शिवली/कानपुर देहात, जन सामना संवाददाता। इस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद हजरत मोहम्म्द साहब के यौमे पैदाइश ईद मिलादुन्नबी के मौके पर जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया। बारावफात के दिन जुलूसे मदेह सहाबा पूरे जोर-शोर के साथ पुरानी मस्ज़िद से निकला गया। इस दौरान बड़े-बच्चे हाथों में झंडे और चांद-तारा लिए हुए थे। सबसे अहम बात की मुश्लिम समुदाय के लोगो ने तिरंगे को आगे ले कर चलते नजर आए। इसके बाद मजहबी झंडा देखने को मिला। हिन्दू मुश्लिम लोगो ने खुशियां जाहिर की एक दूसरे को गले लगकर बधाई दी। जुलूस में सुन्नी समुदाय के हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। वहीं, सबसे आगे मौलाना नूर मोहम्मद शामिल हुए। साथ ही शहर की तमाम अंजुमनें और मुस्लिम तंजीमें भी जुलूस में शामिल हुईं। क़रीब 200 अंजुमनों ने जुलूस में लिया हिस्सा बता दें कि जुलूस से पहले बड़ी मस्ज़िद में मौलाना नूर मोहम्मद और अन्य मौलानाओं ने जलसे को खिताब किया। इसके बाद जगह-जगह जुलूस निकालकर जश्ने रसूल की मुबारकबाद दी गई। रविवार को कस्बा शिवली में स्थित मस्जिद से बारावफात का जलूस शिवली बस स्टॉप होते हुए निर्धारित गलियों से होते हुए ईदगाह पहुंचकर खत्म हुआ। इसके बाद में जलसा सीरते नबी और सीरते सहाबा हुआ। यहां इमाम मौलाना नूर मोहम्मद और अन्य मौलाना सहित कई वरिष्ठ मौलानाओं ने खिताब किया। जुलूस में लगभग 200 अंजुमनों ने हिस्सा लिया। इस दौरान पुलिस बल पुलिस और होमगार्ड आदि सुरक्षाबल के लोग शामिल थे। कैमरे के अलावा कई लोग जुलूस की रिकॉडिंग भी कर रहे थे। फूलों की बारिश से हुआ स्वागत इस मौके पर सबीलों पर पानी, शर्बत, चाय के स्टॉल लगाए गए थे। रास्ते भर अंजुमनें अपना कलमा पढ़ रही थीं। लोग अपनी-अपनी अंजुमनों के शानदार और खूबसूरत झंडे लिए हुए थे। इसमें खुदा और उसके रसूल सल्ल, खुलाफा-ए-राशिदीन के नाम लिखे हुए थे। जहां-जहां से जुलूस निकल रहा था, वहां तमाम महिलाएं घरों से ही दुआ मांग रही थीं। वही शिवली कस्बे के हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लोग आपस में भाई चारे की मिशाल प्रति वर्ष देखने को मिलती हैं कभी किसी तरह की अनहोनी न हो इसके लिए प्रशासन पूरे बंदोबस्त के साथ मौजूद रहा। इस दौरान तहसीलदार रामशंकर, नायब तहसीलदार स्वाति गुप्ता, कोतवाल भूपेंद्र राठी, कस्बा इंचार्ज लक्ष्मण सिंह, कस्बे के लोग सलीम, छोटू, शमीम, इरफ़ान, सैफ अली, यूनुस, मोहम्मद अली, आदिल, समीर, इरफान, शीबू, आफ़ताब, शोएब, नाजिर, छोटू, जमील, साहेब आलम आदि लोग मौजूद रहे।
ईद मिलादुन्नबी शान शौकत से मनाया गया
हजरत मोहम्मद साहब कि यो मे पैदाइश से के मौके पर ईद मिलादुन्नबी शान शौकत से मनाया गया। जामा मस्जिद से जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया। जिसकी अगुवाई काजी नूर मोहम्मद कर रहे थे इस दौरान अन्य मौलाना भी मौजूद थे। मुस्लिम समाज के लोगों ने जुलूस निकालकर भाईचारे का पैगाम दिया। हजरत मुहम्मद साहब की पैदाइश इस दिन हुई और उनका जीवन में आने का उद्देश्य मोहब्बत था। वो हर व्यक्ति तक मोहब्बत का पैगाम पहुंचाना चाहते थे। मोहम्मद साहब ने पैगाम दिया है कि मोहब्बत से जीना ही जिंदगी है। दूसरों के बुरे समय में मददगार बनने वाला अल्लाह का नेक बंदा होता है। वो अल्ला के करीब होता है। जो दूसरों की मदद करता है। अल्लाह उस पर रहमत बरसाते हैं। छोटे चौराहे से बारा वफात शुुरु होकर तमाम शहर में घुमाया जाता है। बस चौराहा से बैरी रोड सहित कस्बे के विभिन्न इलाकों से होकर निकला। झंडे और लोग नात पढ़ते हुए निकल रहे थे। जुलूस का इस्तक़बाल सभासद दोष मोहम्मद, रियाज़ खाँन सहित बड़ी संख्या में अकीदत मंद मौजूद थे।