Sunday, November 24, 2024
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कार्यमुक्त बाबू रात में करता फाइलों से छेड़छाड़

हाथरस, नीरज चक्रपाणि। हाथरस के सिचाई विभाग के कार्यालय में एक माह पूर्व कार्यमुक्त बाबू देर रात कार्यालय में फाइलों से छेड़छाड़ करते, हुआ कैमरे में कैद, 2 वर्ष पूर्व हो चुका था बाबू का ट्रांसफर अलीगढ़ नलकूप विभाग में पिछले माह कार्यमुक्त हो चुका था बाबू, फिर क्या कर रहा था देर रात को कार्यालय में अधिकारियों ने साधी चुप्पी।

सिचाई विभाग में यू तो घोटाले और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के मामले कोई नए नही है, लेकिन ताजे मामले में भी कही ना कही गड़बड़ झाला नजर आ रहा है। यहां के एक बाबू का 2 वर्ष पूर्व शासन के आदेश पर अलीगढ़ ट्रांसफर हुआ था। लेकिन विभागीय मिली भगत से 2 वर्ष तक नही हुआ वह हाथरस से कार्यमुक्त जब मामला शासन के संज्ञान में आया तो अधिकारियों ने आनन फानन में बाबू को पिछले माह कार्यमुक्त तो कर दिया पर कार्यमुक्त होने के बाद भी अधिकारियों की मिलीभगत से कार्य कर रहा है। बाबू देर रात में कार्यालय खोल कर रहा था फाइलों से छेड़छाड़ मीडियाकर्मियों के द्वारा देर रात में कार्य करने का कारण पूछने पर पहले तो गोलमोल जबाब देता रहा और फिर अभद्रता पर उतर आया बाबू दया शंकर पाठक सारा कुछ अधिकारियो की नजर में है। उसके बावजूद भी अधिशासी अभियंता अतुल कुमार ने चुप्पी साध रखी है। सबसे खास बात यह है कि 2016 में यही अधिशासी अभियंता अतुल कुमार और बाबू दया शंकर पाठक इसी खंड में साथ साथ तैनात थे और कुछ शिकायतों के चलते दोनो का ही 2016 में ट्रांसफर हो गया था, लेकिन बाबू का खेल देखिये की बाबू ने जिला नहीं छोड़ा और कलेक्ट्रेट में अटैच हो गया, अब अधिशासी अभियंता फिर वापिस इसी खंड में आ गए है, सूत्र बताते है कि 2016 तक इनके कार्यकाल में हुए फर्जी कराए गए कामों और अनियमत कागजी रिकॉर्ड को सही करने के लिए ये वापिस आये है। जब अधिशासि अभियन्ता अतुल कुमार से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई तो वह कैमरे के सामने आने से बचते रहे, जबकि सब कुछ हो उनकी ही सहमति से रहा है। यह बाबू मीडियाकर्मियों के सामने ही अधिशासी अभियंता की बगल में बैठ कागजों पर आदेश करा रहा था और जैसे ही मीडिया कर्मियों के कैमरे चमके तो वहां से ये बाबू भाग खड़ा हुआ, सवाल उठता है कि आखिर ऐसे कौन से कार्य है जिन्हें पूरा करने के लिए देर रात में विभाग से कार्यमुक्त बाबू के हाथों में सौप दी जाती है कार्यालय की चाबी और कराया जाता है काम, क्या कारण है की पूर्व में तैनाती के दौरान राजकीय धन गबन के आरोपों से घिरे अधिशासी अभियंता अतुल कुमार को 2 साल बाद उसी खंड में तैनाती दे दी जाती है।
क्या वाकई काम का लोड है या किसी पूर्व किये में गए घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। अगर ऐसा नही है तो क्यों नही जा रहा है बाबू अपने नए तैनाती स्थल अलीगढ़ नलकूप विभाग में।