कृपा नारायण दलित, पिछड़ों व महिलाओं के प्रति सदैव हमदर्द व संवेदनशील रहें, युवाओं को आगे बढ़ने के लिए करते थे प्रोत्साहित
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जनपद में अनमोल यादें फोरम के तत्वावधान में संजय नगर सिविल लाइन स्थित जय मां दुर्गा प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश व गोवा राज्य के पूर्व मुख्य सचिव कृपा नारायन श्रीवास्तव को उनकी दूसरी पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर माल्यार्पण, श्रृद्धासुमन अर्पित कर याद किया गया। पूर्व मुख्य सचिव कृपा नारायन मानवीय संवेदनाओं से लवालब थे। वरिष्ठ अधिकारी से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, किसान, मजदूर सभी को बराबर का सम्मान देते थे। श्री कृपानारायन दलित, पिछड़ों व महिलाओं के प्रति सदैव हमदर्द व संवेदनशील रहे। अपने घर या कार्यालय में आये किसी को भी आतिथ्य सत्कार किये बिना जाने नहीं देते थे साथ ही उसकी समस्या का समाधान करने में भी अग्रिम भूमिका निभाते थे। कृपानारायन श्रीवास्तव का जन्म 25-जून-1923 को हुआ था। इण्टरमीडिएट की राज्य की परीक्षा 1939 में पहला स्थान था। 1942 में भारत छोडो आन्देालन में जेल भी गये। एम0एस0सी0 भौतकी से करने के उपरांत लेक्चरर के पद पर इलाहाबाद विश्व विद्यालय में पठन पाठन का कार्य भी किया। वर्ष 1948 में सीधे आईएस में भर्ती हुए। जनपद इटावा में आईएएस के रूप में प्रथम नियुक्ति रही जहां उन्होने एक पटवारी के आधीन रहकर कार्यो को सीखा। आजमगढ़, रायबरेली, हाथरस के जिलाधिकारी भी रहे। पूर्व मुख्य सचिव कृपा नारायन के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुए ये विचार सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार ने व्यक्त करते हुए कहा कि कृपा नारायन एक महा मानव सोच प्रगतिशील विचार धारा के ताउम्र व्यक्ति रहें है। कर्मचारियों की बेहतरी के लिए वे हमेशा आगे रहे है। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला नारायन का वाक्या बताते हुए कहा कि जब कृपा नारायन जी का आजमगढ़ ट्रान्सफर वर्ष 1955 में हुए तो वे बहुत रोई थी। परन्तु उससे ज्यादा दुःख जब हुआ आजमगढ़ से स्थानान्तरण लखनऊ हुआ। आजमगढ़ बहुत ही भाया था। कानपुर देहात शांतिपूर्ण प्राकृतिक वातारण भी सुन्दर है। कृपा नारायन जी को प्रेस प्रतिनिधियों व सूचना विभाग से बढ़ा लगाव था। आजमगढ़ के सूचना विभाग के चतुर्थ श्रेणी चपरापी कर्मचारी मिटठू लाल का ताउम्र टेलीफोन वार्ता पत्राचार से हालचाल का सिलसिला चलता रहा। जिन जनपदों में वे जिलाधिकारी रहे वहां के कर्मचारियों से अक्सर दूरभाष से बात करते रहे। उम्र के 90 साल हो गये थे परन्तु जिले के सूचना अधिकारी से उस जिले या सरकार की कोई साहित्य आदि को वे हिचक दूरभाष से फोन करके उसे मंगाना का अनुरोध करते थे और कहते थे कि जनपद पुस्तक या कोई साहित्य छपा हो तो मुझको भेज दो ताकि पुरानी यादे ताजी हो जाये। पूर्व मुख्य सचिव कृपा नारायन की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला नारायन द्वारा बतायी गयी बात को बताते हुए कहा कि वर्ष 1955 में जनपद आजमगढ़ में भयंकर बाढ़ आयी थी। जिलाधिकारी आवास भी पूरी तरह से पानी में डूबा था। रात में क्रन्द आवाजें आती थीं। हमारे