Monday, November 25, 2024
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नदियां जब मरती है, तो सभ्यताएं विलुप्त होती है:  संजय राणा

बागपत। जनपद के बड़ौत स्थित आदर्श बाल शिक्षा सदन और कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय के प्रांगण में एनवायरनमेंट एंड सोशल रिसर्च आर्गेनाइजेशन (एस्रो) के तत्वाधान में ष्आओ जाने नदियों का दर्द, एस्रो की जुबानीष् श्रृंखला के अंतर्गत बालक और बालिकाओं से संवाद किया गया।
इस अवसर पर दोनों विद्यालय परिवार के साथ विद्यार्थियों ने भी प्रतिभाग किया। संवाद के दौरान एस्रो के निदेशक संजय राणा ने कहा कि आज के परिपेक्ष में जीवनदायनी नदियों की दशा चिंतनीय है। समाज और व्यवस्थाओ की उपेक्षा और उदासीनता का दंश झेल रही है। अवश्य ही नदियों की आत्मा मानव समाज को धिक्कार रही होंगी। नदियां हमेशा जीवनदायनी होती है, हमारे देश की संस्कृति ने तो उन्हें मां का दर्जा दिया है परन्तु समाज और व्यवस्थाओ ने आज मां को मेहरी में तब्दील कर दिया है। मां बच्चो का मैला धोती है, मगर आज उन्ही बच्चों ने मां को मैला ढोने वाली में तब्दील कर दिया है। इसीलिये जीवनदायनी मां रोगदायनी में बदल गई है, यहीं से मानव समाज का पतन प्रारम्भ हो जाता है।इस अवसर पर प्रीतम सिंह वर्मा ने कहा कि आज के समय में मानव ने आदर भाव खो दिया है। वृद्ध आश्रम, प्रदूषित नदियां, वायु, भूमि और नीर यह सिद्ध करता है कि मानव शुभ लाभ की बजाय सिर्फ लाभ के लिये ही जीवन जी रहा है। एस्रो के निदेशक संजय राणा ने यह भी साझा किया की आगामी 17 अप्रैल से इसी विषय पर बागपत जिले के 16 विद्यालयों में 4 चरणों के माध्यम से युवाओ को जागरूक किया जायेगा। इस अवसर पर विजयवती पंवार, मधु त्यागी ममता, सरिता धामा, शारदा, अंजू शर्मा, नीतू रानी, पूनम रानी, सुजाता, प्रतिभा, रश्मि तोमर, मीनाक्षी चौहान, मोनिका रानी, ख़ुशी, वर्षा, शिफा, वाणी, ज्योति, हर्ष आदि उपस्थित रहे।