ऊंचाहार, रायबरेली। सांवापुर नेवादा गांव स्थित संतरी माता प्राचीन मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीरामचरितमानस कथा के अंतिम दिन कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज ने श्रद्धालुओं को भगवान श्रीराम की लीलाओं का बखान किया। कथा सुनकर श्रोता गांव भाव विभोर हो गए।
श्रीराम कथा से पूर्व कथा आयोजक अभिलाष चंद्र कौशल ने 201 जरूरतमंद महिलाओं को भोजन कराकर वस्त्र वस्त्र वितरित किया। इसके बाद कथा की शुरुआत करते हुए आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा कि भगवान को पाने के लिए उन्हें अंतरात्मा से पुकारना पड़ता है और प्रतीक्षा करो मैया शबरी, अहिल्या ने पूरे जीवन भगवान की प्रतीक्षा की। अंततः भगवान स्वयं उनके पास जाकर दर्शन देकर उन्हें उद्धार किया है। आचार्य ने कहा कि हम सब की भी भगवान के प्रति अटूट आस्था, मन में ललक, प्यास होनी चाहिए। तभी हम उनके दर्शन पाकर भवसागर को पार कर सकते हैं। भगवान जब भारद्वाज मुनि के पास गए तो उन्होंने यही कहा कि आज उनके सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण हो गए। महाराज जी ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि जिसका कोई गुरु नही उसका जीवन शुरू नही और गोस्वामी जी ने सम्पूर्ण मानस में समय समय पर गुरु महिमा का बखान किया है। इसके बाद केवट संवाद से लेकर चित्रकूट की लीलाओं का बहुत ही सुंदर एवं मार्मिक वर्णन किया गया। कहा कि केवट ने भगवान श्रीरामचन्द्र, माता सीता व लक्ष्मण को गंगा पार कराया। कथा सुनकर भक्त भगवान श्री राम, माता सीता की भक्ति में झूम उठे। कथा आयोजक अभिलाष चंद्र कौशल, हरिश्चंद्र कौशल, सुभाष कौशल, मनीष कौशल, सुशील कौशल सहित बड़ी संख्या में महिला, पुरुष व बच्चों ने प्रेरणादायक श्री राम कथा का रसपान किया।
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