घर में न आटा, चावल खाद्य पदार्थ आदि भी नहीं था। आलू खाकर काम चलता था वह भी खत्म हो गया ऊपर से एक रात घर में बाहर से अजगर भी आ गया, जैसे तैसे स्थिति सामान्य हुई। पति व तत्कालीन एस0पी0आर0एन0 गोयल ने हिम्मत से काम लिया, जनता ने भी साथ दिया। मऊनाथ भंजन तब यह जिला आजमगढ़ में था। छोटी सी बात को तूल देकर दो सम्प्रदायों में झगड़ा छिड़ गया। आपस में मरने-मारने पर उतारू हो गए। डीएम व एसपी मौके पर पहुंचे जिसमें मेरे पति मंच पर चढे़ और वहाॅं से कूदकर बोले यदि तुमको मारना है तो पहले मुझको मारो। इस पर लोग भावुक हुए, इस पर उन्होंने स्वतः झगड़ा खत्मकर शान्त कर दिया। आजमगढ़ में एक प्रसिद्ध नेता अलगू राय थे। जब उनसे पूछा गया कि अलगू का क्या अर्थ तो उसने हास्यपद जवाब दिया जो सीधे तरीके से हट जाये उसे अलगू, जिसे धक्के मार कर निकाला जाता है बिल्गू कहा जाता है। जिसका जिक्र अक्सर किया करते थे।
आज के भौतिक वादी युग में भाई-भाई, अधिकारी-अधिकारी परिवारजनो का संवाद कम है ऐसे में कृपा नारायन जी अपने परिवार, दोस्तों आदि से संवाद बनाया। दिल्ली से ही चतुर्थ श्रेणी कर्मी मिट्ठूलाल जी को पत्र लिखते रहे। यह दोस्ताना भाईचारे, मानवीय संवेदनाओं का सिलसिला मिट्ठू लाल के जीवित होने के वर्ष 2012 तक चलता रहा। एक बार का वाक्या है जब कृपा नारायन जी भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव थे, बहुत दिन से मिट्ठूलाल का कोई पत्र, फोन आदि नहीं आया तो पता करने पर ज्ञात हुआ कि वह बीमार हैं। इस पर तत्कालीन डीएम आजमगढ़ को फोन किया। डीएम व सीएमओ जो मिटठूलाल का घर नही जानते थे सूचना विभाग के लेखा लिपिक जटाशंकर के यहां रात में गये और डीएम ने मिटठूलाल का घर पूछा ऐेसे में एक प्रश्न मन मस्तिस्क में उपजा कि सेवा निवृत्त वृद्ध मिटठू लाल ने ऐसा क्या काम कर दिया जिसे रात्रि में डीएम व सीएमओ खोज कर रहे है। ज्ञात हुआ कि मिटठूलाल बीमार है। पता बताया गया डीएम व सीएमओ मिटठू लाल के घर पहुंचे ससम्मान बताया कि स्वास्थ्य सचिव साहब का फोन है आप का स्वास्थ्य खराब है भर्ती कराये जाने का निर्देश दिल्ली से प्राप्त हुआ है। इस पर वृद्ध मिटठूलाल ने कहा साहब मेरी तबियत अब ठीक है कृपा नारायन जी को बता दीजिये फोन नही कर सका, इसके लिए अफसोस है। अपनी माता सुशीला नारायन के साथ रहे पूर्व मुख्य सचिव कृपा नारायन के पुत्र अनुपम कृपेश नारायन के वाक्या को बताते हुए कहा कि उनके पिता का मूल निवास राजस्थान था पर उन्हें उ0प्र0 से लगाव हो गया। शादी सीतापुर की सुशीला श्रीवास्तव से की। माता जी सुशीला नारायन का जन्म सीतापुर में सिविल लाइन्स स्थित डा. बाके लाल श्रीवास्तव के यहां हुआ था। डा0 बाके लाल श्रीवास्तव जनपद के पहले चिकित्सक रहे है। मेरी माता की माता उमापति जो लखीमपुर जनपद की थी। गोला गोकरननाथ के बाकेगंज स्टेशन के पास है मेरे नाना भी समाजसेवी थे उन्ही के नाम पर डा0 बाकेगंज स्टेशन पडा है। उन्होने बताया मेरे पिता समाजसेवी रहे दिल्ली में कई छोटे रेलवे स्टेशनो का नाम जिस नगर में हम रहते उसका नाम स्वास्थ्य नगर कराया। मंगलम संस्था से जुडे तथा मंगलम मार्ग भी रखवाया। उन्होने कहा उस समय देवरिया सलेमपुर के देवरहा बाबा जो अक्सर नदी के किनारे रहा करते थे उनकी उम्र 100 से ऊपर बताई गयी