♦ हादसे ने बताया कि आग का गोला है शहर !
कानपुर। शहर के बीचो बीच स्थापित रेडीमेड कपड़ों के निर्माण व बिक्री की थोक मार्केट जो की पांच बड़े शापिंग काम्प्लेक्स में थी अग्निकांड में जलकर खाक हो गई। बांसमंडी स्थित थोक होजरी मार्केट अग्निकांड में शहरवासियों और जिम्मेदारों को एक बार यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसी भयावह आग जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसको रोकने के लिए क्या उपाय किया जाए। आज की एक बड़ी दुर्घटना में शहर को जितनी आर्थिक चोट दी है उससे भी ज्यादा दूसरे स्थानों पर कारोबार करने वालों के मन में डर भर दिया है। इस आग ने आम जनों, सुस्त लापरवाह जीवनशैली व्यतीत करने वालों के अलावा मोटी तनख्वाह ले रहे जिम्मेदार अधिकारियों की भी नींद उड़ाई है। दरअसल इस शहर के बाशिंदों और जिम्मेदारों की एक आदत सी बन गई है,कि जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो आम नागरिक या अधिकारी भी तत्काल उल्टे पैर खड़े हो जाते हैं। इसके बाद थोड़े दिन कागजी घोड़े दौड़ाने के बाद सब कुछ शांत हो जाता है। दरअसल इसी प्रकार के सिस्टम की तमाम कमियों का खामियाजा सबसे ज्यादा प्रभावितों को ही झेलना पड़ता है, अगर नियम कानून के पालन करवाने वाले जिम्मेदार अधिकारी, उन नियमों कानूनों का पालन करने वाला हर वो नागरिक जो अपनी और अपने परिवार की जान-माल की सुरक्षा का फिक्रमंद हैं और सुरक्षित जीवन चाहता है तो मानव जनित यह दुर्घटनाएं कभी हो हीं नां। और अगर हो भी तो बहुत ही कम जन हानि के साथ।सोचने वाली बात आखिर क्यों न हो कि 5 दिन आग से जूझने के बाद शहर को मिला क्या ? लगभग 1200 दुकानों के ख़ाक होने और 5 हजार करोड़ से अधिक का प्रत्यक्ष नुकसान तय है। इस हादसे में भारी जन हानि ना होकर आग की चपेट में आकर एक ही व्यक्ति की मौत होने की बात सामने आई है।
आइए जाने कहां, क्यों और कैसे लें हम सबक- इस भयावह अग्निकांड ने व्यापारी समुदाय की कमर तोड़ देने और साथ ही साथ प्रशासनिक अधिकारियों की कार्य क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाली अग्नि दुर्घटना ने हमें भविष्य में इस तरह की घटनाओं से उबरने के लिए कुछ बिंदुओं पर तेजी से अमल करने के लिए मजबूर कर दिया है। जैसे, आम नागरिक को अपने सुरक्षित जीवन के लिए, नियम कानूनों को जानने व उनका पालन करने के लिए जागरूक होना चाहिए। नियम और कानून उनके जीवन की सुरक्षा के लिए उन्हें इन नियमों को जानने के लिए, संबंधित अधिकारियों की चौखट पर जाने में संकोच नहीं करना चाहिए, बल्कि जीवन सुरक्षा को सर्वाेपरि मानते हुए अधिकार के साथ उसकी जानकारी करने की कोशिश और अमल करना चाहिए। यह उनके सुरक्षित जीवन का अधिकार है।
