Tuesday, November 26, 2024
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नेताओं के बिगड़े बोल….आखिर कब तक?

एक वक्त था जब नेता भाषण देते थे अपनी बात रखते थे तो उसमें वैचारिकता होती थी। नीयत तब भी वोट हासिल करने की होती थी मगर उनकी छवि साफ-सुथरी होती थी। जनता नेताओं की बात सुनती थी। आज की तरह अपनी बात को सुनाने के लिए भाड़े के ट्टू नहीं लाने पड़ते थे। आज कितने ही नेतागण ऐसे हैं जिनके ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं और उनमें नैतिकता लेशमात्र भी नहीं दिखाई देती। ऐसे भी नेता हैं जो अपने बयान के कारण समाज में हंसी का पात्र बन जाते हैं और शर्मिंदगी उठाते हैं। नेताओं के विवादित बयान एक ही बात दर्शाती है कि या तो वह खुद को चर्चित करना चाहते हैं या इस तरह के बयानों द्वारा अपने समर्थित दल में खास जगह पाना चाहते हैं। या फिर क्या इस तरह अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहते हैं? बीजेपी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, सपा, बसपा के नेताओं को कई बार अपने बयानों के कारण सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगनी पड़ी है मगर तब तक जबान फिसल चुकी होती है।
नेता और राज्यसभा सांसद सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नोटों पर धन की देवी लक्ष्मी जी की फोटो छापी जाए। ये अर्थव्यवस्था सुधारने का कौन सा तरीका है? और तो और मर्यादा को लांघते हुए भी इन नेताओं को शर्म नहीं आती और इन सब में छोटे-मोटे नेताओं से लेकर राजनीति गलियारों की बड़ी-बड़ी जानी-मानी हस्तियां भी शामिल हैं। कपिल सिब्बल, कपिल मिश्रा, प्रशांत किशोर, आजम खान, वारिस पठान, शरद यादव, पी चिदंबरम, मणिशंकर अय्यर, विनय कटियार, गिरिराज सिंह, साध्वी प्रज्ञा, बिप्लब देब, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर और भी न जाने ऐसे कितने हैं जिनके विवादित बयान उन्हें और उनके दल को शर्मसार करते हैं।

ये नेता महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने से भी गुरेज नहीं करते। आजमखान ने जयाप्रदा पर अश्लील टिप्पणी की वहीं दूसरी ओर ये बयान देते हुए भी नजर आए कि गठबंधन की सरकार बनी तो डीएम से जूते साफ करवाऊंगा। ये कौन सा स्तर है राजनीति का?  या फिर आप किस स्तर के हैं ये दर्शा रहे हैं? उमा भारती अपने किसी काम के कारण नहीं बल्कि विवादित बयानों के कारण ज्यादा जानी जाती हैं। विवादित बयान प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर द्वारा दिए गए बयान कि “देश के गद्दारों को गोली मारो” और वे आपके  घरों में घुस जाएंगे और आपकी बहन बेटियों से रेप करेंगे” किस तरह की मानसिकता दर्शाता है? कश्मीर को लेकर पी चिदंबरम के विवादित बयान नफरत और अलगाव ज्यादा बढ़ाते हैं।

महिलाओं पर आपत्तिजनक बयान जनता दल (यू) के नेता शरद यादव ने वसुंधरा राजे को उनके वजन को लेकर टिप्पणी करी थी। एक सम्मानित महिला के लिए सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान बाजी क्या उचित है? अभी हाल ही में वारिस पठान द्वारा “15 करोड़ 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे” का बयान समाज में सिर्फ नफरत फैलाते हैं? -लेखिका प्रिंयका माहेश्वरी