जिससे पूर्व प्रधानमंत्री इंन्दिरा गांधी बूटा सिंह सहित कई बडे राजनैतिक आर्शीवाद ले चुके है। पूर्व मुख्य सचिव कृपा नारायन प्रदेश को देश का हृदय स्थल बताते थे और कहते थे कि भारतीय एवं संस्कृति के विकास में इसका एक विशिष्ट योगदान है यह प्रदेश सदैव से ही अपनी समृद्ध विरासत व इन्द्रधनुषी सांझी संस्कृति के कारण देश-विदेश के लोगों को आकृर्षित करता रहा है। जिसका कानपुर देहात खूबसूरत हो शांतिप्रिय जनपद है। राजधानी से झांसी, दिल्ली, इटावा, गौतमबुद्धनगर, आगरा, मथुरा यदि बायारोड़ जाना है तो कानपुर देहात से गुजरते हुए कानपुर देहात की प्राकृतिक छटा को देखते हुए आगे बढ़ना होगा। यह बात उत्तर प्रदेश व गोआ दमनदीप के पूर्व मुख्य सचिव कृपा नारायन की धर्मपत्नी समाजसेवी व सीनियर सिटीजन श्रीमती सुशीला नारायन ने भी दोहराते हुए कहा कि प्रदेश के अव मार्ग खूबसूरत हो गये है। उन्होने बताया कि मेरे पति कृपा नारायन श्रीवास्तव उ0प्र0 के मुख्य सचिव वर्ष 16 दिसम्बर1976 से 31.जनवरी 1978 तथा राज्य गोआ दमन एवं दीप के मुख्य सचिव वर्ष 1969-72 में रहे। ज्ञात हुआ है कि देवराहा बाबा कही किसी के घर जाते नही थे उनका एक पत्र जिलाधिकारी आजमगढ़ को आया टूटी-फूटी हिन्दी में लिखा कि वे कृपाभारत से मिलना चाहते है। देवरहा बाबा घर आये काफी देर रूकने के बाद साहब की आंखे कमजोर है बिना पैर नंगे लान में घास पर चले का नुस्खा की बताया था। उन्होने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल मध्यप्रदेश राम नरेश यादव सहित कई मुख्य गणमान्यजनांे को अपने समय प्रमाण पत्र आदि देकर भी सम्मानित किया जिसे गणमान्यजनो द्वारा आभार भी प्रकट किया। उस समय किस मंत्री को कौन पद देना है आदि की सलाह भी कई मुख्यमंत्री लिखित रूप में लेते थे। उन्होने बताया कि कृपा नारायण जी को पठन पाठन लिखने का शौक था। आज के परिवेश को देख कर वे अक्सर यह भी कहा करते थे कि अब आजकल अधिकांश, अधिकारी व लोग राजनेताओ के लिये कार्य करते है। अधिकारी का कर्तव्य गरीब, शोषित, वंचितो आदि के कल्याण के लिए है। पति के साथ के अधिकांश लोग स्मृति शेष हो चुके है। कृपा नारायन जी की मृत्यु विगत वर्ष 18 मार्च 2015 को दिल्ली में स्वास्थ्य विहार स्थित उनके आवास पर हुई। वे 92 वर्ष से अधिक जिये जब तक जिये जिन्दादिली के साथ जिये साथ ही जीवन के अंतिम के दिनो तक देश व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियो का निर्वाहन भी करते रहे। कृपा नारायन जी अध्यक्ष आॅल इंडिया साइंसेस 1979-81, चेयरमैन सेन्टल आईएस एसोसिएशन 1981 सेवा निवृत्त के बाद कुलपति कृषि एवं तकनीकी यूनिर्वसिटी पन्तनगर, अध्यक्ष प्रेसिडेन्ट इंडियन एग्रीकल्चर यूनीर्वसिटी, चेयरमैन पे कमीशन, चेयरमैन मंगलम संगठन जहां उन्होने 1 लाख 5 हजार 4 आर्टीफिशियल लिम्स आदि फ्री दिया। राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त किये। विश्वस्तरीय संकेत भारती थ्रीडी चेस का प्रकाशन भी किया। पुराने सिक्के आदि जमा करने का शौक भी था। इसके अलावा राज्य सरकार के अनेक पदों पर भी सकुशल कार्य किया। इस मौके पर समाजसेवी हिमांशू शर्मा, विनोद मिश्रा, रामगोपाल कुशवाहा आदि ने भी पूर्व मुख्य सचिव को याद कर उनके बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।