Thursday, May 16, 2024
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राणा बेनी माधव की 218वीं जयंती पर कवि सम्मेलन और मुशायरा की जमीं महफिल

रायबरेली।  वीर बैसवारा की शान भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर नायक राणा बेनी माधव बख्श सिंह की 218वीं जयंती के मौके पर देरशाम कवि सम्मेलन और मुशायरा की महफिल जमीं। जिसमें राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नामचीन कवि और शायरों ने अपनी कविताएं सुनाकर सभागार में मौजूद हजारों लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए भोपाल से आए मंजर भोपाली ने कौमी-एकता की मिशाल पेश करते हुए ’साथ-साथ चलना है सबको ये बताना है, वैरी नाइस इंडिया-वैरी नाइस इंडिया…’ गीत गाकर महफिल को सजाने का काम किया। इसके बाद कवि डॉ. अनिल मिश्रा ने भगवान शिव पर लिखी हुई अपनी कविता सुनाई साथ ही प्रेम की शायरी सुनाकर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। उन्नाव से आए स्वयं श्रीवास्तव ने ’पानी पर तो उसी चांद की तस्वीर बनी है… ’इसके अलावा ’मूर्ति कोई तराश रहा, जाने किसकी नजर लगी थी, पुरखों से सुनते आ रहे हैं, अभागिन रही अयोध्या…’ जैसी कविताएं पढ़कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। लखनऊ से आए कवि डॉ. तारिक कमर ने ’यहां मेरा कोई अपना नहीं है, चलो अच्छा कोई खतरा नहीं है…और ’अमीरें शहर आंखे बंद कर ले गरीबी मुस्कराना चाहती है…’ जैसे गजल पढ़कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। ओज की दुनिया का बड़ा नाम राजस्थान से आए कवि विनीत चौहान ने कविता सुनाई- ’ये कौम शीश देकर जन्मी, ये कौम प्राण की दानी है। ये अमृत चख कर बड़ी हुई, ये कौम बड़ी बलिदानी है। जब-जब हम पर संकट आए, इस पगड़ी ने बलिदान दिया। बहुतों ने मस्तक चढ़ा अपने प्राणों का दान दिया। कुछ को आरे से चिरवाए, कुछ को रूई से जलवाया। कुछ फांसी के ऊपर टांग दिए। कुछ दीवारों में चिनवाए… बिस्मिल अशफाक जिस कोख से पैदा हुए वह हिन्दुतान हमारा है…’ और सैनिकों पर कविता पढ़ते हुए ’यू तो तुम्हारे इश्क पर यह जान भी कुर्बान है…मैं तुम्हारी कोख से फिर जन्म लेने आ रहा हूं…’ जैसी कविताएं पढ़कर लोगों को खड़े होकर तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। वहीं, मंजर भोपाली ने ’हो सके तो जिंदगी से प्यार कीजिए…’ और लोगों की फरमाइश पर बेटियों पर लिखी हुई गजल को सुनाया, ’पढ़ते हुए कहा कि इनको आंसू भी मिल जाये तो मुस्काती हैं, बेटियां तो बड़ी मासूम हैं जज्बाती हैं… इनसे कायम है तकददुस भी हमारे घर का, सुबह को अपनी नमाज़ों से ये महकाती हैं…’ जैसी गीत-गजल पढ़कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर किया। ओज की दुनिया के अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कवि डॉ. हरि ओम पंवार ने कविता के माध्यम से राणा बेनी माधव को जोड़ते हुए 1857 की मेरठ क्रांति का जिक्र करते हुए कविता पढ़ी ’भारत मां के बलिदानी बेटों से जिनको प्यार नहीं होगा, उन्हें तिरंगे को लहराने का अधिकार नहीं होगा…’ इसके साथ ही तालिबान के आतंक पर तंज कंसते हुए सुनाया कि ’तुमको अपने ही पापों के अंक मिले हैं अमरीका अपने ही पाले सांपों के डंक मिले हैं अमरीका…’ और घाटी के दिल की धड़कन, कश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की राजधानी था, डमरू वाले शिव शंकर की जो घाटी कल्याणी था, कश्मीर जो इस धरती का स्वर्ग बताया जाता था… ’ जैसी ओज की कविताएं सुनाकर पूरे सभागार में मौजूद लोगों को खड़े होकर तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर वसीम बरेलवी ने ’पुरखों की रवायत से कहां भाग रहे हैं, घर पर तेरे खतरा है हम जाग रहे हैं…’ और ’जो तेरे साथ उड़ा था वह आसमान में है, जरूर कोई कमी तेरी उड़ान में हैं…’ जैसी शायरियां पढ़कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. तारिक कमर ने किया। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष इन्द्रेश विक्रम सिंह, राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह, सलोन विधायक अशोक कोरी, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, विजय रस्तोगी, हरिहर सिंह, डॉ. शशिकांत शर्मा, विवेक सिंह, सत्येन्द्र सिंह, नरेन्द्र फौजी, कौशलेन्द्र सिंह, शिवकुमार सिंह, महेंद्र अग्रवाल, सभासद एसपी सिंह, डॉ. आजेन्द्र सिंह, डा. मनीष सिंह, डा. केएस सिंह, शिवम सिंह, डा. रवि सिंह, गोविंद खन्ना, गोपाल खन्ना, राकेश सिंह राणा, विनय द्विवेदी, प्रमेन्द्र पाल सिंह गुलाटी, अजीत सिंह, दुर्गेश सिंह, उमेश सिंह, सुरेन्द्र सिंह, शिवेन्द्र सिंह, राजू राठौर, आदि लोग मौजूद रहे।