तकनीकी विकास और आर्थिक प्रगति के इस अंतहीन युग में नए युग के सापेक्ष अनेक जटिल मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक समस्याएं भी उभरनी शुरू हो गई हैं। भारत जैसे देश नए युग की देन बनी इन सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक चुनौतियों से जूझने का प्रयास कर रहे हैं। तेजी से बदलती जीवनशैली संपूर्ण विश्व में तनाव और अवसाद का प्रमुख कारण बन गई है। बढ़ता तनाव और असंतोष ही आज विश्व में हिंसा और आतंकवाद का प्रमुख कारण और स्रोत बना हुआ है। तेजी से बढ़ता तनाव अब किसी भी सामान्य नागरिक को भी असामान्य व्यवहार की ओर खतरनाक ढंग से प्रेरित करने का कारण बनता जा रहा है। ऐसी कई घटनाएं विश्व में जब-तब सामने आती रहती हैं, जब अनायास ही बहुत छोटे-मोटे कारणों अथवा बिना किसी कारण के ही किसी नागरिक ने अन्य नागरिकों के जीवन के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया। सार्वजनिक स्थानों पर इस प्रकार की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। संपूर्ण विश्व में मनोरोग और मानसिक समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यदि मनुष्य और उससे निर्मित समाज मानसिक रूप से स्वस्थ व संतुष्ट नही होगा, तो समस्त विकास प्रक्रिया और आर्थिक समृद्धि पूरी तरह व्यर्थ होगी। एक राष्ट्र के रूप में हमें मानसिक रूप से स्वस्थकृ असंतुष्ट व शांतचित्त नागरिकों की आवश्यकता है। हाल ही में हुई सनसनीखेज विमान दुर्घटना ने इस प्रकार के व्यवहार और मानसिक तनाव की ओर एक बार पुनरू संपूर्ण विश्व का ध्यान आकृष्ट किया है। स्पेन से जर्मनी जा रहे जहाज के साथ हुई विचित्र दुर्घटना ने पूरे विश्व को बेचैन कर दिया है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की जांच से पता चला है कि जहाज के को-पायलट आंद्रियास लूबित्ज ने जान-बूझकर इसे पहाड़ से दे मारा। 1960 और 70 के दशक में कई विमान दुर्घटनाओं को पायलट की गलती का ही नतीजा माना गया था, हालांकि इनमें से कुछ की वजह कैप्टन और को-पायलट के बीच मौजूद ऊंच-नीच के रिश्ते थे। समय आ गया है कि किसी को जहाज उड़ाने का जिम्मा देने से पहले उसकी दिमागी हालत की गहराई से जांच की जाए। स्पेन से जर्मनी जाने वाले विमान को जान-बूझकर गिराने वाले सह पायलट आंद्रे ल्यूबिज के घर की चार घंटे तक चली सघन तलाशी में पुलिस को पता चला कि घटना से एक दिन पहले उसकी गर्लफ्रेंड से ब्रेक-अप के बाद अनबन हुई थी। इस हादसे में सह पायलट सहित 150 लोग मारे गए थे। पुलिस को उसके घर से कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला, लेकिन जो दस्तावेज मिले हैं, वे तस्दीक करते हैं कि अवसाद के चलते सह पायलट ने छुट्टी के लिए आवेदन किया था। फ्रांस में आल्प्स की पहाड़ियों में जान-बूझकर विमान गिराने वाला 28 वर्षीय सहायक पॉयलट एंड्रियाज लुब्टिज कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे लोग उसे भूल नहीं पाएं। उसने गर्लफ्रैंड रह चुकी महिला से कहा था कि एक दिन हर कोई उसका नाम जान जाएगा। लुब्टिज मनोवैज्ञानिक से अपनी बीमारी का उपचार करा रहा था। लुब्टिज काम के दबाव से भी परेशान था। उसने कई बार वेतन कम होने को लेकर भी नाखुशी जाहिर की थी। संयुक्त राष्ट्र के ‘ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स’ में किसी देश की समृद्धि का आंकलन इस आधार पर किया जाता है कि उस देश में आर्थिक संसाधनों और उत्पादन क्षमता का प्रयोग किस प्रकार नागरिकों को स्वास्थ्य और शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिए किया गया है। इस सूचकांक के अनुसार, विश्व के सबसे समृद्ध देश क्रमशरू नॉर्वे, आॅस्ट्रेलिया, स्वीट्जरलैंड, नीदरलैंड, अमेरिका, जर्मनी, न्यूजीलैंड तथा कनाडा है। एशियाई देशों की स्थिति मानव विकास सूचकांक के स्तर पर अभी बहुत पीछे है। भारत की स्थिति इस मामले में सबसे नीचे आने वाले देशों में है। वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय नवाचार सूचकांक (इनोवेशन इंडेक्स) द्वारा विभिन्न देशों की स्थिति का आंकलन इस आधार पर किया जाता है कि उस देश में सरकार द्वारा आर्थिक विकास और नवाचार तथा प्रोद्यौगिकी को किस हद तक लोकनीति और निर्णयन प्रक्रिया में भागीदार बनाया गया है? इस सूचकांक के अनुसार, विश्व में दक्षिण कोरिया प्रथम स्थान पर है। इसके बाद क्रमशरू अमेरिका, जापान, स्वीडन, नीदरलैंड, कनाडा, इंग्लैंड, जर्मनी तथा फ्रांस का स्थान आता है। ‘विश्व शिक्षा सूचकांक’ के अनुसार, फिनलैंड विश्व में प्रथम स्थान पर आंका गया है। इसके बाद क्रमशरू डेनमॉर्क, न्यूजीलैंड, आॅस्ट्रेलिया, क्यूबा, कनाडा, नॉर्वे तथा कोरिया का स्थान आता है। स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की क्षमता के आधार पर वैश्विक राष्ट्रों की सूची में एशियाई देश कोरिया तथा जापान क्रमशरू पहले और दूसरे स्थान पर आंके गए हैं। इनके बाद क्रमशरू इजरायल, आॅस्ट्रेलिया, अमेरिका तथा बेल्जियम का स्थान आता है। बढ़ते तनाव और अवसाद के अलावा गरीबी तथा अनन्य समस्याओं के कारण भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति संपूर्ण विश्व में बढ़ती जा रही है। सामाजिक स्थिति का आंकलन करने के लिए विभिन्न देशों में आत्महत्या दर के आंकड़ों के आधार पर दक्षिण कोरिया आश्चर्यजनक रूप से सबसे अधिक आत्महत्या दर वाला देश है। इसके बाद क्रमशः जापान, श्रीलंका, रूस, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, अमेरिका तथा इंग्लैंड का स्थान आता है। भारत इस सूची में 46 वें स्थान पर है। सबसे अधिक हत्या के मामलों वाले देशों की अंतर्राष्ट्रीय सूची में सबसे ऊपर क्रमशः लैसेथो, स्वाजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील तथा अमेरिका आते हैं। आत्महत्या तथा हत्या के मामलों में भारत की स्थिति आंकड़ों में कुछ इसलिए भी बेहतर नजर आ रही है, क्योंकि भारत में सामान्यतः बहुत अधिक संख्या में मामले दर्ज ही नहीं होते हैं और उनका सही आंकड़ा भी सामने नहीं आ पाता है। – पंकज के. सिंह