कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। किसान जब कृषि सम्बंधी कार्य करता है तो सम्भव है कि उसकी किसी आकस्मिक घटना/दुर्घटना से मृत्यु, अपंग आदि हो सकता है। किसान कड़ी मेहनत कर जब फसल तैयार करता है और फसल पककर खेत में खड़ी हो या खलिहान में लायें तो यदि किसी दुर्घटनावश अग्निकांड हो जाय तो किसान का परिवार सड़क पर आ जाता है। किसानों की इन दुर्घटनाओं पर उसके परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री कल्याणकारी योजनायें संचालित की है। राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद द्वारा संचालित इन योजनाओं से मण्डी समितियों के माध्यम से हजारों किसान लाभान्वित हो रहे हैं। प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के समस्त कृषकों, खेतिहर मजदूरों एवं मण्डी पल्लेदार जो केवल कृषि अथवा कृषि से सम्बंधित कार्य में संलग्न हैं, उन्हें मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना के अन्तर्गत आच्छादित किया है। इस योजनान्तर्गत कृषि व कृषि से सम्बंधित कार्य करते समय यदि कृषक की किसी दुर्घटना से मृत्यु हो जाती है तो प्रदेश सरकार उसके परिवार को 03 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देती है। दुर्घटना में दोनों पैर, दोनों हाथ, दो आंख या किसी दो की क्षति होने पर 75 हजार, एक हाथ, एक पैर अथवा एक आंख की क्षति पर 40 हजार रूपये, चार ऊंगलियों की क्षति पर 30 हजार, तीन ऊंगलियों की क्षति पर 25 हजार, अंगूठे की क्षति पर 20 हजार रूपये, प्रदेश सरकार द्वारा दुर्घटनाग्रस्त किसान/उसके परिवार को आर्थिक सहायता देती है। प्रदेश में गत वर्ष 553 लाभार्थियों को 7.71 करोड़ का तथा इस वर्ष जुलाई तक 207 किसानों/लाभार्थियों को 3.15 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता देते हुए लाभान्वित किया गया है। प्रदेश में लागू मुख्यमंत्री खेत-खलिहान दुर्घटना सहायता योजना के अन्तर्गत समस्त मण्डी समितियों के क्षेत्रान्तर्गत खलिहान में एकत्रित फसल एवं खेत में खड़ी फसल में अग्निकाण्ड दुर्घटना हुई तो सम्बंधित किसान को फसल के क्षतिग्रस्त होने पर फसल/क्षेत्रफल के अनुसार 30 हजार से 50 हजार तक की आर्थिक सहायता प्रदेश सरकार देती है। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2017-18 में 10893 किसानों को 10.98 करोड़ रूपये एवं 2018-19 में 11147 किसानों को 13 करोड़ रूपये से अधिक की आर्थिक सहायता दी गई है। किसानों के पुत्र/पुत्रियों के कृषि शिक्षा ग्रहण करने पर स्नातक, स्नातकोत्तर में मेरिट के आधार पर 3000 रू0 प्रतिमाह मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत छात्रवृत्ति दी जाती है। उसी तरह मण्डी समितियों द्वारा मुख्यमंत्री कृषक उपहार योजना के अन्तर्गत किसानों को कृषि उपकरण उपहार में दिये जाते हैं। कृषि विपणन कार्य में कृषक उत्पादकों की सहभागिता बढ़ाने, मण्डी क्षेत्र/सरकारी क्रय केन्द्रों पर कृषि उपज को बेचने के लिए अभिप्रेरित करने, किसानों को प्रवेश पर्ची एवं प्रपत्र-6 (विक्रेता वाउचर) प्राप्त करने की ओर रूचि बढ़ाने के उद्देश्य से यह योजना संचालित है। जिसमें त्रैमासिक ड्रा में पम्पिंगसेट, पाॅवर विनोइंग फैन, मिक्सर ग्राइंडर एवं छमाही ड्रा में टैक्टर, पावर ट्रिलर पावर ड्रिफेन हारवेयटर, सोलर पावरपैक संयंत्र किसानों को दिये जाते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा मण्डी स्थल/उप मण्डी स्थल में लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों/आढतियों की मण्डी परिसरों की सीमा में व्यापारिक कार्य के दौरान दुर्घटना में मृत्यु होने की दशा में उसके विधिक उत्तराधिकारी को अधिकतम 03 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। उसी तरह वाह्य दृष्टिगत कारणों अथवा तडित प्राकृतिक बिजली गिरने से आग लगने की दशा में मण्डी/उप मण्डी स्थल परिसरों में कार्यरत लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों/आढतियों को वास्तविक क्षति अथवा 02 लाख रुपये जो भी कम हो की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अतिरिक्त किसानों को धान, गेहूं के सरकारी क्रय केन्द्रों पर विक्रय करने पर 20 रुपये प्रति कुन्तल की दर से उतराई, छनाई, सफाई के लिए भी धनराशि की जाती है। प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में उ0प्र0 आलू निर्यात प्रोत्साहन योजना 2018 लागू किया हैै। प्रदेश सरकार किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए मण्डी समितियों में फसल लाकर बेचने पर बल दिया है। किसान अपनी उत्पादित विभिन्न फल, सब्जी, अनाज, दालें आदि फसलों को लाकर मण्डी समितियों में बेंच रहे हैं। मण्डी समितियों में फसल बेचने पर किसानों की आमदनी में उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी हो रही है।