शिकोहाबाद, फिरोजाबाद। दिव्यांग बेटी से आजिज पिता ने ही अपने बेटी को जीवित अवस्था में पानी भरे प्लाट में फेंक कर उसकी हत्या कर दी। घटना के बाद वह सीधे ढावे पर चला गया। इसके बाद लौट कर घर नहीं आया। चार दिन बाद जब मृतक बालिका का शव पानी में तैरता हुआ मिला, तो मोहल्ले में सनसनी फैल गई। पुलिस ने मृतक बालिका के शव को पीआरओ सैल पर डाला और बोझिया में कुछ लोगों को उसकी फोटो दिखा कर शिनाख्त कराई। शिनाख्त होने पर पुलिस ने आरोपी पिता की तलाश शुरू की और कुछ ही घंटों बाद आरोपित को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में पिता ने बेटी की हत्या करना स्वीकार कर लिया। लेकिन उसने जो हकीकत बयां की, उसे सुन कर सभी के होश फाख्ता हो गये।
मूल रूप से सिरसागंज के गांव बझेरा बुजुर्ग निवासी बिजेंद्र पुत्र गुलाब सिंह लोधी अपने बेटा सौरभ (8) और मां फूलनदेवी के साथ बोझिया में मकान बना कर रह रहा था। चार अक्टूबर को उसकी पत्नी जो अपने जीजा के भाई के साथ लगभग चार साल पूर्व बिजेंद्र को छोड़ कर पंजाब चली गई थी। उस समय राधा की उम्र (3) माह थी। राधा जन्म से ही दिव्यांग थी। विगत 30 सितंबर को बिजेंद्र की पत्नी रेखा अपने गांव खेरी घिरोर आई थी। चार अक्टूबर को वह अपने दूसरे पति (जीजा के भाई) के साथ पंजाब के लिए जा रही थी। तभी उसने अपनी बेटी राधा को चार अक्तूबर को मैनपुरी रोड पर एक मंदिर के समीप बैठा कर चली गई। इस दौरान उसने एक कागज में राधा के पिता बिजेंद्र और उसके दो भाइयों के नाम और मोबाइल नंबर लिख दिये थे। उसमें लिखा था कि यह बेटी बिजेंद्र की है और उनके सुपुर्द कर दी जाए। जब लड़की को मंदिर पर कुछ लोगों ने देखा तो थाना पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने बच्ची को अपनी सुपुर्दगी में लिया और उसके पिता की तलाश की। कुछ ही घंटों में पुलिस ने बच्ची की दादी फूलन देवी और पिता बिजेंद्र को बेटी सुपुर्द कर दी। बताया जाता है कि जिस दिन से बच्ची पिता के घर आई, उसी दिन से उसकी दादी फूलन देवी उसके साथ ज्यादती करने लगी। खुद पूड़ी बेलने जाती थी। वहां से आने पर वह दिव्यांग बच्ची राधा और उसके भाई सौरभ के साथ अमानवीय व्यवहार करती थी। जिससे दोनों मां-बेटा आजिज आ गये थे। उधर पत्नी के छोड़ने के बाद वह शराब का सेवन करने लगा। स्थानीय लोगों के अनुसार रविवार (22) अक्टूबर रात दस बजे बिजेंद्र बेटी राधा को लेकर घर से निकला और बोझिया के समीप सर्विस रोड पर प्लाट में भरे पानी में जीवित अवस्था में फेंक दिया और स्वयं जसराना प्रधान ढावा पर मजदूरी करने चला गया।