मथुरा। बंदर वन्य जीव अधिनियम से बाहर हैं। इन्हें पकड़ने या छोड़ने के लिए वन विभाग की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। बावजूद इसके लोगों को लगता है कि बंदरों की समस्या का समाधान करने में वन विभाग की जिम्मेदारी है। इसलिए डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट आफिसर के कार्यालय पर लोग बंदरों की समस्या लेकर पहुंचते रहते हैं। सामाजिक संगठन भी ज्ञापन आदि के माध्यम से समस्या उठाते रहे हैं। बुधवार को जन सहयोग समूह मथुरा का एक प्रतिनिधि मंडल जिला वन अधिकारी रजनीकांत मित्तल से मिला और ज्ञानद के माध्यम से बंदरों की समस्या के समाधान की मांग की। जिला वन धिकारी रजनीकांत मित्तल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि बंदर वन्य जीव अधिनियम से बाहर हैं। इन्हें पकड़ने या छोड़ने के लिए वन विभाग की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद जन सहयोग समूह के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी से शिकायत करने की बात कही। जन सहयोग समूह के समन्वयक अजय अग्रवाल ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल शीघ्र ही जिलाधिकारी से इस समस्या को लेकर मिलेगा और यह वस्तुस्थिति जानने का प्रयास करेगा कि मथुरा में विगत वर्षों में मंकी रेस्क्यू सेंटर जो चुरमुरा फरह के पास बनने के प्रस्ताव को न सिर्फ मथुरा शासन ने जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में पास किया था अपितु केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सी जेड ए) इसकी परमीशन भी दे चुका था फिर यह रेस्क्यू सेंटर किस कारण से खटाई में पड़ा हुआ है। जबकि बंदरों के हमले में रोजाना कोई न कोई स्थानीय निवासी अथवा तीर्थ यात्री आज भी चुटैल होता है। प्रतिनिधि मंडल में सहयोग समूह मथुरा के समन्वयक अजय कुमार अग्रवाल, सुभाष सैनी, रामदास चतुर्वेदी, बैंक मैनेजर से अवकाश प्राप्त बाबूलाल सैनी, हरीश अग्रवाल शामिल थे।