व्यापारी समुदाय जो दिखेगा वह बिकेगा, की पद्धति पर काम करता है। इसलिए किसी भी प्रकार की संभावित दुर्घटना को ध्यान में ना रखते हुए वह भीड़ आधारित बाजार को ही चुनता है और वहीं अपने उत्पाद को प्रदर्शित करते हुए व्यापार शुरू कर देता है । अब भीड़भाड़ वाले स्थानों पर कितने ज्यादा जोखिम व्यापारियों को झेलने पड़ते हैं, इसको वह व्यापारी ही बखूबी समझ सकता है। इसके बावजूद व्यापारी बड़े जोखिमों से बेपरवाह होते हुए छोटे-मोटे जोखिम तो अपने तरीके से निपटा लेता है पर बड़े जोखिमों पर सरकारी व्यवस्था को ही कोसने लगता है। जबकि ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए। आज व्यापारी सुरक्षित हो, इसके लिए व्यापारी अपनी आवाज कभी नहीं बुलंद करता है अथवा व्यापार सुरक्षित कैसे हो सके इसके लिए सरकारी अधिकारियों द्वारा आयोजित बैठकों से भी नदारत रहता है। जब कभी बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं तो वह इन्हीं अधिकारियों पर दुर्घटना का ठीकरा फोड़ता है। सप्ताह में एक दिन की मार्केट बंदी के आदेश के बाद भी व्यापारी दुकान बंद न कर, दुकानों की साफ-सफाई,बिजली, पानी और प्रदूषण की तरफ ध्यान न देकर परिवार के साथ पिकनिक अथवा अन्य कार्यों में व्यस्त हो जाना, व्यापारी की दिनचर्या में शामिल हो गया है। व्यापारिक संगठनों द्वारा कभी भी सुरक्षा का अहसास या इस विषय पर कोई संगोष्ठी व बैठक ना करना। शोरूम को ही गोदाम और गोदाम को शोरूम का रूप देना। समूह की दुकानों के मालिकों द्वारा कभी भी पुलिस, प्रदूषण, नगर निगम, स्वास्थ्य और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को सुखी परिवार-सुरक्षित व्यापार, को ध्यान में रखते हुए इन विभागों के अधिकारियों को सुरक्षा उपायों के संदर्भ में जानकारी देने हेतु आमंत्रित न करना और अधिकारियों के द्वारा बुलाई गई बैठक में सम्मिलित न होना जैसे कारण शामिल हैं । इसके अलावा अधिकारियों द्वारा अग्नि सुरक्षा उपायों के तहत मानक के अनुरूप कार्यस्थल व बहुमंजिली इमारतों की संरचना का न होना ।
अब जबकि अग्निकांड का क्षेत्र लाटूश रोड अग्निशमन कार्यालय के अंतर्गत आता है तो संबंधित कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारी से भी अग्निकांड पर चर्चा लाजिमी है। अग्निशमन विभाग के अधिकारी से संपर्क करने पर वहां पर तैनात अग्नि सुरक्षा अधिकारी, कैलाश चंद्रा से भी वरिष्ठ संवाददाता वीरेन्द्र पाल ने इस बड़े अग्निकांड के कारणों, उपायों पर विस्तार से चर्चा की, जिसे हम यहां आपसे शेयर कर रहे हैंः-
संवाददाताः- आपको आग लगने की सूचना कैसे और कब मिली ?
अग्नि सुरक्षा अधिकारीः- प्रत्यक्षदर्शी द्वारा रात्रि 01ः32 बजे। प्रत्यक्षदर्शी अज्ञात व्यक्ति हैं।
सूचना दर्ज की गई 01ः 34 बजे, आरट0टी0 सेट मिनी कंट्रोल रूम के माध्यम से।
संवाददाताः- आप घटना स्थल पर कितने बजे पहुंचे ?
अग्नि सुरक्षा अधिकारीः- मैं 01ः38 बजे मौके पर पहुंच गया।
संवाददाताः- आग लगने व फैलने का कारण ?
अग्नि सुरक्षा अधिकारीः- मैं जब घटना स्थल पर पहुंचा तो मुझे प्रतीत हुआ कि आग काफी पहले ही लग चुकी थी जो कि धीरे-धीरे सुलगते हुए विकराल लपटों में बदल गई, किसी बाहरी व्यक्ति के द्वारा लपटों को देखें जाने पर ही उसके द्वारा सूचना भेजी गई।
संवाददाताः- आग को निश्चित आकार से फैलने में क्यों नहीं रोका जा सका ?
