हाथरस, नीरज चक्रपाणि। अगर किसी 18 साल से कम उम्र की लड़की या 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह कराया तो न केवल लड़की लड़के के माता-पिता या अभिभावक बल्कि शादी कराने वाले पंडित को भी जेल जाना पड़ेगा। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत विवाह में सम्मिलित अभिभावक और विवाह कराने वाले पंडित सभी के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। जिसमें 6 माह से 2 वर्ष तक का कारावास और एक लाख रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है। यह बातें जिला प्रोबेशन अधिकारी डीके सिंह द्वारा मुरसान ब्लाक के ग्राम नगला गोपी में मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत आयोजित महिला जागरूकता शिविर में कहीं गई।शिविर में ग्राम प्रधान एवं ग्रामीण महिलाओं को संबोधित करते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा बताया गया कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की का विवाह करना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ठीक नहीं है। क्योंकि उसके पहले लड़की का शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हुआ होता जिससे वैवाहिक जीवन में अनेक मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और प्रसव के समय अनेक जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं। जिसमें जान जाने का भी खतरा रहता है इसलिए लड़की का विवाह कम से कम 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर और इसी प्रकार लड़के का विवाह कम से कम 21 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर ही करना चाहिए। इसके लिए कानून बनाया गया है और उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान किया गया है।
शिविर में महिला कल्याण अधिकारी मोनिका गौतम द्वारा महिला कल्याण से संबंधित संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। जिसमें विशेष रूप से कन्या सुमंगला योजना, रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष, निराश्रित महिला पेंशन जैसी योजनाओं पर विशेष प्रकाश डाला गया। शिविर में बाल कल्याण समिति के सदस्य एनके पचैरी द्वारा बेसहारा बालकों की देखरेख एवं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही आर्थिक सहायता की जानकारी दी गई। शिविर में ग्राम प्रधान राजकुमार, सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिष्ठा शर्मा, कंचन यादव और परामर्शदाता ज्योति तोमर, अरविंद कुमार, प्रवीण यादव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मानमती एवं ग्रामीण महिलाएं उपस्थित रहे।