Friday, November 22, 2024
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शिया समुदाय ने सातवीं मोहर्रम को निकाल मातमी जुलूस

शिकोहाबाद। मुस्लिम शिया समुदाय के लोगों ने सातवीं मोहर्रम पर एक मातमी जुलूस निकाल कर इमाम हुसैन की शहादत की यादें ताजा की। समुदाय के लोगों ने मातम करके पूर्वजों की कुर्बानी की गाथा सुनाई।
अंजुमन ए हुसैनिया ने शनिवार को एक जुलूस निकाला। जुलूस कटरा बाजार से होते हुए इमामबाड़ा पर जाकर संपन्न हुआ। ताजिया के मद्दे नजर कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी पूरे जुलूस के में साथ चले। मोहर्रम मां के सातवें दिन हुसैन इमामबाड़ा से जुलूस निकाला गया। समाज के लोगों ने मातम करके इमाम हुसैन की शहादत के दर्द को याद किया। शिया समुदाय के लोगों ने हाय हुसैन, है हुसैन बोलते हुए शहीदों का मातम किया। मजलिस के मौके पर मौलाना ने फरमाया लोगों को हजरत मोहम्मद पैगंबर का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कर्बला के मैदान में जो घटना घटी वह कोई मामूली बात नहीं थी। हजरत इमाम हुसैन को उनके साथियों की शहादत यह जाहिर करती है कि इस्लाम की आज ही के दिन हुसैन के लिए पानी बंद कर दिया गया था। हम सभी मौला हजरत कासिम का जुलूस निकालकर उनको याद करते हैं। हिफाजत करना कितना मुश्किल होता है। उन्होंने सच के लिए अपने बलिदान दिया। जुलूस में शिया समुदाय के सैकड़ो लोग मौजूद रहे। नौजवान बच्चे या हुसैन की सागो से साथ देते चल रहे थे। पुलिस प्रशासन ने जुलूस को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे। कई जगह भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। मौलाना ने कहा हजरत मोहम्मद हजरत इमाम हुसैन ने सिर्फ इस्लाम की अच्छी बातों को फैलाने के लिए अपना वतन छोड़कर कर्बला के सफर पर अपने साथियों के साथ निकल पड़े थे। लोगों को हजरत इमाम हुसैन की जिंदगी गुजारना सत्संग इस्लाम पर चलने की हिदायत रहनी चाहिए। इस दौरान हैदर वकार, जेडी शादाब, जुनैद महाराज, शादी शादाब, जड़ी शानू, समीर, इमरान हैदर, अबुल हसन, कैफी मोहम्मद, आते मोहम्मद, हैदर जैदी आदि लोग मौजूद रहे। वहीं सातवीं तारीख को मोहल्ला पड़ाव से नईम अंसारी के नाम से ताजिए निकाले गये। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। सभ्रांत लोगों का शॉल उढ़ाकर सम्मान किया गया। इसके बाद ताजिए मोहल्ला पड़ाव से प्रारंभ होते हुए बड़ा बाजार, रुकनपुरा और कई मोहल्लों में घूमते हुए शाम शात बजे समापन हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग मौजूद रहे।