बछरावां (रायबरेली), जन सामना ब्यूरो। सबका साथ सबका विकास का नारा देने तथा नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए कटिबद्ध प्रदेश सरकार जहां एक तरफ शिकंजा कसती जा रही है वही बछरावां का विद्युत विभाग परीक्षा देने वाले छात्रों के साथ शौतेला व्यहार निभाने का कार्य कर रहा है। ज्ञात हो बीते 2 माह से बछरावां क्षेत्र के विद्युत व्यवस्था इतनी लचर हो गई है कि कब आएगी कब जाएगी इसका कोई पता नहीं है। विभाग की इस नीति के कारण चुनावी वर्ष में प्रदेश सरकार की जहां किरकिरी हो रही है वहीं मतदाताओं में आक्रोश भी व्याप्त हो रहा है। उल्लेखनीय है कि इस समय बोर्ड परीक्षाएं चल रही है और बच्चों को पढ़ने के लिए साय काल तथा प्रातः काल बिजली चाहिए परंतु जब यह बच्चे पढ़ने के लिए बैठते हैं। तो अचानक बिजली गुल हो जाती है ,यह भी नहीं पता चलता कि लौट कर कब आएगी। छात्रों का कहना है संभवत विभाग चाहता है कि सरकार की बदनामी हो और चुनाव में उसको मुंह की खानी पड़े, यही कारण है स्थानीय बिजली विभाग के अधिकारी जनता के अंदर आक्रोश पैदा करवा रहे हैं। एक तरफ जहां बिजली आपूर्ति का आलम यह है वही जब से इसमें प्राइवेट सेक्टर के लोगों की भर्ती की गई है तब से अनाप-शनाप बिल आने शुरू हो गए हैं । स्थिति यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में एक 1 महीने का बिल 6-6 हजार रुपए आ रहा है। पीड़ित उपभोक्ताओं का कहना है कि अगर विभाग पर अंकुश ना लगाया गया तो चुनाव में जो परिणाम होंगे वह तो होंगे ही कहीं कर्मचारियों से संघर्ष की स्थिति ना पैदा हो जाए। बिजली कटौती को लेकर स्थानीय कस्बे के निवासी दीपचंद सोनी द्वारा मुख्यमंत्री को ऑनलाइन शिकायत भेज कर विद्युत आपूर्ति समुचित ढंग से कराने की गुहार की गई है परंतु भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा बिजली विभाग इसकी सुनवाई करेगा या नहीं, इस विभाग का आलम यह है कि पिछली अधिभार माफी में जिन लोगों ने पंजीकरण कराया था और अधिभार छोड़ कर पैसा जमा कर दिया था उनका भी समायोजन आज तक नहीं किया गया है क्षेत्र की जनता ने शासन व प्रशासन से मांग की है कि इस विभाग में बढ़ते भ्रष्टाचार व कामचोरी पर अंकुश लगाते हुए विद्युत व्यवस्था निर्बाध रूप से दी जाए।