी परिस्थितियों में नरेश ऑटो मोबाइल के कर्मचारियों/मैनेजर को कौन समझाएगा कि जो मजदूर अपने वाहन में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए करीब 350 रुपए अनुमानित राशि जीएसटी सहित खर्च कर सकता है,अपनी दैनिक मजदूरी छोड़कर एजेंसी के चक्कर लगा सकता है और अस्सी किलोमीटर मोटरसाइकिल से आने जाने के लिए पेट्रोल भी खर्च कर सकता है वह मजदूर या आम आदमी एजेंसी में थोड़ी देर समय और क्यों नहीं व्यतीत कर सकता.? यदि सर्विस सेंटर से ही वाहन मालिकों को नंबर प्लेट दी जाए और वहीं से फिटिंग भी कर दी जाए तो उपरोक्त समस्या का समाधान हो जाए। ध्यान देने की बात यही है कि एजेंसी के मैनेजर ने अपने विभाग की कमियों को न स्वीकार कर सारी गलती वाहन मालिक की ही निकाल दी।