Saturday, April 5, 2025
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तंजवुर में हुआ श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम का जोरदार आगाज

कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए तमिलनाडु के राज्पाल बनवारी लाल पुरोहित

तंजवुर, तमिलनाडुः डॉ.दीपकुमार शुक्ल। सांस्कृतिक क्रियालाप ही संस्कृति की सुगन्ध से समाज को सुगन्धित करते हैं और यह सुगन्ध ही हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है। परन्तु यह तभी सम्भव है जबकि सांस्कृतिक क्रियालापों को अत्यन्त सुनियोजित ढंग से समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जाये। ऐसा ही एक वृहद प्रयास केन्दीय संगीत नाटक अकादेमी नयी दिल्ली द्वारा क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के साथ मिलकर श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम के नाम से किया गया है। यह संगीत, नृत्य, नाटक, लोक, जनजातीय कला, पुतुल, एवं सम्बद्ध परम्पराओं का उत्सव है। 10 सितम्बर को तमिलनाडु के अति प्रचीन सांस्कृतिक शहर तंजवुर (तंजौर) में इस कार्यक्रम का जोरदार आगाज हुआ। इसमें न केवल तमिलनाडु के सांस्कृतिक कर्मी जुट रहे हैं बल्कि देश के अन्य प्रान्तों के रंगकर्मियों तथा विद्वानों का भी यहां आगमन हो रहा है। दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तजंवुर के प्रागण में तमिलनाडु के रज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने दीप प्रज्वलित करके इस कार्यक्रम का उदघाटन किया। यह कार्यक्रम संगीत नाटक अकादेमी नयी दिल्ली तथ दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजवुर के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हो रहा है। उदघाटन अवसर पर तमिलनाडु तथा कर्नाटक के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से जबरदस्त समां बांध दी। जिससे पूरा पाण्डाल अन्त तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा।
इस अवसर पर संगीत नाटक अकादेमी के अध्यक्ष शेखर सेन ने बताया कि संगीत नाटक अकादेमी प्रायरू दो तरह के कार्यक्रम आयोजित करती है। जिसमें पहला संगीत, नाटक तथा नृत्य आदि के कार्यक्रम आयोजित करना और दूसरा देश के विभिन्न सांस्कृतिक विद्वानों को एकत्रित करके संगोष्ठियां तथा सम्मेलन आयोजित करना। लेकिन इन कार्यक्रमों के अलग अलग सम्पन्न होने से इसमें विद्वान और कलाकार एक साथ नहीं रह पाते हैं। अतरू इस बार अकादेमी प्रबन्ध कारिणी ने यह निर्णय लिया कि अब एक ऐसे कार्यक्रम की शुरुआत हो जिसमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियां तथा संगोष्ठी एक ही मंच पर सम्पन्न हो। इस कार्यक्रम का नामकरण श्रेष्ठ भारत सांस्कृतिक समागम के रूप में किया गया। जिसकी शुरुआत भुवनेश्वर से हुई थी। दूसरा सांस्कृतिक समागम अहमदावाद में, तीसरा अमृतसर में और चैथा गोहाटी में सम्पन्न हुआ था। सभी कार्यक्रमों के परिणाम अति उत्साहित करने वाले रहे। तंजवुर में 10 सितम्बर को सायंकाल इस कार्यक्रम का उदघाटन तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। उसके बाद मद्रास यूृथ क्वायर, तमिलनाडु के कलाकारों ने तमिल, मराठी, कन्नड़ आदि कई भाषाओं में कोरस गान प्रस्तुत करके सभी को स्तब्घ कर दिया। अगली प्रस्तुति तमिलनाडु के प्रसिद्ध वायलिन वादक एम.चन्द्रशेखरन की रही। उनके वायलिन से निकलने वाले अनेक प्रकार की स्वर लहरियों से पूरा पाण्डाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। अन्तिम प्रस्तुति कर्नाटक के शास्त्रीय गायक एम.वेंकटेश कुमार की थी। जिन्होंने अपने अति उत्कृष्ट गायन से दर्शकों को अन्त तक बांधे रखा।
दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजवुर के निदेशक प्रो.एम.सुब्रमण्यम ने राज्यपाल सहित सभी आगन्तुकों का स्वागत किया। इस अवसर पर दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के अन्य सभी अधिकारी तथा संगीत नाटक अकादेमी के विजय सिंह, सुरेन्दर, जोजफ, जसवन्त तथा वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीनिवास सहिक अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।