राजीव रंजन नागः नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हिन्दुत्व, हिंसा भाजपा, आरएसएस को लेकर आक्रामक भाषण के कुछ दिनों बाद ज्योतिर मठ के 46वें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कांग्रेस नेता के समर्थन में आए हैं।
हिंदुओं के बीच एक सम्मानित व्यक्ति शंकराचार्य ने एक अलग दृष्टिकोण पेश किया। शंकराचार्य ने रविवार को कहा, ‘हमने राहुल गांधी के पूरे भाषण को ध्यान से सुना। उन्होंने स्पष्ट रूप से इस बात पर जोर दिया कि हिंदू धर्म हिंसा को अस्वीकार करता है।’
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान विवाद तब खड़ा हो गया जब राहुल गांधी ने भाजपा नेताओं पर सांप्रदायिक आधार पर लोगों को बांटने का आरोप लगाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण की निंदा करते हुए कहा था कि राहुल गांधी ने ‘पूरे हिंदू समुदाय को हिंसक’ करार दिया है। इस आरोप के बाद संसद में तीखी बहस हुई और स्पीकर ने कई विवादास्पद बयानों को रिकॉर्ड से हटा दिया।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने भी आरोपों के खिलाफ अपने भाई का बचाव किया है। उन्होंने कहा, ‘राहुल कभी भी हिंदुओं के खिलाफ नहीं बोल सकते। उनकी टिप्पणी भाजपा और उसके नेताओं पर लक्षित थी।’ राहुल गांधी की टिप्पणी से बवाल मच गया है। दक्षिणपंथी समूहों ने उन्हें हिंदू विरोधी करार दिया है।
संसद के विशेष सत्र के दौरान नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हिंदुओं को लेकर बयान दिया था। जिसके बाद हिंदू संगठन सहित भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन किया गया। राहुल गांधी की हिंदू वाले बयान पर हो रही जमकर आलोचना के बीच शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कांग्रेस सांसद के समर्थन आ गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने राहुल गांधी का पूरा भाषण सुना। वे साफ कह रहे हैं कि हिंदू धर्म में हिंसा का स्थान नहीं है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें वो यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि, ‘हमने राहुल गांधी का पूरा भाषण सुना। वे साफ कह रहे हैं कि हिंदू धर्म में हिंसा का स्थान नहीं है। राहुल गांधी कहीं भी हिंदू धर्म के विपरीत बात नहीं कर रहे हैं। राहुल गांधी के आधे वक्तव्य को फैलाना अपराध है। ऐसा करने वाले को दंडित किया जाना चाहिए।’
दरअसल, राहुल गांधी ने लोकसभा में 01 जुलाई को कहा था कि, ‘जो लोग अपने आप को हिंदू मानते हैं वो 24 घंटे हिंसा और नफरत करते रहते हैं। आप लोग हिंदू हो ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ लिखा है कि सच का साथ देना चाहिए।’
विपक्ष का नेता बनने के बाद 1 जुलाई को लोकसभा में अपना पहला भाषण देते हुए भगवान शिव की तस्वीर लेकर राहुल ने सांसदों से कहा, ‘भगवान शिव कहते हैं कि डरो मत और दूसरों को मत डराओ। वे निडर मुद्रा दिखाते हैं, अहिंसा की बात करते हैं… और जो खुद को हिंदू कहते हैं, वे चौबीसों घंटे हिंसा, नफरत और झूठ की बात करते हैं। राहुल के बेबाक भाषण में इतनी ताकत थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो बार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पांच बार हस्तक्षेप करना पड़ा। मोदी ने खड़े होकर कहा, ‘यह बहुत गंभीर है। पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना बहुत गंभीर बात है।’
संसद में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, ष्मैं भाजपा और आप की बात कर रहा हूं…। नहीं, नहीं। नरेंद्र मोदी पूरे हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, न ही भाजपा या आरएसएस का।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संघ परिवार का हिंदू धर्म पर एकाधिकार नहीं है। इस भाषण ने हंगामा मचा दिया, जिसका असर गुजरात के अहमदाबाद में देखने को मिला। जहां कांग्रेस मुख्यालय पर दक्षिणपंथी गुंडों ने हमला किया, जिसके बाद राहुल शनिवार को राज्य के दौरे पर आए।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने स्पष्ट रूप से कहा कि रायबरेली के सांसद को ऐसी बात के लिए निशाना बनाना गलत है, जो उन्होंने कभी कही ही नहीं। स्वामी ने कहा, ‘उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हिंदू हिंसा में लिप्त नहीं हो सकते। जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक से पहले, (जिसे पीएम मोदी ने किया था) ओडिशा के गोवर्धन मठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने यह कहते हुए समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया था कि किसी भी अधूरे मंदिर का अभिषेक हिंदू शास्त्रों के खिलाफ है।
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