Thursday, November 7, 2024
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कमीशनखोरी से पशुपालक हुए बेहाल!

कामधेनु योजना ने किसानों से अधिक दलालों को पहुंचाया लाभ, आंखे मूंदे रहा विभाग
उन्नाव। दुग्ध उत्पादन बढाने के लिए शासन स्तर से लगातार प्रयास किये जाते हों लेकिन दलालों के चंगुल में फंसे विभाग सरकारी योजनाओं को पात्रों से दूर किए हैं। पशुपालन विभाग में दलालों का वर्चस्व इस कदर है कि दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए चलाई गई कामधेनु योजना कमीशनखोरी की भेंट चढ गई।
ज्ञात हो कि शासन स्तर से संचालित की जा रही कामधेनु योजना के तहत सौ दुधारु पशुओं की कामधेनु और 50 दुधारु पशुओं की मिनी कामधेनु योजना संचालित की जा रही थी। इससे शासन को उम्मीद थी कि डेयरी उद्योग में रुचि रखने वाले किसानों को लाभ पहुंचेगा लेकिन हुआ इसके बिलकुल विपरीत। इस योजना का लाभ किसानों की बजाए विभाग और दलालों को मिलने लगा जिसके चलते योजना पूरी तरह असफल हो गई। जानकारों की मानें तो इस योजना के तहत किसानों को पंजाब व हरियाणा से भैंसे खरीदनी थी लेकिन जो भैंस 70 हजार की मिल सकती थी वह किसानों को एक लाख रुपए की पडी जिसके चलते किसान अतिरिक्त बोझ तले दब गए। हरियाणा पंजाब से भैंस इसलिए खरीदनी थी क्योंकि वहां की भैंस साल भर में ज्यादा से ज्यादा दूध देती हैं। वास्तव में किसानों के लिए कामधेनु योजना गलें की फांस बनकर रह गई। लाभ की जगह नुकसान होने से किसान रो रहे हैं। यह कमीशनखोरी और दलाली का ही परिणाम था कि यह योजना सफल न हो सकी। सभी किसान जिन्होंने योजना के लिए आवेदन किया था घाटे में हैं।
विभाग को थी दलाली की भनक!
उन्नाव। ऐसा नहीं कि नाक के नीचे हो रहे घालमेल से विभाग अंजान था। जब किसानों के हक पर डाका डाला जा रहा था तो इसकी जानकारी पशुपालन विभाग को भी थी। दलालों ने तो डिप्टी सीवीओ डाॅ पवार को भी कमीशन की पेशकश की थी। इसके बावजूद विभाग ने दलालों पर नकेल कसने की जहमत नहीं उठाई।