फतेहपुर। किशनपुर का रामलीला वार्षिकोत्सव अपने आप में अनोखा है। राम लीला के सभी कलाकार नगर के ही होते हैं और अद्भुत कला का प्रदर्शन करते हैं। यहां का कवि सम्मेलन भी बहुत मशहूर है। अध्यक्ष उत्तम सिंह के नेतृत्व में मेले की व्यवस्थाओं के लिए व्यापक रूप से तैयारियां चल रही हैं। किशनपुर के ऐतिहासिक श्री रामलीला का 240वां वार्षिकोत्सव 17 अक्टूबर से शुरू होकर 4 नवंबर तक चलेगा। यह मेला उत्तर भारत के बड़े मेलों में शामिल है। रामलीला मैदान की यमुना तट की प्राकृतिक मनमोहिनी छवि एवं पारस्परिक मिलन, लांग, स्वांग एवं अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों का दिग्दर्शन, 21 अक्टूबर को धनुष यज्ञ का विशेष आयोजन, 22 अक्टूबर को राम वनवास की लीला में खेल तमाशे का विशेष प्रदर्शन कलाकारों द्वारा, 28 अक्टूबर को रामगढ़ी एवं हनुमानगढ़ी का वृहद जुलूस, 30 अक्टूबर को घायल तथा विराट कवि सम्मेलन एवं फाल्गुन गिरि बाबा कुटी की मनमोहिनी छवि मेला के विशेष आकर्षण हैं। मेला कमेटी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 17 अक्टूबर मुकुट पूजन से रामलीला महोत्सव का प्रारंभ होगा। 18 अक्टूबर विश्वामित्र याचना, 19 अक्टूबर ताड़का वध, 20 को अहिल्या उद्धार, जनक बाजार एवं फुलवारी लीला, 21 को धनुष भंग, लक्ष्मण परशुराम संवाद एवं जुलूस, 22 को राम बनवास बाहरी कलाकारों द्वारा खेल तमाशा का विशेष प्रदर्शन, 23 को राम गंगा एवं चित्रकूट में भरत मिलाप, 24 को सीता जी को अनसुइया उपदेश, खरदूषण वध, दशहरा शोभायात्रा, 25 को सीता हरण, जटायु उद्धार एवं शबरी लीला, 26 को श्री राम सुग्रीव मिताई एवं बालि वध तथा लंका दहन, 27 को सेतु बंधन, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति एवं वृहद जुलूस, 28 को रावण वध एवं रामगढ़ी तथा हनुमानगढ़ी का वृहद जुलूस, 29 को विभीषण राज्याभिषेक, वैद्य सम्मेलन, 30 को भरत मिलाप, घईयल एवं विराट कवि सम्मेलन, 31 को दंगल एवं नाटक हनुमानगढ़ी कमेटी द्वारा, एक नवंबर को दंगल एवं रंगारंग कार्यक्रम रामलीला कमेटी द्वारा, दो को श्री राम राज्याभिषेक एवं नाटक रामगढ़ी द्वारा, तीन को नाटक हनुमानगढ़ी कमेटी द्वारा एवं 4 नवंबर को नाटक रामगढ़ी कमेटी द्वारा आयोजित किया जाएगा। अध्यक्ष उत्तम सिंह के अनुसार रामलीला प्रबंधक को कार्यक्रम बदलने का पूर्ण अधिकार है। किसी भी विवाद की स्थिति में श्री रामलीला कमेटी द्वारा किया गया निर्णय ही अंतिम एवं सर्वमान्य होगा। श्री सिंह ने बताया कि यह मेला एवं रामलीला जनपद का सबसे प्राचीन मेला है। क्षेत्रीय लोग घरेलू उपयोग की वस्तुएं पूरे वर्ष के लिए खरीद लेते हैं। बर्तन संदूक, लाठी, लकड़ी, लोहे की सभी वस्तुएं पत्थर के सामान, बिसातखाने के सामान की विशेष बिक्री होती है। मेले में दुकानें मेला आरंभ होते ही दीपावली तक लगती हैं अतः दुकानदार मेले में पहले से अपना स्थान सुरक्षित करा लेते हैं। सभी दुकानदार एक दिन की दुकान लगाने के लिए रामलीला कमेटी से टोकन तथा स्थाई दुकान लगाने के लिए आई कार्ड प्राप्त करके ही दुकान लगा सकते हैं।