Monday, November 25, 2024
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गंगू बाबा की शहादत को किया याद

अमर शहीद गंगू बाबा स्मारक समिति की ओर से दी गई श्रद्धांजलि
कानपुर, जन सामना संवाददाता। अमर शहीद गंगू बाबा स्मारक समिति की ओर से 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए क्रांतिकारी गंगू बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शहादत दिवस पर चुन्नीगंज स्थित सुर्दशन पार्क में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर देश की आजादी में उनके योगदान को याद किया गया और कार्यक्रम में आये हुए वक्ताओ ने गंगू बाबा के बलिदान के विषय पर चर्चा की। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर देव कुमार ने बताया कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी अमर शहीद गंगू बाबा भारत के मूलनिवासी गंगू बाबा नानाराव पेशवा की फौज के जांबाज यौद्धा थे। पहलवानी में उनका कोई सानी नही था। मैस्कर घाट के सामने उनके नाम से मौजूद आखाडा इसकी तसदीक करता है। जनवरी 1857 में जेब बैरकपुर छावनी (कलकत्ता ) में मेहतर कौम के मातादीन जी द्रारा सिपाही मंगल पाण्डे के सामने कारतूसों में गाय व सुअर की चर्बी मिली होने का राजफाश किया गया तो हिन्दू एवं मुसलमान दोनो ही कौम के सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी इसी बगावत को 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा गया। बगावत की ये आग जब बिठूर पहुंची तो बहादुर मार्शल कौम में जन्मे गंगू बाबा ने भी अपनी अगाध देश भक्ति का परिचय देते हुए सैकड़ो अग्रेंजों को मौत के घाट उतार दिया भंयकर रक्तपात किया उनकी तलवार के बार में इतनी ताकत थी कि एक साथ कईयों के गर्दन धड़ से अलग होकर धूल चाटने लगती थी लेकिन कुछ गद्दारों के बाल पर बगावत को विफल करने के बाद अंग्रेजों ने देश भक्तो तथा सैनिकों को भयंकर यातानायें दी उन्हें तोपो के मुँह पर बांधकर उड़वा दिया गया और हजारों को पेड़ों पर फंदा डालकर फांसी पर चढा दिया गया। कहा जाता है कि गंगू बाबा को भी घोड़े के पीछे बांधकर घसीटा गया। आज जहां ये शहीद स्थल है। यहां पर लगे विशाल नीम के पेड़ पर फंदा डालकर 5 जून 1858 को उन्हें भी फांसी पर चढा दिया गया। कई दिनों तक महान देश भक्त का विशालकाय शरीर यही टंगा रहा था। उनकी देश भक्ति को देखकर स्वतः ही लोगों का सर अदब से झुकने लगा और 3 नवम्बर 1978 को सुदर्शन नगर चुन्नीगंज के कुछ श्रद्धावान तथा जागरूक लोगों ने इनकी मूर्ति स्थापित कर दी। उस मूर्ति को 26 मई 2015 की रात कुछ उपद्रवियों ने तोड़ दिया बस्ती के कुछ जागरुक लोगों के संघर्ष से 3 जून 2015 को नई मूर्ति पुनः स्थापित की गयी। एक बार फिर इस शहीद स्थल के निर्माण एवं विस्तार हेतु एक साल लम्बा संघर्ष हुआ जिसमें गंगू बाबा के उपासकों की जीत हुई और इस पावन शहीद स्थल का निर्माण 14 मई 2018 से शुरु हुआ 5 जून 2018 को अमर शहीद गंगू बाबा के 160वें शहीदी पर्व पर बनकर तैयार हुआ। धन्य है सुदर्शन नगर चुन्नीगंज के नागरिक व वाल्मीकि समाज जिन्होंने अपने इतिहास की इस धरोहर को संजोकर रख है। इस कार्यक्रम के मौके पर के. नाथ साहित्यकार लाखन लाल अम्बेडकर, अजीत बाघमार, अनिल ब्रहम, अनिल भाइर्, अनिल सागर, सुनील वाल्मीकि, सुनील चैधरी, जगदीश समुर्द्रे, अमित बाघमार, विक्रम बाघमार, राजन, रोकी, राहुल, मुकेश परिहार, हरभजन, अशोक, डब्लू वाल्मीकि, देव कुमार, धीरज खरे, अनिल बवनगे, अर्जुन विरिहा, सौरभ, छेदी लाल, बृजेश, शरद सोनकर, अमर, विश्वास, जगदीश सागर, सतीश वाल्मीकि, कमलेश वाल्मीकि, जितेन्द्र वाल्मीकि, रमेश वाल्मीकि, संगीता बाली, अनिल, सुमन, सुरेश चन्द्र (राका) आदि मौजूद रहे।