अग्नि सुरक्षा अधिकारीः- जब हमने आग बुझाने की कोशिशों के बीच भवन के अंदरुनी हिस्से में जाने की कोशिश की तो पाया कि भवन के अंदर निर्मित दुकानों, जीनों, गैलरी आदि में भारी मात्रा वस्तुओं का संग्रह किया गया था। वेंटीलेशन ना होने के कारण अधिकांश सामग्री में आग लग जाने से भवन के अंदर का तापमान एवं धुएं का फैलाव बहुत ज्यादा हो गया था। इसके अलावा भवन के अंदर बहुत ज्यादा तापमान बढ़ जाने से दीवारें इतनी गर्म हो गई कि दूसरे भवनों में ऊष्मा का प्रभाव बढा और दीवार के संपर्क में रखा हुआ समान भी जलने लगा। इसी दौरान तेजी से मौसम बिगड़ा और आंधी चलने से दूसरे भवनों की छतों पर लगे होर्डिंग, विद्युत केबल्स आदि ने भी आग पकड़ ली और आप को फैलाने में कारक बनी। इसके अलावा पुराने समय की घनी आबादी में बनी बिल्डिंग जो कि प्रत्येक भवन से आपस में एकदम जुड़ी हुई थी इसके कारण होरिजेंटल स्प्रेड आफ फायर नहीं कामयाब हो सका और आग तेजी से फैली। दूसरे भवनों के आपस में इंटरकनेक्टेड होना एवं आंधी चलने के साथ आग का तेजी के साथ फैलाव हुआ।
संवाददाताः- इतने बड़े पैमाने पर शहर में हुए अग्निकांड के बाद आप अधिकारी स्तर से कौन से मापदंड अपनाएंगे, जिससे इस प्रकार के अग्निकांड की पुनरावृत्ति न हो ?
अग्नि सुरक्षा अधिकारीः- आपके माध्यम से शहरवासियों को बताना चाहता हूं कि जैसे एक परिवार में किसी तरह की दुर्घटना चाहे वह आपदा या दुर्घटना हो या स्वाभाविक मौत , तो उस परिवार के लोग एकजुट होकर परिवार का सहारा बनते हैं उसकी मदद को खड़े होते हैं, इसी तरह यह शहर भी हमारा परिवार है। हम इस शहर के बीच रहते हैं और अगर शहरवासियों पर आग के कारण किसी तरह की आंच आती है तो हमारा अग्निशमन परिवार एकजुट होकर सबसे पहले शहरवासियों की जान माल की सुरक्षा को सर्वाेपरि रखते हुए उनकी सुरक्षा के लिए जुट जाता है। इस अग्निकांड में भी हमने लोगों की जान माल की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है शहर को बहुत बड़ी आर्थिक क्षति तो पहुंची है और इसके लिए भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए हमारा अग्निशमन विभाग एक नई व्यवस्था के साथ सुरक्षा उपाय प्रबंधन में जुट गया है । सीमित संसाधनों के बावजूद बिना किसी जान माल की हानि के हमने अपने समस्त विभागीय कर्मचारियों के दिन रात अथक प्रयासों एवं दूसरे विभागों के सहयोग, जिसमें सेना का भी सहयोग लिया गया, के द्वारा आग को पूरी तरीके से नियंत्रित कर पाना संभव हो पाया है। अग्निकांड वाले घटनास्थल पर प्रदेश के अग्निशमन विभाग एवं आपातकालीन सेवाओं के महानिदेशक भी पहुंच कर प्रत्यक्षदर्शी बने। उनके द्वारा मौके पर सभी स्थितियों, परिस्थितियों को जानकर व देखकर अब पूरे प्रदेश में ऐसी विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए अग्निशमन विभाग आधुनिक तकनीक आधारित संसाधनों से परिपूर्ण होकर अग्निशमन दायित्वो से निपटने में जल्द सक्षम होगा। हमारे नगर के मुख्य अग्निशमन अधिकारी दीपक शर्मा जी भी विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर विस्तृत दिशा-निर्देश के तहत कार्य योजना बना रहे हैं। इस नई योजना के अमल पर निश्चित तौर पर अग्निकांड की घटनाओं में कमी आएगी।
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