Monday, November 25, 2024
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बुजुर्गों के आशीर्वाद से खुलते हैं युवाओं के उन्नति के रास्ते – एसपी चन्द्रभान

हाथरस, जन सामना ब्यूरो। बुर्जुगियत की जिसने भी कद्र की है वह सदैव उन्नति के पथ पर चला है। बुजुर्ग ही हमारे सच्चे मार्गदर्शक होते हैं। वह कभी उपेक्षित नहीं रहने चाहिए। इसके लिए युवा पीढ़ी की प्राथमिक जिम्मेदारी भी बनती है। हम आज जो भी बनते हैं वह बुजुर्गों के कारण ही बन पाते हैं। मुझे यहां पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया है, लेकिन यह तो मेरा सौभाग्य है कि लायन्स क्लब ने मुझे यह सम्मान दिया है। हालांकि मैं तो यहां पर केवल बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने आया हूं।


उक्त उद्गार बागला इंटर कलेज में आयोजित वृद्ध दिवस के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक घुले सुशील चंद्रभान ने व्यक्त किए। इससे पूर्व उन्होंने कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलित कर की और कार्यक्रम की शुरूआत ध्वज वंदना के साथ हुआ। जबकि अध्यक्षता करते हुए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व अध्यक्ष लायन्स क्लब हाथरस अशोक कपूर ने कहा कि आज बुजुर्गों दशा और दिशा दोनों पर मंथन करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। बदलते दौर में पाश्चात्य संस्कृति का जो असर युवा पीढ़ी पर है उसके चलते यह महसूस किया जा रहा है कि युवाओं को जो तालीम मिल रही है उसमें बुजुर्गों की श्रद्धा और सम्मान का भी एक अध्याय जुड़ना आवश्यक है। विशिष्ठ अतिथि पूर्व प्राचार्य एससी शर्मा ने कहा कि कल हम युवा थे, आज सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। जो आज युवा हैं वह कल बुजुर्ग बनेंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि बुजुर्गों की भावनाओं को भी समझा जाए और उनके लिए आवश्यकताओं पर पहल की जाए। पूर्व अध्यक्ष लायन्स क्लब घनश्याम किशोर शर्मा ने कहा कि बुजुर्गों की मूलभूत समस्याओं और आवश्यकताओं के समाधान के लिए सार्थक पहल होनी चाहिए ताकि भारतीय संस्कृति और शिक्षा की भी लाज रहे और बुजुर्गों को सम्मान मिल सके।
इस मौके पर डाक्यूमैंर्टी फिल्मों के माध्यम से विभिन्न देशों में वृद्धजनों की सेवा और सहायता से जुड़े कार्यक्रमों को दिखाया गया। सेवानिवृत्त प्रभूदयाल दीक्षित व एसएन गौतम ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम में दिनेशचंद्र मेहरवाल, किशनस्वरूप अग्रवाल, डॉ.राघवेंद्र मोहता, अजय कपूर, अरुण कुमार अरोरा, विजय कुमार वाष्र्णेय, केएन खंडेलवाल, विजय खेतान, मेजर पीडी उपाध्याय, जीडी वर्मा, कालीचरन शर्मा, अतर सिंह, केसी कुलश्रेष्ठ, रमेशचंद्र मधुर, अशोक कुमार वाष्र्णेय, रूपराम वर्मा, ऋषि कुमार, गुलशन कुमार, ज्ञानेंद्र कुलश्रेष्ठ, जीके वशिष्ठ व स्वतंत्र कुमार गुप्त आदि उपस्थित थे।