Tuesday, November 26, 2024
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गले की फांस बनता चालान…

नियम कानून बनाए ही इसलिए जाते हैं कि जनजीवन सुचारु रुप से चलें लेकिन अपने निजी फायदे के चलते लोग बाग इसका सही इस्तेमाल नहीं करते। सीधे-सीधे कह सकते हैं कि दुरुपयोग करते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। इन दिनों गाड़ियों पर चालन का मुद्दा गरमाया हुआ है। नियमों के पालन के लिए सख्ती जरूरी है लेकिन सख्ती के नाम पर जो गुंडागर्दी हो रही है वो कहां तक जायज है? हालांकि सोशल मीडिया पर इस बात का मजाक भी बहुत उड़ रहा है लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी घटनाएं देखी सुनी जा रही है जहां गुंडागर्दी सरेआम घट रही है। यह कैसी बाध्यता है नियमों के पालन की? एक दायरे में रहकर नियमों का पालन करवाया जाए तो लोग भी नियमों का पालन करने के लिए बाध्य होंगे। नियमों को मनवाने के नाम पर मनचाहा चालान काट कर जनता को जिस तरह से परेशान किया जा रहा है वह गलत है। एक ओवरलोड ट्रक का चालान 2 लाख 500 रुपए काटा गया, दिल्ली में एक ट्रक का चालान 1 लाख 41 हजार 760 रूपये काटा गया, एक बाइक वाले का चालान 23000 काटा गया, एक ऑटो वाले का 59000 रुपए का चालान कटा। अभी हाल ही में 3 लाख का चालान कटा। इतनी बड़ी रकम पेनल्टी के तौर पर भरना आसान नहीं है और मिडिल क्लास के लोगों के लिए तो बिल्कुल भी नहीं।
एक खबर के मुताबिक एक व्यक्ति की मौत चालान काटते समय हो गई। वो व्यक्ति चालान कटने के कारण इतना टेंशन में आ गया कि बेहोश हो गया बाद में हॉस्पिटल में उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिसवालों का दावा कि व्यक्ति डायबिटिक था लेकिन मेडिकल रिपोर्ट पुलिस वालों के दावों को झूठा साबित कर रही है। इतनी भारी जुर्माने की रकम को आम आदमी नहीं झेल सकता है। हालांकि ट्रैफिक नियमों के पालन के मामले में जनता के उदासीन रवैए के कारण नियमों का पालन करवाना अनिवार्य है लेकिन इस तरह की घटनाएं भी नहीं घटनी चाहिए कि आम आदमी का चैन सुंकून छिन जाए। दोष पुलिसवालों का भी है कि नियमों का पालन करवाने के बजाय वो निज स्वार्थ को महत्व देते हैं। अगर शुरू से ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं मिलता तो आज लोग नियमों का पालन करते हुए दिखते। अगर अब भी नियमों का पालन करवाना है तो लागू किए हुए नियमों का ही सख्ती से पालन करवाया जाए। सख्ती के मायने यह नहीं कि मनमर्जी चालान काटा जाये। गरीब आदमी की गाड़ी का जब्त हो जाना या आम आदमी के लिए 500 रूपये का जुर्माना भी बहुत है। अगर दो-तीन बार चालान कट जाए तो वह मजबूरी में नियमों का पालन करने लगेगा। सुधार इसी तरह से होता है।
कुछ लोगों का मानना है जो लोग हेलमेट नहीं पहनते हैं तो सरकार उन्हें हेलमेट बांटे या बीमा, लाइसेंस के ना होने पर तुरंत लाइसेंस बनवा कर दे। ये उपाय नहीं है नियमों के पालन के लिए। जनता की उदासीनता इसे नजरअंदाज कर सकती है और नियमों का सख्ती से पालन तब ज्यादा जरूरी हो जाता है जब माता-पिता अपने बच्चों को दुपहिया, चार पहिया वाहन देकर गर्व करते हैं। बच्चे भी आजकल तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं। यह नियम उनके लिए ज्यादा जरूरी है। अगर सही तरीके से नियमों का पालन करवाया जाए तो यह समस्या अपने आप ही खत्म हो जाएगी। हाल ही में लागू किए गए नियमों पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। सड़कों की बुरी हालत पर भी विचार किया जाना चाहिए। खराब खस्ताहाल सड़कों की जवाबदार सरकार से जनता भी जुर्माना मांगे क्या?