Saturday, June 7, 2025
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भारत की विदेश नीति में चमत्कारिक बदलाव/

विश्व इतिहास में यदि एक नजर डालें तो वैश्विक परिदृश्य में जर्मनी का सिद्धहस्त कूटनीतिज्ञ बिस्मार्क के बारे में यह कहा जाता है| कि वह विदेश नीति के मामले में हमेशा पांच गेंदों से खेला करता था जिसमें तीन गेंदे हवा में तथा दो गेंदे हाथ में रखता था।और वह इस राजनैतिक कूटनीति में समय काल में सिद्धहस्त सफल राजनीतिज्ञ माना गया है। वह सदैव फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली, रूस और इंग्लैंड को विदेशी मामलों में उलझाए रखने में जादूगर की तरह माहिर था।वह देश भक्त होने के साथ.साथ अपने देश को आत्मविश्वास तथा आत्म गौरव दिलाने में विश्वास रखता था और उसके पड़ोसी देश तत्कालीन समय में बड़े ही सशक्त एवं ऐश्वर्यावान थे,उन परिस्थितियों में बिस्मार्क ही ऐसा चतुर चालाक एवं बुद्धिमान राजनेता थाए जो अपने देश की तरक्की के साथ.साथ विदेशियों को भी यह एहसास दिलाता रहा है कि फ्रांस एक शक्तिशाली राष्ट्र है, वर्तमान परिपेक्ष में यदि भारत की अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बनाए रखने की नीति है वह भी इसी दिशा में जाने वाली होगी, भारत अब 1961 और 1972 वाला राष्ट्र नहीं रह गया है। जो अपने पड़ोसी देशों को मुंह तोड़ जवाब न दे सके। भारत देश की विदेश नीति में बड़े परिवर्तन हुए हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से भारत की विदेश नीति में आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। फिर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हो या एस जयशंकर प्रसाद हों। प्रधानमंत्री ने आगे बढ़कर विदेश नीति को अपना नेतृत्व प्रदान किया है और संभवत यह उनके बुद्धि कौशल का ही कमाल है की विदेश नीति में जिस तरह अमेरिका की दादागिरी या वर्चस्व रहा है। उसको समझ बूझ कर प्रधानमंत्री ने लगभग अर्ध शतक राष्ट्रों के प्रमुख लोगों से स्वयं मिलकर उनसे गहरी मित्रता कर ली है। और इस बात को वे बखूबी समझते हैं की वैश्विक स्तर पर किस देश की कितनी अहमियत है। और इसी के चलते अपने परंपरागत मित्र रूस के अलावा उन्होंने सीमा क्षेत्र में पड़ोसी राष्ट्र चीन ने 40 वर्षों में सबसे ज्यादा हानि पहुंचाने की कोशिश के परिपेक्ष में अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान और दक्षिण पूर्व के एशियाई देशों के शक्तिशाली देशों से अपने संबंध प्रगाढ़ एवं मजबूत बनाने की कूटनीति सफलतापूर्वक की है। इस रणनीति के चलते भारत ने चीन की विस्तार वादी नीति खिलाफ जबरदस्त तथा समयानुकूल कूटनीति को विस्तार देकर एक बुद्धिमानी पूर्वक कदम उठाया है।

भारत वैश्विक स्तर पर एक बहुत ही शक्तिशाली तथा उभरता हुआ राष्ट्र है द्यएशिया में चीन के बाद जापान के साथ.साथ भारत भी एक शक्ति के रूप में माना जाता है। ऐसे में यूरोपीय राष्ट्र भारत से मित्रता करके गौरवान्वित ही होते हैंए और प्रधानमंत्री के बुद्धि कौशल से वह सब नरेंद्र मोदी के निजी मित्र भी हो गए। ऐसे में चीन और पाकिस्तान भारत की कूटनीति के चलते हैं सभी राष्ट्रों से कटकर अलग अलग हो गए हैं। चीन और पाकिस्तान एक दूसरे के हितों के संवर्धन के लिए एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र बन गए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से चीन के राजनयिक अधिकारियों को या स्पष्ट संकेत दे दिया है की पूर्वी लद्दाख में चीन का अतिक्रमण किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और चीन के साथ सीमा पर अपने अधिकार की स्पष्ट सीमा रेखा तय कर यह बता दिया है कि चीन का यह कृत्य अशोभनीय है एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के विरुद्ध भी है। भारत सरकार ने लद्दाख की सारी गतिविधियों को लेकर चीन को ही जवाब देंह बताया है। हमारे दूसरे पड़ोसी राष्ट्र ने किन परिस्थितियों में अपन अपनी पुरानी नीति को फिर दोहराया है और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के जरिए वह आतंकवादी गतिविधियों को लगातार जारी किए हुए हैं उसका यह प्रयास जम्मू कश्मीर राज्य को अशांत क्षेत्र बनाने की मनसा रखने वाला भी है। भारत आतंकवादी विरोधी नीति पर अडिग हैए एवं पाकिस्तान की कूटनीति तथा विदेश नीति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम तथा तैयार भी हैए ऐसे में भारत ने अनेक देशों के संगठन मित्रता कर उनसे गहरा गठबंधन कर लिया है। अनेक राष्ट्र भारत को हर संभव मदद देने के लिए तैयार व् कटिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति जिसमें नरेंद्र मोदी ने विश्व के प्रमुख शक्तिशाली राष्ट्रों को अपना घनिष्ठ मित्र बना लिया जो काफी तक सफल भी है।वैसे भारत की विदेश नीति मित्रता, शांति, भाईचारा और वैश्विक कुटुंबकम की रही है किंतु कोई पड़ोसी राज्य यदि भारत की तरफ उसकी सीमा पर आंख उठाकर देखेगा तो भारत अब पुराना राष्ट्र ना होकर एक शक्तिशाली एवं आक्रामक देश भी बन गया हैद्य जिसके पास अपना पर्याप्त सैन्य बल एवं युद्ध के लिए इस्तेमाल होने वाले समस्त औजार, उपकरणों से सुसज्जित है। ऐसे में भारत की विदेश नीति “ऑफेंस इस दी बेस्ट डिफेन्स” की ही होगी।