Tuesday, November 26, 2024
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राष्ट्रपति ने दयालुता पर पहले विश्व युवा सम्मेलन का उद्घाटन किया

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने आज नई दिल्ली में दयालुता पर पहले विश्व युवा सम्मेलन का उद्घाटन किया। इसका आयोजन यूनेस्को महात्मा गांधी शांति और विकास शिक्षा संस्थान तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ। कार्यक्रम का विषय ‘वसुधैव कुटुम्बकम् : समकालीन विश्व में गांधीः महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह’ था। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी उपस्थित थे। सम्मेलन में एशिया, अफ्रीका, लातीनी अमेरिका और यूरोप के 27 से अधिक देशों के लगभग 1000 युवाओं ने हिस्सा लिया।
इस सम्मेलन का उद्देश्य संवेदना, सद्भाव, करूणा जैसे गुणों के जरिए युवाओं को प्रेरित करना था, ताकि वे आत्म विकास कर सकें और अपने समुदायों में शांति स्थापित कर सकें।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी एक महान और दूरदर्शी जननायक थे। उन्होंने कुछ सार्वभौमिक आदर्शों और मूल्यों का मानवीकरण किया। यदि हम गांधीजी को किसी भी युग में रखते है तो हम पाते है कि वे सभी युगों के लिए प्रासंगिक है और यह बात वर्तमान समय में भी सत्य है। गांधीजी हमारी वर्तमान चिंताओं जैसे शांति और सद्भावना की आवश्यकता, आतंकवाद तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भी प्रासंगिक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरे विश्व में जो हिंसा और विद्रोह की घटनाएं हो रही है उनमें अधिकांश पूर्वाग्रह पर आधारित है। ये हमें दुनिया को ‘हम लोग बनाम वे लोग’ के आधार पर दुनिया को देखने के लिए बाध्य करती है। गांधीजी के आदर्शों का पालन करते हुए हमें और हमारे बच्चों को ‘उन लोगों’ के साथ बातचीत करने और घुलने-मिलने का प्रयास करना चाहिए। परस्पर बातचीत से हमारी समझ बेहतर होती है और इससे हमें पूर्वाग्रहों पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वाग्रहों को समाप्त करने में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। हमें अपनी शिक्षा प्रणाली की संरचना और इसके लक्ष्यों का मूल्यांकन करना चाहिए। शिक्षा को साक्षरता से आगे ले जाने की जरूरत है। शिक्षा से छात्रों को अपने अंदर झांकने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। उनकी आंतरिक शक्ति मजबूत होनी चाहिए, ताकि वे दूसरों के कष्टों को समझ सकें। शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो छात्रों में वर्ग और वर्ण के विभेद को समाप्त कर सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन में विश्व के युवा नेता भाग ले रहे हैं। विश्व को दयालु, संवेदनशील और शांतिपूर्ण बनाने में पूरी दुनिया के युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इस सम्मेलन में भाग ले रहे युवा अपने पूरे जीवन में दयालुता के दूत के रूप में कार्य करते रहेंगे।