Thursday, November 7, 2024
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हिंदू मुस्लिम तहजीब की पहचान है उर्दू

घाटमपुर / कानपुर, शिराजी। उर्दू आपकी चाहने वाले आखिर क्यों बेगाने हो गए “किस मोड़ पर जा रहा है, समाज की सोच। कस्बा निवासी मोहिब्बन उर्दू मोहम्मद शफी अंसारी ने आज मीडिया से बड़ी बेबाकी से कहा कि गंगा जमुनी तहजीब के रास्ते को मजबूत करने वाली उर्दू जुबान की बदहाली। का समाज को कोई और नहीं उर्दू भाषण को चाहने वाले ही हम जिम्मेदार हैं। अंसारी ने कहा कि उर्दू को पढ़ने और बोलने वाले लोग भी उर्दू को अमली जीवन में लाने स गुरेज कर रहे हैं। उर्दू को चाहने वाले उर्दू से मुंह मोड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा हासिल है। लेकिन मुस्लिमों के द्वारा सबसे बड़ी उपेक्षा की जा रही है। यदि उर्दू जुबान के प्रति यही स्थिति है। रहे तो एक दिन जाएगा कि उर्दू का दूसरा राजभाषा का दर्जा खत्म हो जाएगा उन्होंने कहा कि उर्दू जुबान कब के बदलते माहौल में जीवन के नीचे पायदान में देखो यूंच रही है। 1 दिन उर्दू जुबान कहीं खत्म ना हो जाए, आज वक्त की जरूरत है कि उर्दू को अगले जीवन में लाने के लिए बुद्धिजीवी लोगों को आगे आना होगा। उर्दू भाषण की बदहाली पर शेर दोहराते हुए उन्होंने कहा “उर्दू जुबान या कद्र दान रहे,” जो अजीज थे तुम्हारा वह मेहरबान ना रहे।